राज्य के सरकारी अस्पतालों की 1508 एंबुलेस हैं बीमार

राज्य के सरकारी अस्पतालों की 1508 एंबुलेस हैं बीमार
  • बंद पड़ी एंबुलेस को दुरुस्त करने में स्वास्थ्य परिवहन समिति सुस्त
  • निधि की कमी, वाहनों का रख-रखाव नहीं हो रहा
  • राज्य के सरकारी अस्पतालों में वाहन

डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान. कोरोना काल के समय ही प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में एंबुलेस की कमी का मामला सामने आया था। इसके बावजूद इसमें कोई सुधार नहीं आया है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में 1508 एंबुलेस स्थाई रूप से खराब पाई गई हैं। इसके साथ ही दूर-दराज इलाके में स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए अस्पतालों के पैरा मेडिकल स्टाफ की आवा-जाही के लिए वाहनों में से 450 से अधिक वाहन खराब पड़े हैं। इन वाहनों को दुरुस्त करने की बजाय स्वास्थ्य परिवहन विभाग इनकी सुध तक नहीं ले रहा है।

राज्य के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को 24 घंटे सेवाएं प्रदान करने के लिए एंबुलेस तैनात की गई हैं। लेकिन वर्तमान में कई अस्पतालों में एंबुलेस सेवा बंद पड़ी हैं। प्रदेश के स्वास्थ्य परिवहन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, राज्यभर में 1982 वाहन विभिन्न कारणों से बंद हैं। इनमें से 1508 एंबुलेस और 474 अन्य सेवा वाहन शामिल हैं।

निधि की कमी, वाहनों का रख-रखाव नहीं हो रहा

स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अधिकारियों, नर्सों, कर्मचारियों, प्रशिक्षणार्थयों के लिए सरकार द्वारा कार, जीप, मिनी बस आदि वाहन उपलब्ध कराए जाते हैं, जिसके जरिए राज्य के दूरस्थ, पहाड़ी, आदिवासी क्षेत्र में वे स्वास्थ्य सेवा देने के लिए पहुंचते हैं। इन स्वास्थ्य सेवाओं में नियमित जांच शिविर, टीकाकरण आदि शामिल हैं। इन वाहनों के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी स्थानीय सरकारी अस्पतालों के जिम्मे होती है। लेकिन निधि की कमी के चलते वाहनों का रख-रखाव ठीक तरह से नहीं हो पा रहा है।

राज्य के सरकारी अस्पतालों में वाहन

6,159 स्वास्थ्य सेवाएं वाहन।

4,852 एंबुलेस।

1307 अन्य वाहन।

3,344 एंबुलेस कार्यरत।

1,508 एंबुलेस धूल खा रहीं।

474 वाहन खराब पड़े हैं।

एंबुलेंस की कमी

1982 वाहनों में से 25 वाहन दुर्घटना ग्रस्त हैं तथा 58 वाहन खराब हैं, जबकि 736 वाहन स्क्रैप होने के अंतिम श्रेणी में हैं। इससे कई अस्पतालों में एंबुलेंस की कमी हो गई है। ऐसे में मरीजों को निजी एंबुलेंस पर निर्भर रहना पड़ता है।

किशोर कराले, अतिरिक्त निदेशक-राज्य स्वास्थ्य परिवहन विभाग के मुताबिक कई वाहन अपनी अवधि समाप्त होने के कारण बंद हो गए हैं, जबकि केंद्र सरकार के 15 साल से अधिक वाहनों का उपयोग नहीं करने के फैसले के कारण कई वाहनों को बंद करना पड़ेगा। अधिकारियों से जिलेवार सूची मंगाई जा रही है कि किस विभाग में कितनी वाहन सरकारी नियमानुसार स्क्रैप हो गए हैं और कितने होने की कगार पर है। इसके आधार पर वाहनों की व्यवस्था की जाएगी।


Created On :   21 July 2023 1:15 AM IST

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