Jabalpur News: फिटनेस की व्यवस्था बदली लेकिन अब भी वाहन मालिक को राहत नहीं

फिटनेस की व्यवस्था बदली लेकिन अब भी वाहन मालिक को राहत नहीं
  • पीड़ितों का आरोप कि आरटीओ में भी यही हाल था, ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन पर भी वही दशा
  • कुछ नहीं बदला, निजी हाथों में फिटनेस कराने से निर्धारित शुल्क से ज्यादा वसूली
  • वाहन फिटनेस प्रमाण पत्र इस बात का प्रमाण है कि वाहन सड़क पर चलने के लायक सुरक्षित है।

Jabalpur News: परिवहन विभाग ने वाहन फिटनेस को एक साल पहले निजी हाथों में सौंप दिया। इंदौर, ग्वालियर, भोपाल और जबलपुर में निजी एटीएस यानी ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन से ये प्रमाण पत्र दिए जाने लगे हैं। इन प्रमाण पत्रों को हासिल करने में लेकिन जबलपुर में अब भी वाहन मालिकों को निर्धारित शुल्क से ज्यादा रुपए देने पड़ रहे हैं। इसको लेकर परिवहन विभाग में लगातार शिकायतें भी की जा रही हैं।

पीड़ितों का कहना है कि आरटीओ में पहले दलाल इसकी ज्यादा वसूली करते थे, इसमें कार्यालय में किसी तरह का अंकुश नहीं था तो वहीं ऐसी दशा निजी केन्द्र में भी है, इसमें कुछ भी नहीं बदल सका है। निजी केन्द्र में अपने वाहनों का फिटनेस कराने वाले आरोप लगा रहे हैं कि उनसे इसमें शुल्क से ज्यादा वसूली की जा रही है। बता दें कि जबलपुर में कुछ माह पूर्व कटंगी बायपास चौराहे पर एक निजी फिटनेस केन्द्र खुला है। इसी से यह फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जा रहा है।

परिवहन आयुक्त से की शिकायत

जबलपुर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने परिवहन आयुक्त से शिकायत की है कि जबलपुर में फिटनेस के नाम पर निर्धारित शुल्क से ज्यादा वसूली की जा रही है। इसको लेकर बस, ट्रक, हाइवा, डम्पर, हैवी व्हीकल, ऑटो जैसे कमर्शियल वाहन मालिकों में आक्रोश है। इस मामले में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी से मिलकर शिकायत की जा चुकी है, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। एसोसिएशन के परमवीर सिंह, सुधीर भागचंदानी, बृजमोहन ठाकुर, श्यामजी, पिं्रसी बंगा, निक्की आहूजा, राजू जैन, जुल्फिकार, पवन जैन आदि ने कहा कि इस मामले को लेकर जल्द कार्रवाई की जाए ताकि वाहन लुटने से बच सकें।

वाहन फिटनेस में क्या देखा जाता है

वाहन फिटनेस प्रमाण पत्र इस बात का प्रमाण है कि वाहन सड़क पर चलने के लायक सुरक्षित है। फिटनेस का प्रमाण मिलने पर आवश्यक नियमों का अनुपालन करना होता है। इसमें वाहन के इंजन की स्थिति, ब्रेक, लाइट, हॉर्न, सस्पेंशन, टायर और समग्र संरचनात्मक अखंडता जैसे विभिन्न पहलू शामिल हैं। इसमें किसी भी एक बिंदु की कमी बताकर वाहन को फिट होने पर भी अनफिट करार किया जा सकता है। इसी को लेकर ज्यादा वसूली की गुंजाइश होती है।

Created On :   4 July 2025 4:23 PM IST

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