Jabalpur News: मां..आस्था तो अखंड है, पर पॉलिथीन का इस्तेमाल छोड़ न पाए, घाट पर भी किसी तरह की रोक न टोक

मां..आस्था तो अखंड है, पर पॉलिथीन का इस्तेमाल छोड़ न पाए, घाट पर भी किसी तरह की रोक न टोक
  • 2023 में जब बैन किया, उस वक्त तो ननि के साथ पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड ने भी जब्ती कार्रवाई की, पर बाद में इसको भुला दिया
  • सिंगल-यूज प्लास्टिक वे वस्तुएं हैं जिनका एक बार इस्तेमाल किया जाता और फिर उन्हें फेंक दिया जाता है।

Jabalpur News: गर्मियों के इन दिनों में नर्मदा के तटों पर सिंगल यूज प्लास्टिक का जमकर उपयोग किया जा रहा है। सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है। वर्ष 2023 में इसकी यूनिट तक को बंद करा दिया गया था। सभी तरह के प्रतिबंध के बाद भी लेकिन नर्मदा के अमूमन सभी घाटों में इसको बेचा, उपयोग किया जा रहा है। नगर निगम और पाॅल्यूशन कन्ट्रोल बाेर्ड ने प्रतिबंध के तुरंत बाद इस पर कार्रवाई की, कुछ मात्रा में जब्त कर प्रकरण भी बनाए पर बाद में इसको ठंडे बस्ते में डाल दिया।

जिम्मेदार विभागों के कार्रवाई को लेकर उदासीन रवैये अपनाने के बाद इसका उपयोग फिर पहले जैसा ही हो रहा है। शनिवार, रविवार, एकादशी, अमावस्या या किसी विशेष पर्व के अवसर पर जब नर्मदा तटों पर ज्यादा भीड़ होती है, उन हालातों में सिंगल यूज प्लास्टिक को घाटों में बड़ी मात्रा में यहां-वहां बिखरा हुआ देखा जा सकता है।

हर दिन 5 से 50 किलो तक निकलता है प्लास्टिक

नागरिक उपयोक्ता मार्गदशक मंच के पीजी नाजपाण्डे कहते हैं कि जबलपुर के जिलहरीघाट, उमाघाट, ग्वारीघाट, खारीघाट, तिलवाराघाट, भेड़ाघाट, सरस्वती और झांसी घाट की सीमा तक 5 किलो से लेकर विशेष अवसरों पर 50 किलोमीटर तक सिंगल यूज प्लास्टिक निकलता है। इसको लेकर वे एनजीटी में भी शिकायत कर चुके हैं।

तट पर कुछ इस तरह से कर रहे नुकसान

तट पर सबसे ज्यादा भण्डारे के बाद सिंगल यूज प्लास्टिक से बने खाने की पत्तल, कैरी बैग, ग्लास फेेंके जा रहे हैं। यह प्लास्टिक के पत्तल, दोने, ग्लास तटों से सफाई न होने पर सीधे नर्मदा के जल में भी पहुंचते हैं। नैचुरल सीपेज को यह हानि पहुंचाते हैं, साथ ही नर्मदा के प्राकृतिक झिरों को ब्लॉक कर रहे हैं।

सिंगल यूज प्लास्टिक क्या है

सिंगल-यूज प्लास्टिक वे वस्तुएं हैं जिनका एक बार इस्तेमाल किया जाता और फिर उन्हें फेंक दिया जाता है। इनमें प्रमुख रूप से ऐसे प्लास्टिक बैग, कैरी बैग, ग्लास, स्ट्रॉ, बोतलें व खाद्य पैकेजिंग हैं। इस्तेमाल किए जाने वाले सभी प्लास्टिक में से लगभग आधे सिंगल-यूज हैं। सिंगल यूज में पाॅलीथिन कि परत चढ़े दोने सबसे ज्यादा बेचे जाते हैं।

सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर हमने पहले नर्मदा तटों पर नगर निगम के साथ मिलकर कार्रवाई की है। इस दिशा में आगे भी कार्रवाई की जाएगी। जो लोग तटों में दुकान लगाते हैं, उनको भी इसको लेकर जागरूकता की जरूरत है।

- आलोक जैन, क्षेत्रीय अधिकारी, पाॅल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड

26% रसायन तो घातक

एक्सपर्ट के अनुसार प्लास्टिक में बिसफेनॉल ए (बीपीए), नोनीलफेनॉल, ऑक्टाइलफेनॉल, एंटीमनी जैसे अंतःस्रावी विघटनकारी रसायन (ईडीसी) कणों से पर्यावरण, जल में मिलते हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक में तो 26 फीसदी रसायन सीधे तौर पर नुकसान दायक होते हैं।

बहते पानी को जहरीला बना रहे

एक्सपर्ट के अनुसार सिंगल यूज प्लास्टिक के विघटित होने में बहुत समय लगता है, जिससे ये हमारे पर्यावरण में जमा होते रहते हैं। यह मिट्टी और किसी भी स्वच्छ पानी को प्रदूषित करते हैं। नदी के वन्यजीवों के लिए खतरनाक साबित होते हैं। इसके हानिकारक प्रभाव बिस्फेनॉल और एंटीमनी जैसे विषैले रसायनों के एक हिस्से के रूप में दिखाई देते हैं जो मिट्टी और जल निकायों में घुलकर उन्हें जीवित जीवों के जीवित रहने के लिए अनुपयुक्त बना देते हैं।

Created On :   3 May 2025 5:18 PM IST

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