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Chandrapur News: लगभग 850 कि.मी. का सफर तय कर सह्याद्री के जंगल में पहुंची चंदा

Chandrapur News ताड़ोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प की साढ़े तीन वर्षीय बाघिन ‘चंदा’ अब सह्याद्री की पहाड़ियों में अपना नया जीवन शुरू करेगी। बुधवार, 12 नवंबर को ताड़ोबा के अलीझांझा पर्यटन क्षेत्र से “चंदा’ बाघिन को वन्यजीव एम्बुलेंस से सह्याद्री व्याघ्र प्रकल्प के लिए रवाना किया गया था, जो लगभग 850 किलोमीटर का लंबा सफर तय कर गुरुवार की रात सह्याद्री जंगल में सुरक्षित पहुंच गई है। राज्य वन विभाग का पश्चिम घाट में बाघों की उपस्थिति फिर से स्थापित करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। राज्य के सह्याद्री व्याघ्र प्रकल्प में बाघों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किए गए महत्वाकांक्षी सह्याद्री टीएटीआर ऑपरेशन को आधिकारिक रूप से प्रारंभ किया गया है।
इस विशेष अभियान के तहत ताड़ोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प से आठ बाघों को पांच वर्षों में चरणबध्द तरीके से स्थानांतरित कर सह्याद्रि की घने जंगल में छोड़ने की योजना बनाई गई है। इसके तहत “चंदा’ बाघिन को बुधवार, 12 नवंबर को स्थानांतरित किया गया। इस पूरी मुहिम में देहरादून की वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों सहित ताड़ोबा और सह्याद्रि के अधिकारी प्रमुुखता से उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि सह्याद्रि व्याघ्र प्रकल्प में बाघों की संख्या बढ़ाना, आनुवंशिक विविधता को सुरक्षित रखना, पश्चिम महाराष्ट्र में बाघ संरक्षण को नई दिशा प्रदान करना, वन विभाग, टीएटीआर (बाघ संवर्धन एवं पुनर्वास कार्रवाई) टीम तथा विभिन्न विशेषज्ञ संस्थाओं के संयुक्त सहयोग से यह अभियान संचालित किया जा रहा है।
ताड़ोबा से चुने गए बाघों को विशेष प्रशिक्षण देने के बाद ट्रैकिंग कॉलर लगाकर सह्याद्रि में छोड़ा जाएगा, ताकि उनकी गतिविधियों पर निरंतर निगरानी रखी जा सके। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह पहल सफल होने पर महाराष्ट्र के अन्य व्याघ्र प्रकल्पों में इसी प्रकार की पुनर्वास योजना लागू की जाएगी।
Created On :   15 Nov 2025 5:45 PM IST















