- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- गडचिरोली
- /
- गडचिरोली में कमजोर पड़ा नक्सलवाद;...
Gadchiroli News: गडचिरोली में कमजोर पड़ा नक्सलवाद; सिमटी संख्या, बचे सिर्फ 30 नक्सली

- पुलिस अधीक्षक नीलोत्पल का दावा
- जल्द ही नक्सलमुक्त होगा गड़चिरोली जिला
Gadchiroli News गड़चिरोली जिले में सक्रिय नक्सलियों की संख्या 30 तक सिमट चुकी है। जल्द ही यह इलाका नक्सलमुक्त होगा। दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में गड़चिरोली के एसपी नीलोत्पल ने यह दावा किया। उन्होंने कहा कि 1980 से जारी नक्सलवाद की जड़ें अब पूरी तरह कमजोर होने लगी हैं। उत्तर गड़चिरोली में नक्सलियों का खात्मा हो चुका है। दक्षिण गड़चिरोली में नाममात्र के नक्सली शेष हैं। अभी दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी मेंबर प्रभाकर के हाथ में कमान है। पुलिस अधीक्षक नीलोत्पल के अनुसार गत 13 मई 2024 को पेरमिली एरिया कमेटी दलम का सफाया किया गया। 17 जुलाई 2024 को चातगांव, कोरची, टीपागढ़, कसनसुर एरिया कमेटी दलम का खात्मा हुआ। अहेरी दलम के मुखिया रघु की गिरफ्तारी के बाद उपकमांडर दुर्गी ने समर्पण किया। अब अहेरी दलम में नक्सल गतिविधियां बंद हैं। भामरागढ़ दलम में पांच-छह नक्सली सक्रिय थे। इनमें से चार नक्सलियों को 23 मई 2025 को सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया।
समर्पित नक्सलियों का पुनर्वास : जिले में अब तक 716 नक्सलियों ने समर्पण किया है। इनका पुनर्वास किया गया। आवास तथा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गए। 60 से अधिक समर्पित नक्सली कोनसरी स्थित लॉयड्स मेटल्स परियोजना में काम कर रहे हैं। 100 से अधिक समर्पित नक्सली पुलिस विभाग में बतौर एसपीओ हैं। कुछ को स्वरोजगार के लिए वित्तीय सहायता दी गई है। पुलिस विभाग के ऐसे प्रयासों से समर्पित नक्सलियों को समाज में अच्छा स्थान मिलने के साथ ही नक्सल आंदोलन को नुकसान हो रहा है।
कैसे मिली सफलता : सिविक एक्शन कार्यक्रम के तहत पुलिस दादालोरा खिड़की योजना आरंभ की गई। ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराया गया। 11 हजार आदिवासियों को स्वरोजगार मिला। 1500 युवकों को पुलिस भर्ती प्रशिक्षण दिया गया। इनमें से 200 युवाओं की सिपाही पद पर नियुक्ति की गई। महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित अबूझमाड़ के 17 गांवों के लोगों ने नक्सलियों की गांवबंदी की है। ग्रामीणों के दिल से नक्सलियों का खाैफ खत्म होने से अब इनका जनाधार कम हो गया है।
2020 से नक्सल भर्ती बंद : सरकार ने जिले में 500 से अधिक फोर-जी मोबाइल टॉवर लगाए हैं। इससे युवाओं व लोगों को विकास की जानकारी मिलने लगी है। नक्सलियों का असली चेहरा भी समझ में आने लगा है। यही कारण है कि वर्ष 2020 से नक्सलियों की भर्ती पूरी तरह बंद है।
Created On :   9 July 2025 4:17 PM IST