Jabalpur News: न जांच-पड़ताल, न ही पूछताछ मनमाफिक ढंग से बनाए जा रहे पीयूसी सर्टिफिकेट

न जांच-पड़ताल, न ही पूछताछ मनमाफिक ढंग से बनाए जा रहे पीयूसी सर्टिफिकेट
  • शहर में जहां-तहां तैनात हो जाती हैं वैन, औपचारिकता निभाकर वसूल रहे शुल्क, कोई देखने वाला नहीं
  • पॉल्यूशन टेस्ट पास करने के बाद अधिकारी फीस लेकर पीयूसी सर्टिफिकेट जारी करते हैं।

Jabalpur News: सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों का धुआं पयार्वरण को प्रदूषित तो नहीं कर रहा है, इसकी जांच करने के लिए गाड़ी मालिकों को पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (पीयूसी) की जांच कराना अनिवार्य होता है। लेकिन यह सबकुछ अब औपचारिकता ही बनकर रह गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि शहर में जहां-तहां खड़ी पीयूसी वैन एवं ऑनलाइन सेंटर के संचालक मनमानी राशि लेकर पीयूसी का सर्टिफिकेट लोगों को थमा रहे हैं। इस दौरान तमाम नियम व शर्तों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।

नहीं होने पर लग सकता है जुर्माना

ट्रैफिक पुलिस की मानें तो करीब एक वर्ष पूर्व तक पीयूसी सर्टिफिकेट 6 माह तक की अवधि के लिए ही बनाया जाता था। लेकिन नई गाइडलाइन के अनुसार अब यह प्रमाण-पत्र 1 वर्ष तक के लिए जारी किया जाता है। वाहनों का बीमा कराते समय पीयूसी का नवीनीकरण जरूरी होता है। यदि कोई व्यक्ति बिना वैध पीयूसी सर्टिफिकेट के चार-पहिया अथवा दो-पहिया वाहन दौड़ाते पाया जाता है, तब संबंधित वाहन चालक के खिलाफ जुर्माना भी लग सकता है।

शहर में जगह-जगह पर डेरा

पीयूसी की जांच करने वाले वाहन पर्यटन चौक, एसबीआई चौक विजय नगर, रामपुर तिराहा, रद्दी चौकी अधारताल एवं कैरव्ज रोड आदि जगह पर खड़े होते हैं। यहां मौजूद कर्मचारी द्वारा वाहन वाहनों की प्रदूषण संबंधी जांच की जाती है। लेकिन नियमानुसार पीयूसी प्रमाण-पत्र की फीस 60 से 100 रुपए तक होने के बावजूद 200 रुपए तक वाहन मालिकों से ले लिए जाते हैं। इसके अलावा चार-पहिया वाहनों के लिए 3 से लेकर 5 सौ तक का शुल्क वसूला जा रहा है। कुछ समय पहले तक पीयूसी प्रमाण-पत्र नहीं होने पर ट्रैफिक पुलिस द्वारा 10 हजार का चालान किया जाता था लेकिन इसे अब 1 हजार कर दिया गया है।

नियमों की खुलेआम उड़ाई जा रही हैं धज्जियां

शासकीय नियमानुसार किसी भी वाहन का पीयूसी प्रमाण-पत्र तभी बन सकता है जब उक्त वाहन को अधिकृत केंद्र पर ले जाकर निकास पाइप से उत्सर्जन की जांच की जाए। यह प्रमाण-पत्र नए वाहनों के लिए एक वर्ष और पुराने वाहनों के लिए छह माह के लिए मान्य होता है। इस प्रक्रिया को पहले मैनुअल से ऑनलाइन किया गया ताकि पारदर्शिता बनी रहे, लेकिन निजी फर्मों ने तकनीकी व्यवस्था में सेंध लगाकर अब ऑनलाइन भी फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने का तरीका निकाल लिया है। यहां चिंताजनक बात ये भी है कि कई बार तो वाहन को पीयूसी वैन तक लाए बिना केवल उसकी फोटो अथवा पुराने प्रमाण-पत्र को देखकर ही नया सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है।

पीयूसी बनवाने की वैध प्रक्रिया

वाहन को अधिकृत पीयूसी टेस्टिंग सेंटर पर लाया जाता है।

प्रदूषण संबंधी जांच यहां मौजूद कर्मचारी करता है।

ऑनलाईन पोर्टल पर जाकर कर्मचारी जरूरी जानकारी दर्ज करता है।

पॉल्यूशन टेस्ट पास करने के बाद अधिकारी फीस लेकर पीयूसी सर्टिफिकेट जारी करते हैं।

पूरी सावधानी बरती जाती है

पीयूसी बनाने के लिए शहर में कुल 63 चलित एवं स्थाई केन्द्र स्थित हैं। दरअसल ऑनलाइन सर्टिफिकेट बनवाते समय पोर्टल पर स्वयं ही वाहन संबंधी पूरी जानकारी सामने आ जाती है और इस प्रक्रिया में पूरी सावधानी बरती जाती है।

जितेन्द्र सिंह रघुवंशी, आरटीओ, जबलपुर

Created On :   30 July 2025 3:11 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story