Bhandara News: अतिवृष्टि और बाढ़ से भंडारा के 4 हजार 936 हेक्टेयर क्षेत्र की खरीफ फसलें बर्बाद

  • भंडारा तहसील में सर्वाधिक 1887 हेक्टेयर क्षेत्र की फसलों का नुकसान
  • क्षेत्र के10 हजार 902 किसान प्रभावित

Bhandara News जिले में 7 से 9 जुलाई के बीच हुई अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण हजारों किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है। शुरुआती दौर में नुकसान के डराने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं। प्राकृतिक आपदा के चलते लगभग 10 हजार 902 किसानों की 4 हजार 936 हेक्टेयर क्षेत्र की खरीफ फसलें बर्बाद हो गई हंै। यह आंकड़े सर्वेक्षण प्रक्रिया के साथ बढ़ सकते हैं। जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ है। किसानों ने नुकसान भरपाई देने की मांग की है।

बता दें कि, जिले में 7 से 9 जुलाई तक तेज बारिश हुई। इससे जिले के पांच तहसीलों को बाढ़ का सामना करना पड़ा। किसानों ने खरीफ मौसम में धान, सोयाबीन, सब्जी, तुअर और कपास की फसल लगाई थी। लगभग 25 हजार 814 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें लगाई जा चुकी थीं। इसके बाद 7 जुलाई से 9 जुलाई तक हुई तेज बारिश व अतिवृष्टि से जिले के नदी नाले उफान पर बहने लगे।

भंडारा तहसील में इसका सर्वाधिक प्रभाव देखा गया। जिले के एक हजार 199 किसानों की लगभग 1887 हेक्टेयर फसलों का नुकसान हुआ है। इसी तरह से लाखांदुर तहसील में पांच हजार 412 किसानों का लगभग एक हजार 804 हेक्टेयर क्षेत्र में लगी फसलों का नुकसान हुआ है। मोहाड़ी तहसील के 174 किसानों के 61 हेक्टेयर, तुमसर में 60 किसानों के 18 हेक्टेयर, पवनी में 3 हजार 812 किसानों के एक हजार 104.60 हेक्टेयर, साकोली तहसील में 40 किसानों के 12 हेक्टेयर तथा लाखनी में 125 किसानों के 49.9 हेक्टेयर फसलों का नुकसान हुआ है। राजस्व विभाग, कृषि विभाग द्वारा नुकसान के पंचनामे शुरू है। अब तक 4 हजार 936.60 हेक्टेयर क्षेत्र में नुकसान के आंकड़े सामने आए हंै। जिले के 211 गांवों के किसानों को अतिवृष्टि और बाढ़ से नुकसान उठाना पड़ा। किसानों ने कर्ज और उधार लेकर खरीफ का काम शुरू किया था। लेकिन शुरुआत में ही किसानों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

बारिश से खेत जलमग्न, सड़ गई धान की नर्सरी : ग्रीष्मकाल के समय बेमौसम बारिश हुई और किसानों की ग्रीष्मकालीन धान फसल का नुकसान हुआ। परिश्रम कर लगाई फसलें मिट्‌टी में मिल गई। किसानों का लागत खर्च भी नहीं निकल सका। अब खरीफ मौसम शुरू हुआ तो किसानों ने बीज डालकर धान की नर्सरी लगाई। क्षेत्र के किसानों ने नर्सरी लगाने के पश्चात रोपाई की तैयारी की। लेकिन चार दिन हुई अतिवृष्टि से नर्सरी सड़ने की कगार पर पहुंची है। लगातार चार दिन हुई बारिश से किसानों का संपूर्ण नियोजन बिगड़ गया। नर्सरी सड़ने से जमीन बंजर रखने की नौबत सताने लगा है। प्रत्येक वर्ष आखाड़ी तथा नागपंचमी तक धान की रोपाई के कार्य पूरा करते हंै। लेकिन अब तक नर्सरी ही परिपक्व नहीं हुई है। ऐसे में रोपाई कब करेंगे यह चिंता किसानों में बनी है। गुरुवार से बारिश ने विराम लिया है। लेकिन अभी भी खेतों में पानी भरा है। वहीं दूसरी ओर जिनकी धान की नर्सरी तैयार है, उन्होंने रोपाई के कामों को शुरू किया है। यह नर्सरी लगातार 15 दिनों तक पानी में रही। कुछ किसानों की धान की नर्सरी सड़ने से रोपाई नहीं करने का फैसला लिया है। खरीफ मौसम खाली नहीं जाए इस लिए किसान बारिश दूसरे किसानों से धान की नर्सरी खरीदने की तैयारी कर रहे है। कर्ज, उधार लेकर रोपाई के कामों को पुर्ण किया जा रहा है।


Created On :   12 July 2025 6:11 PM IST

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