पानी को लेकर सत्तापक्ष की खिंचाई, विपक्ष का हंगामा

पानी को लेकर सत्तापक्ष की खिंचाई, विपक्ष का हंगामा

Anita Peddulwar
Update: 2019-07-24 05:54 GMT
पानी को लेकर सत्तापक्ष की खिंचाई, विपक्ष का हंगामा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर महानगरपालिका द्वारा शहर में की गई पानी कटौती के विरोध में मनपा सभागृह में हंगामा हुआ। विशेष सभा के दौरान पानी कटौती पर चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्ष ने सत्तापक्ष को घेरने की कोशिश की। लेकिन विपक्ष की मांग को अनसुना कर महापौर नंदा जिचकार ने विषय पत्रिका अनुसार कामकाज की शुरुआत कर दी। इसे लेकर विपक्ष ने खूब हंगामा मचाया। वेल में पहुंचकर सत्तापक्ष व ओसीडब्ल्यू के खिलाफ  जोरदार नारेबाजी की। इस बीच महापौर द्वारा ‘पानी पर चर्चा क्या करना, जब बारिश नहीं हुई’... कहते ही विपक्ष का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। नारेबाजी के शोर-शराबे में विपक्ष ने सभात्याग कर महापौर का निषेध किया।  

आधे घंटे में सब शांत

महल स्थित टाउन हॉल में मनपा की विशेष सभा आयोजित की गई थी। पानी कटौती के मुद्दा सभा में खासा गर्माया। 11.35 बजे सभागृह का कामकाज शुरू हुआ और 12.07 बजे खत्म हो गया। विपक्ष ने पानी कटौती पर चर्चा की मांग करते हुए कहा कि पानी कटौती का निर्णय परस्पर लिया गया। किसी से कोई बात नहीं की गई। कटौती का कारण स्पष्ट नहीं है। अगर बारिश नहीं हुई तो भविष्य के क्या नियोजन है, यह सभी जानकारी नागरिकों के सामने आनी चाहिए। इसके लिए चर्चा जरूरी है। किन्तु महापौर द्वारा चर्चा को टालने के कारण विपक्ष का गुस्सा बढ़ गया। 

अहम समय महापौर गायब

विरोधी दल के सदस्य नारेबाजी करते हुए  वेल में पहुंच गए। सत्तापक्ष के सदस्य भी वेल में पहुंचकर विपक्ष का विरोध करने लगे। विरोधी पक्षनेता तानाजी वनवे ने कहा कि नागपुर महानगरपालिका ने 15 जुलाई को शहर में पानी कटौती का निर्णय लिया। बैठक में महापौर नंदा जिचकार उपस्थित नहीं थीं। 21 जुलाई को पानी कटौती महीना भर के लिए की गई। इस बैठक से भी महापौर गायब थीं। शहर में महा-जलसंकट की परिस्थिति होने पर महापौर को समीक्षा करने का समय नहीं है। सभा में प्रश्न उपस्थित करने पर महापौर चर्चा में आनाकानी कर रही हैं। पानी संकट पर महापौर कितनी गंभीर हैं, इससे पता चलता है। संकट की गंभीरता को देखते हुए विपक्ष नेता वनवे ने सभागृह का  सारा कामकाज किनारे रखकर, पानी के विषय पर चर्चा कराने की मांग की। इस मांग के बीच महापौर ने विषय-पत्रिका का कामकाज शुरू करने का आदेश दिया। महापौर की इस उदासीनता को देख कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य प्रफुल गुडधे ने वेल में पहुंचकर उनकी भूमिका का विरोध किया। कांग्रेस, राकांपा, बसपा के सभी नगरसेवक नारेबाजी कर वेल में पहुंच गए। इस दौरान जमकर हंगामा मचा। महापौर सुनने के लिए तैयार नहीं थीं, इसलिए सभी ने सभात्याग कर निषेध किया।

बर्खास्त कर दें मनपा सभागृह 

शहर में पानी कटौती संदर्भ में परस्पर निर्णय लिया गया। एक दिन अंतराल से पानी के बजाए शहर को 50 प्रतिशत पानी दिया जा सकता था, किन्तु पानी का समान अनुपात में वितरण नहीं किया जा रहा। इस कारण 50 प्रतिशत पानी देने पर अनेक बस्तियों को पानी नहीं मिल पा रहा। केेंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री सीधे नागपुर महानगरपालिका के निर्णय ले रहे हैं। ऐसे में सभागृह का क्या अर्थ रह गया है। ऐसा ही है तो मनपा सभागृह को बर्खास्त कर देना चाहिए। राज्य सरकार ही मनपा का कामकाज देखे। सत्ताधारियों की यह भूमिका लोकतंत्र का गला घोंटने वाली है।   -प्रफुल गुडधे, वरिष्ठ नगरसेवक कांग्रेस 

चर्चा के लिए सत्तापक्ष गंभीर नहीं 

सत्तापक्ष किसी भी विषय पर गंभीर नहीं है। बारिश नहीं होती है तो भविष्य में पानी को लेकर का क्या नियोजन है? इस पर चर्चा महत्व की थी। शहर का कचरा उठाने के लिए नागरिकों से 60 रुपए प्रति माह लेने का विषय सभागृह में नहीं आया। चर्चा तक नहीं की। पानी कटौती का निर्णय भी परस्पर लिया गया। सत्तापक्ष सभागृह को भी नहीं मान रहे हैं।  -तानाजी वनवे, विरोधी पक्षनेता, मनपा 

कुओं का पानी बेच रहे टैंकर वाले 

बारिश नहीं होने पर अथवा शहर में पानी संकट की स्थिति होने पर शहर के कुएं अधिगृहीत कर लिए जाते हैं, लेकिन मनपा ने जलसंकट के लिए कोई नियोजन नहीं किया। शहर के कुओं का पानी, टैंकर वाले धड़ल्ले से बेच रहे हैं। जनता के पानी की लूट हो रही है। यह सरकार जनता के हित की नहीं है।   -दुनेश्वर पेठे, गटनेता राकांपा 

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