पीड़िता को लॉज में चाय पीने का झांसा देकर दुष्कर्म के बयान से आरोपी को मिली जमानत

पीड़िता को लॉज में चाय पीने का झांसा देकर दुष्कर्म के बयान से आरोपी को  मिली जमानत
  • आरोपी के वकील गणेश गुप्ता ने दी अदालत में दलील
  • लॉज में कोई चाय पीने जाता क्या है

डिजिटल डेस्क, मुंबई, शीतला सिंह। आपसी सहमति से महिला और पुरुष के बीच बनाए गए शारीरिक संबंध को दुष्कर्म के अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के एक आरोपी को इसी आधार पर जमानत दे दी। खंडपीठ ने प्रथम दृष्टि पाया कि दो विवाहित महिला और पुरुष के बीच सहमति से शारीरिक संबंध बनाया गया है। ऐसे मामले में दुष्कर्म की धाराओं के तहत आरोपी को संदेह का लाभ मिलता है। न्यायमूर्ति अमित बोरकर की एकलपीठ के समक्ष बुधवार को नेरल के दुष्कर्म के आरोपी की ओर से वकील गणेश गुप्ता की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील गणेश गुप्ता ने दलील दी कि लाज में कोई चाय पीने जाता क्या है? 24 वर्षीय महिला शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता पर लाज में चाय पीने के बहाने ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। याचिका में कहा गया कि शिकायकर्ता की उम्र 24 साल है और शादीशुदा है। उसकी एक बेटी है. वह याचिकाकर्ता के मामा के गांव की रहने वाली है। याचिकाकर्ता फरवरी 2021 में अपने मामा के घर गया था, तो उनकी बस स्टाप पर शिकायतकर्ता महिला से मुलाकात हुई। वह अपनी बाइक बैठा कर उसे लाज में चाय पिलाने के बहाने ले गया. वहां उसने उसके साथ दुष्कर्म किया। याचिकाकर्ता ने इस दौरान महिला की अंतरंग तस्वीरें निकाल लिया। उसने उसे डरा धमका कर उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए। उसने डर कर घटना के बारे में किसी को नहीं बताया। पिछले साल 11 नवंबर को याचिकाकर्ता ने उसे अपने साथ भाग कर ले जाने के लिए बुलाया. उसने उसके साथ जाने से माना कर किया।

याचिकाकर्ता ने उसकी (महिला) अंतरंग तस्वीरें व्हाट्सएप पर उसके पति को भेज दिया। इसके बाद महिला ने नेरल पुलिस स्टेशन में याचिकाकर्ता के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने 1 दिसंबर को उसके (याचिकाकर्ता) के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(एन), 354, 506 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66(2) के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। अदालत ने उसने पुलिस रिमांड के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसने रायगढ़ के पनवेल स्थित सेशन कोर्ट में जमानत की गुहार लगाई। उसका तर्क था कि उसे झूठा फंसाया गया है. उसने कोई अपराध नहीं किया है। जैसा कि पीड़िता ने कहा है। पीड़िता की ओर से उसकी जमानत का विरोध किया गया। निचली अदालत ने उसकी जमानत याचिका खारीज कर दी। इसके बाद उसने हाईकोर्ट में जमानत की याचिका दायर किया। पीठ ने प्रथम दृष्टि पाया कि याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता के बीच आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाया गया है। ऐसे मामले में दुष्कर्म की धाराओं के तहत आरोपी को संदेह का लाभ मिलता है। पीठ ने याचिकाकर्ता को जमानत दे दी।

Created On :   29 Jun 2023 9:14 PM IST

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