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Bhandara News: उचित दाम की प्रतीक्षा में भंडारा के धान उत्पादक किसान

- लाखनी में प्रक्रिया उद्योगों का अभाव
- सरकार ने की है 15 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा
Bhandara News लाखनी तहसील की अर्थव्यवस्था धान की खेती पर निर्भर है। यहां कोई प्रक्रिया उद्योग नहीं है। इस वजह से धान उत्पादक किसानों की हालत दिन-ब -दिन बदतर होती जा रही है। केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले 15 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की थी इसमें धान भी शामिल है। धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 69 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। इससे 2025-26 मौसम में सरकारी धान ख़रीद केंद्र पर धान बेचने वाले किसानों को अब दो हजार 369 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिलेगा। लेकिन उत्पादन लागत की तुलना में मिलने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य कम है और प्रक्रिया उद्योगों की कमी के कारण धान किसान कई वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं।
केंद्र सरकार फसलों के लिए उत्पादन लागत का पाच गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की घोषणा करती रही है। लेकिन पिछले 11 वर्षों में यह पूरा नहीं हुआ है। केंद्र सरकार द्वारा आगामी खरीफ मौसम के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने टिप्पणी की। पिछले 22 वर्षों में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य केवल 1,819 रुपये बढ़ा है, जबकि इन 22 वर्षों में धान की उत्पादन लागत पाच गुना बढ़ गई है। खाद, बीज, कीटनाशक, पेट्रोल, डीजल और कृषि उपकरणों के दाम हर साल बढ़ रहे हैं। इसके कारण, प्रति एकड़ धान की खेती की लागत अब 25,000 से 30,000 रुपये हो गई है। लेकिन इसकी तुलना में प्राप्त आय बहुत कम है। इसलिए किसान निराशा में आत्महत्या जैसे कदम उठाते है।
किसानों को 2500 रुपए भाव नहीं दे पा रही सरकार : भंडारा जिले से सटे मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों में धान का मूल्य दो हजार 500 रुपये प्रति क्विंटल दिया जाता है। पिछले दो से चार वर्षों से यह भाव मिल रहा है। फिर महाराष्ट्र के किसानों को दो हजार 500 रुपये प्रति क्विंटल भाव देना क्यों संभव नहीं है? यह सवाल सामने आ रहा है।
प्रक्रिया उद्योग स्थापित करने की केवल घोषणाएं : लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान ही प्रक्रिया उद्योग स्थापित करने की घोषणाएं की जाती हैं। उसके बाद, कोई भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लेता। ऐसे में किसानों को धान के साथ-साथ वैकल्पिक फसलों पर विचार करने की जरूरत है। अन्यथा धान की खेती घाटे का सौदा बनी रहेगी।
व्यापारियों की भी अनदेखी : भंडारा जिले के लाखनी, साकोली, लाखांदुर तहसील के किसान बड़ी मात्रा में धान का उत्पादन करते हैं। इन तहसील में खरीफ और रबी दोनों मौसम में धान की खेती की जाती है। इस साल रबी (ग्रीष्मकालीन धान) मौसम में रिकॉर्ड मात्रा में धान का उत्पादन हुआ। लेकिन जब से धान के दाम गिरे हैं व्यापारियों ने इस धान की फसल की ओर अनदेखी की है। इस वजह से किसान मुश्किल में हैं।
Created On :   2 Sept 2025 4:38 PM IST