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Chandrapur News: चंद्रपुर की आबोहवा हुई जहरीली , प्रदूषण रोकने दो फ्लाइंग स्क्वॉड बनाने के निर्देश

Chandrapur News चंद्रपुर में बढ़ते वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति की समीक्षा जिलाधिकारी विनय गौडा ने गुरुवार को जिलाधिकारी कार्यालय में की। बैठक के दौरान उन्होंने जिले में मौजूद अत्याधिक प्रदूषित औद्योगिक क्षेत्रों पर चिंता व्यक्त करते हुए स्पष्ट कहा कि सभी इंडस्ट्रीज को एयर पॉल्यूशन कंट्रोल सिस्टम पूरी क्षमता से चलाना अनिवार्य है। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि ग्रामीण क्षेत्र के लिए एक और शहरी क्षेत्र के लिए अलग फ्लाइंग स्क्वॉड गठित किए जाएं, ताकि समय-समय पर निम्न अनियमितताओं की जांच हो सके। इस दौरान घरों, होटलों, ढाबों, रेस्टोरेंट में अवैध रूप से कोयला जलाना, शहरी इलाकों में खुले में ठोस कचरा जलाया जाना, निर्माण कार्य से फैलने वाला धूल-धुआं, प्रदूषण फैलाने वाले अन्य स्थानीय स्रोत आिद की जांच की जा सके। उन्होंने कहा कि चंद्रपुर में भारी वाहनों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण व ट्रैफिक समस्या पर सार्वजनिक निर्माण विभाग को तुरंत प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
कोयला परिवहन : बगैर तिरपाल वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई : जिलाधिकारी गौडा ने परिवहन विभाग को निर्देशित किया कि कोयला एवं अन्य खनिज ले जाने वाले भारी वाहनों पर सही तिरपाल कवर नहीं होने पर कड़ी कार्रवाई की जाए। वेकोलि को हर हाल में टायर वॉशिंग सिस्टम व तिरपाल कवर का उपयोग अनिवार्य करना होगा। इसके अलावा चंद्रपुर मनपा को ठोस कचरे के वैज्ञानिक निपटान के निर्देश दिए। यदि कहीं अवैध रूप से ठोस कचरा जलाया जाता है, तो संबंधित व्यक्तियों या संस्थाओं पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। बैठक में मनपा की प्रभारी आयुक्त डा. विद्या गायकवाड़, एमपीसीबी के रीजनल ऑफिसर उमाशंकर भादुले, जिला कृषि अधिकारी शंकर टोटावार, डीएचओ डा. अशोक कटारे, सीएस डा. महादेव चिंचोले, आरटीओ किरण मोर, कार्यकारी अभियंता अक्षय पगारे, यातायात विभाग के पीआई प्रवीण कुमार पाटील, साथ ही सीटीपीएस, वेकोलि वणी, बल्लारपुर के अधिकारी और विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
365 में से 250 दिन ‘अति प्रदूषित’ समाधान सिर्फ कागजों पर : चंद्रपुर जिले की स्थिति बेहद चिंताजनक है साल के 365 दिनों में से लगभग 250 दिन हवा खतरनाक स्तर पर रहती है। हर वर्ष प्रदूषण नियंत्रण की योजनाएं बनती हैं, समितियां गठित होती हैं, करोड़ों का फंड आता है, मीटिंग्स होती हैं लेकिन परिणाम? जमीन पर कोई ठोस काम नहीं। प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के कारण सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है, लेकिन जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन तक किसी की नज़र समस्या के मूल समाधान पर नहीं पड़ती। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि डेढ़ दशक से योजनाएं बनती रहीं, पर अमल नहीं हुआ। जिस दिन सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों के एसी और पंखे बंद होंगे, उसी दिन 24 घंटे में हवा की गुणवत्ता सुधर जाएगी।
Created On :   21 Nov 2025 3:14 PM IST















