चुनाव चिह्नों के इस्तेमाल से जुड़ी याचिका खारिज, ब्रांड लोगो पर जताई आपत्ति

चुनाव चिह्नों के इस्तेमाल से जुड़ी याचिका खारिज, ब्रांड लोगो पर जताई आपत्ति

Anita Peddulwar
Update: 2019-10-10 04:34 GMT
चुनाव चिह्नों के इस्तेमाल से जुड़ी याचिका खारिज, ब्रांड लोगो पर जताई आपत्ति

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दशकों से बड़े राजनीतिक दलों के लिए आरक्षित चुनाव चिह्नों के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में दायर जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। मामले में याचिकाकर्ता मृणाल चक्रवर्ती के सीधे तौर पर कोई हित प्रभावित नहीं होने के मुद्दे को मद्देनजर रखते हुए कोर्ट ने यह निर्णय लिया है।

चुनाव आयोग की नीति पर सवाल

दरअसल याचिका में दी रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट के सेक्शन 77 और 78 को चुनौती दी गई थी। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने पहले यह तय करने का निर्णय लिया था कि यह याचिका सुनवाई करने लायक है या नहीं। हाईकोर्ट के आदेश पर  चुनाव आयोग ने साफ किया कि ऐसा व्यक्ति जिसका सीधे तौर पर हित बाधित न हो रहा हो, वह इस प्रकार की याचिका दायर नहीं कर सकता। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने यह निर्णय लिया है। याचिकाकर्ता का दावा था कि राजनीतिक दलों को मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त श्रेणियों में विभाजित करने की चुनाव आयोग की नीति ही बुरी और गैर संवैधानिक है। 

ब्रांड लोगो बन जाते हैं चिह्न

मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के उम्मीदवारों को दलों के लिए आरक्षित चुनाव चिह्न मिलते हैं, जबकि अन्य उम्मीदवारों को अनारक्षित चुनाव चिह्न दिए जाते हैं। ऐसे में जो चुनाव चिह्न किन्हीं खास राजनीतिक दलों के पास वर्षों से हैं, वे चुनाव चिह्न उस राजनीतिक दल के ब्रांड लोगो बन जाते हैं, जिसके कारण उन राजनीतिक दलों को विशेष लाभ मिलता है, जबकि अन्य उम्मीदवारों को चुनाव के 15 दिन पहले चुनाव चिह्न मिलता है। मतदाताओं की स्मृति में नए चुनाव चिह्न कोई खास घर नहीं कर पाते, जिसके कारण चुनाव एक तरीके से असंतुलित होते हैं। याचिका में प्रार्थना की थी कि चुनाव आयोग सभी चुनावी उम्मीदवारों को एक साथ चुनाव चिह्न आवंटित करे। एक ही राजनीतिक दल के टिकट पर अलग-अलग मतदाता क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के लिए अलग-अलग चुनाव चिह्न हों।


 

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