Mumbai News: त्रिभाषा नीति को तय करने गठित समिति में सदस्यों की नियुक्ति, 10 हजार पदों पर अनुकंपा नियुक्ति का रास्ता भी साफ

त्रिभाषा नीति को तय करने गठित समिति में सदस्यों की नियुक्ति, 10 हजार पदों पर अनुकंपा नियुक्ति का रास्ता भी साफ
  • राज्य के इतिहास में पहली बार कर्मचारियों के परिजनों को इतनी बड़ी संख्या में मिलेगी नौकरी
  • त्रिभाषा नीति को तय करने गठित समिति में सदस्यों की नियुक्ति

Mumbai News. पिछले कई वर्षों से लंबित अनुकंपा के आधार पर कर्मचारियों की भर्ती का रास्ता अब साफ हो गया है। राज्य सरकार ने अनुकंपा के आधार पर लंबित रिक्तियों को भरने का फैसला किया है। राज्य भर में अनुकंपा के आधार पर चतुर्थ श्रेणी के लगभग 9,658 रिक्त पदों को भरा जाएगा। ये सभी रिक्तियां 15 सितंबर तक भर दी जाएंगी। राज्य के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में अनुकंपा के आधार पर भर्ती की जाएगी। चतुर्थ श्रेणी में भर्ती निजी ठेकेदारों द्वारा की जाती है। हालाँकि, अब राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि अनुकंपा के आधार पर सभी रिक्तियों को भरा जाएगा। परिणामस्वरूप, प्रतीक्षारत लगभग 10 हज़ार उम्मीदवारों का सपना जल्द ही पूरा होगा।राज्य सरकार ने सभी रिक्त पदों को अनुकंपा के आधार पर भरने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसके साथ ही, इस नियुक्ति प्रक्रिया में कई सुधार करके दिवंगत सरकारी कर्मचारियों के परिवारों को बड़ी राहत देने का प्रयास किया है। यह प्रक्रिया 15 सितंबर, 2025 से जिलाधिकारी के मार्गदर्शन में लागू की जाएगी।

क्या है अनुकंपा नीति?

अनुकंपा नीति राज्य के सरकारी और अर्ध-सरकारी संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों की सेवाकाल के दौरान मृत्यु होने पर उनके परिवार के पात्र उत्तराधिकारियों को नौकरी देने का प्रावधान करती है। यह नीति 1973 से लागू है और समय-समय पर इसमें संशोधन किए गए हैं। इस नीति के अनुसार, कर्मचारियों के परिवारों को ग्रुप-सी और ग्रुप-डी के पदों पर यह छूट मिलती है। राज्य में अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियां लंबे समय से लंबित थीं। इसमें नगर निगमों, नगर पालिकाओं और जिला परिषदों में कुल 9,568 उम्मीदवार प्रतीक्षारत हैं। इनमें से सबसे अधिक 5,228 उम्मीदवार नगर निगमों से, 3,705 जिला परिषदों से और 725 उम्मीदवार नगर पालिकाओं से हैं। सबसे अधिक 506 उम्मीदवार नांदेड़ जिले में प्रतीक्षारत हैं, उसके बाद पुणे (348), गढ़चिरौली (322) और नागपुर (320) हैं।

त्रिभाषा नीति को तय करने गठित समिति में सदस्यों की नियुक्ति

उधर प्रदेश सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के तहत त्रिभाषा नीति को तय करने के लिए गठित शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता वाली समिति में सदस्यों को नियुक्त किया है। शुक्रवार को राज्य के स्कूली शिक्षा विभाग की तरफ से इस संबंध में शासनादेश जारी किया है। इसके अनुसार इस समिति को अगले तीन महीने में सरकार को रिपोर्ट देना होगा। इस समिति में सदस्य के रूप में भाषा सलाहकार समिति के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सदानंद मोरे, नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) के निदेशक डॉ. वामन केंद्रे, पुणे की शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. अपर्णा मॉरिस, पुणे के डेक्कन कॉलेज की भाषा विज्ञान प्रमुख सोनाली कुलकर्णी- जोशी, छत्रपति संभाजीनगर की शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. मधुश्री सावजी, पुणे के बाल मनोवैज्ञानिक डॉ. भूषण शुक्ल को शामिल किया गया है। जबकि समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक संजय यादव समिति के सदस्य सचिव होंगे। बीते जून महीने में सरकार ने ने त्रिभाषा फॉर्मूले के तहत कक्षा पहली से पांचवीं तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों मंे हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाने का फैसला लिया था। लेकिन सरकार के इस फैसले का शिवसेना (उद्धव) और मनसे ने कड़ा विरोध किया था। विपक्षी दलों के विरोध के बाद सरकार ने हिंदी पढ़ाने के शासनादेश को रद्द कर दिया था। इसके बाद सरकार ने त्रिभाषा नीति तय करने के लिए नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में समिति बनाई थी।



Created On :   5 Sept 2025 9:57 PM IST

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