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गोंदिया: निधि के अभाव में अटका पांगोली नदी के पुनर्जीवन का काम
- सैकड़ों हेक्टेयर खेती को उपलब्ध होती है सिंचाई
- अटका पांगोली नदी के पुनर्जीवन का काम
डिजिटल डेस्क, गोंदिया. जीवनदायिनी पांगोली नदी को पुनर्जीवित करने के लिए निधि का इंतजार करना पड़ रहा हैं। संबंधित विभाग ने शासन को 42 करोड़ रुपए की निधि की मांग की है, लेकिन निधि को मंजूरी नहीं मिल रही हैं। यही एक कारण है कि पांगोली नदी का विकास का प्रवाह थम गया है।
यहां बता दें कि पांगोली नदी का उगम गोरेगांव तहसील के ग्राम तेढ़ा के एक छोटे तालाब से हुआ है। इस नदी की लंबाई लगभग 70 किलो मीटर है जो बाघ नदी से मिलती है। पहले नदी की गहराई व चौड़ाई अधिक थी। जिस कारण वर्ष भर नदी में पानी भरा रहता था। इस नदी के पानी से अनेक ग्रामों को जलापूर्ति की जाती है। वहीं सैकड़ों हेक्टेयर खेती को सिंचाई उपलब्ध की जाती है, जिस कारण इस नदी को गोंदिया की जीवनदायिनी कहा जाता है, लेकिन समय पर देखभाल व मरम्मत नहीं किए जाने के कारण वर्तमान में नदी नाले में तब्दील हो गई है और अब अल्प बारिश से ही नदी को बाढ़ आ जाती हंै।
बारिश समाप्त होते ही नदी का पानी खाली हो जाता है। मार्च-अप्रैल माह में नदी का पानी सूखने से जलापूर्ति भी प्रभावित हो जाती है। नदी का प्रदूषण हटाने, गहराईकरण करने, नदी पर बांधों का निर्माण करने तथा नदी की मरम्मत करने के लिए जल संधारण विभाग ने 42 करोड़ रूपए की निधि की मांग की है। इस तरह का प्रस्ताव भी शासन के समक्ष प्रस्तुत किया गया है लेकिन अभी तक इस निधि को मंजूरी नहीं मिली है जिस कारण पांगोली नदी के विकास का प्रवाह थम गया है। इसका मुख्य कारण यह है कि धन उपलब्ध कराने में शासन असफल साबित हो रहा है।
42 करोड़ का प्रस्ताव किया प्रस्तुत
सत्यजीत राउत, जिला जल संधारण अधिकारी के मुताबिक नदी का पुनर्जीवन करने के लिए संबंधित विभाग को प्रस्ताव प्रस्तुत कर 42 करोड़ रुपए की निधि की मांग की गई है। प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही आगे की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
शासन की उदासीनता से खतरे में नदी
तीर्थराज उके, संचालक, पांगोली नदी बचाओ ग्रुप के मुताबिक पांगोली नदी का महत्व इतना अधिक है कि इस नदी के जल से हजारों ग्रामीणों की प्यास बुझाई जाती है। यहां तक कि सैकड़ों हेक्टेयर खेती को सिंचाई उपलब्ध होती है। क्षेत्र के ग्रामों का भूजल स्तर बढ़ा रहता है। लेकिन समय पर मरम्मत तथा देखभाल नहीं होने के कारण नदी का अस्तित्व खतरे में आ गया है। पुनर्जीवित योजना के तहत नदी का विकास करना बहुत ही जरूरी हो गया है, लेकिन शासन इस नदी का महत्व नहीं समझ पा रही है। शासन की उदासीनता से ही नदी के विकास का प्रवाह रूक गया है।
Created On :   6 Dec 2023 7:25 PM IST