‌Bhandara News: 96 लाख रुपए की निधि मंजूर फिर भी नहीं शुरू हुआ पुल का निर्माण कार्य

96 लाख रुपए की निधि मंजूर फिर भी नहीं शुरू हुआ पुल का निर्माण कार्य
  • भूमिपूजन के बाद अब निर्माण की प्रतीक्षा
  • पांच वर्ष से बंद है आवागमन

‌Bhandara News महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश की सीमा पर बने बावनथड़ी पुल को जर्जर बताकर पिछले 5 वर्षों से भारी वाहनों के आवागमन पर जिला प्रशासन व लोक निर्माण विभाग द्वारा पाबंदी लगा दी गई है। जिससे भारी वाहनों के साथ ही यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किंतु़ 96 लाख की निधि मंजूर होकर भी अब तक इस पुल का निर्माण शुरू नहीं हुआ है। जिससे नागरिकों को का परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

वर्ष 1975-80 के दशक में कड़े संघर्ष के बाद करोड़ों रुपये की लागत से बावनथड़ी नदी पर पुल बनाया गया था, जो महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश की सीमा को जोड़ता था। विगत 5 वर्ष से पुल कमजोर होने की वजह से नए रूप में पुल के निर्माण के संदर्भ में सरकार द्वारा 96 लाख की निधि मंजूर की गई। लोकसभा चुनावों के दौरान स्थानीय विधायक ने भूमि पूजन भी किया गया। किंतु अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। जिससे ट्रक, ट्रैक्टर, कार एवं अन्य गाड़ियां प्रवेश से वंचित हैं। पुल बनाने में किस बात का इंतजार किया जा रहा है। ऐसा सवाल स्थानीय नागरिकों द्वारा पूछा जा रहा है। अनेक शहरों एवं विभिन्न राज्यों के ट्रक चालक जब मध्यप्रदेश की ओर बढ़ते हैं तब यातायात बंद होने का पता चलता है तो ट्रक चालक यंू टर्न लेकर दोबारा शहर में दाखिल होते हैं।

तुमसर से बपेरा की सीमा से 32 कि.मी. की दूरी तय कर वाहन चालक मध्यप्रदेश की ओर बढ़ते है। संबंधित विभाग ने यदि पुल पर प्रवेश बंद का फलक शहर के पावर हाउस टी पॉईंट पर लगाया जाता तो चालकों को बेवजह परेशान होना नहीं पड़ता, इस ओर अधिकारियों द्वारा ध्यान देने की आवश्यकता है। इस विषय में सरकार का अनेक बार ध्यान आकर्षित करने के बावजूद इस ओर अनदेखी की जा रही है। विगत दिनों इस कार्य को मंजूरी मिलने की घोषणा की गई थी। लेकिन कार्य नहीं शुरू किया जा रहा है। तत्काल पुल का निर्माण कार्य शुरू करने की मांग की गई है।

बार-बार सुझाव देने के बाद भी कच्चे रपटे पर हुई निधि खर्च : बावनथड़ी नदी पर पक्का सीमेंट कांक्रीट का रपटा या बैरियर बनाया जाए। शायद राज्य सरकार के तिजोरी में रुपया पर्याप्त रूपए नहीं है। किंतु़ वर्षा ऋतु के पश्चात मामूली कच्चा रपटा बनाया जाता है जो हर वर्ष बेमौसम बारिश के कारण क्षतिग्रस्त होकर टूटकर बंद पड़ जाता है। ग्रीष्मकालीन धान को पानी देने मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र के खेतो की सिंचाई हेतु राजीव सागर के नहरों से पानी छोड़ा जाता है। जिससे खेतों से पानी उतरकर नदी तट में आता है कच्चा रपटा फिर टूट जाता है। क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता सौरभ बेलखेडे ने राज्य सरकार से मांग की कि पक्का रपटा या बैरियर सीमेंट कांक्रीट का बनाया जाए। जिससे क्षेत्र के जनता को सिंचाई और आवागमन के लिए भी सुविधा हो पाएगी।


Created On :   23 May 2025 3:21 PM IST

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