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धान के भुगतान की मांग लेकर डीएमओ कार्यालय पर पहुंचे संतप्त किसान
डिजिटल डेस्क, गोंदिया । रबी सत्र में गोंदिया तहसील में जिला मार्केटिंग फेडरेशन के अंतर्गत ग्राम चुटिया में श्रीराम अभिनव सहकारी संस्था मर्या. द्वारा शासकीय धान खरीदी केंद्र शुरू किया गया जहां सैकड़ों की संख्या में पंजीकृत किसानों ने अपने धान की बिक्री की। लेकिन इस केंद्र पर धान बेचने वाले किसानों को अब तक उनके द्वारा बेचे गए धान का भुगतान नहीं मिलने से वे भारी आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। समस्या के चलते ग्राम चुटिया के धान बिक्री करनेवाले किसानों ने गोंदिया के डीएमओ कार्यालय में दस्तक देकर अपने द्वारा बेचे गए धान की राशि का भुगतान शीघ्र करने की मांग की। लेकिन धान खरीदी करने वाली संस्था के गोदाम में धान का भंडारण ही नहीं मिलने के कारण प्रधान कार्यालय के आदेशानुसार किसानों काे उनके द्वारा बेचे गए धान का भुगतान नहीं किया जा सका है। पैमेंट की मांग के लिए कार्यालय में आए।
किसानों के समक्ष प्रधान कार्यालय के प्रबंध संचालक एवं महाप्रबंधक राज्य शासन खरीदी से मोबाइल पर डीएमओ ने किसानों के पैमेंट कब दिए जा सकेंगे, इस पर चर्चा की। डीएमओ ने बताया कि उन्हें बताया गया है कि यह विषय मुख्यमंत्री एवं राज्य के अन्न व नागरी पूर्ति विभाग के सचिव के समक्ष प्रस्ताव के रूप में रखा गया है। जिस पर लगभग एक सप्ताह में निर्णय होने की संभावना है। यह सारी बाते उपस्थित किसानों के समक्ष मोबाइल पर की गई। लेकिन उपस्थित किसान तत्काल पैमेंट किए जाने की मांग को लेकर आक्रोषित हो गए और वे किसी भी प्रकार की कोई बात सुनने को तैयार नहीं थे। जिसके बाद किसानों के समक्ष वरिष्ठ अधिकारियों से हुई चर्चा के अनुसार डीएमओ वी.एस. इंगले ने किसानों को लिखित आश्वासन दिया कि उनके द्वारा बेचे गए धान का भुगतान 14 अगस्त 2023 तक किया जाएगा। जिसके बाद ही किसान वहां से हटने को तैयार हुए। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस के सचिव अमर वराडे सहित अर्जुन नागपुरे, सुनील गौतम, अनिल पगरवार, सदाराम बघेले, ललित हरिणखेड़े, अनूप रहांगडाले, गेंदलाल बघेले, रामलाल लिल्हारे, महेंद्र गौतम, हौसलाल रहांगडाले, दिनेश चौधरी, सुमित पटले, विक्की रहांगडाले आदि किसान उपस्थित थे।
राजनीतिक दबाव के कारण कार्रवाई में देरी : कुछ दिनों पूर्व मार्केटिंग फेडरेशन के उच्च अधिकारियों की टीम ने जब ग्राम चुटिया की धान खरीदी संस्था के गोदाम की जांच की तो वहां 15 हजार 960 क्विंटल धान नदारद पाया गया। जिसके बाद फेडरेशन की ओर से संचालकों को नोटिस देकर तत्काल धान गोदाम में जमा कराने के निर्देश दिए गए, लेकिन संस्था संचालकों ने अब तक बार-बार सूचना दिए जाने के बावजूद नदारद पाया गया धान वापस जमा नहीं कराया है। पता चला है कि इस संबंध में संस्था संचालकों के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए फेडरेशन पर राजनीतिक दबाव डाला जा रहा है। लेकिन अब फेडरेशन के सामने यह संकट निर्माण हो गया है कि जब संस्था की ओर से खरीदा गया धान ही गोदाम में उपलब्ध नहीं है तो किसानों को आखिर भुगतान किस आधार पर किया जाए। नियमानुसार संस्थाओं द्वारा खरीदा गया धान मार्केटिंग फेडरेशन की ओर से राइस मिलर्स को मिलिंग के लिए दिया जाता है। जिसे वह मिलिंग कर शासन को चावल जमा करते है। जब तक राइस मिलर्स को संस्थाओं द्वारा खरीदा गया धान मिल जाने की पुष्टि नहीं होती, तब तक नियमानुसार संबंधित संस्था द्वारा खरीदे गए धान का भुगतान फेडरेशन द्वारा नहीं किया जा सकता।
Created On :   5 Aug 2023 5:52 PM IST