बॉम्बे हाई कोर्ट: पूर्व मुख्य सचिव सुजाता सौनिक के खिलाफ जमानती वारंट पर लगाई रोक, घरेलू हिंसा के मामले में केवल पत्नी को अदालत चुनने का अधिकार

पूर्व मुख्य सचिव सुजाता सौनिक के खिलाफ जमानती वारंट पर लगाई रोक, घरेलू हिंसा के मामले में केवल पत्नी को अदालत चुनने का अधिकार
  • अदालत ने पति की याचिका खारिज करते हुए लगाया 1 लाख का जुर्माना
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य की पूर्व मुख्य सचिव सुजाता सौनिक के खिलाफ जमानती वारंट पर लगाई रोक

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति की पत्नी के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए उस पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि घरेलू हिंसा के मामले में केवल पत्नी को सुनवाई के लिए अदालत चुनने का अधिकार है। न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की एकल पीठ के समक्ष पति की याचिका सुनवाई हुई। याचिका में दावा किया गया कि बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट और फैमिली कोर्ट में कई मामले लंबित हैं। इसलिए परस्पर विरोधी फैसले आने की संभावना है। इसलिए बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट के मामले को फैमिली कोर्ट में स्थानांतरित की जाए। पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उसकी दलील को स्वीकार नहीं की जा सकती है। पीठ ने यह भी कहा कि पति ने गायत्री गोखले (पत्नी की वकील) पर जुर्माना लगाने के अनुरोध को स्वीकार करके अदालत का समय बर्बाद किया है। पीठ ने याचिकाकर्ता पर ही 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया और जुर्माने की रकम पत्नी को देने का निर्देश दिया है। पति ने घरेलू हिंसा के मामले को बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट में लंबित मामलों को फैमिली कोर्ट में स्थानांतरित में स्थानांतरित करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अदालत ने पाया कि पत्नी द्वारा दायर तीन अन्य मामले अभी भी मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष लंबित हैं। पति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए (पति द्वारा क्रूरता) के तहत एक मामला दर्ज है, जिसके लिए पहले ही आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है। दूसरा मामला झूठी गवाही से संबंधित है। पति को कोई राहत देने से इनकार करते हुए पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया, जो इस बात पर जोर देते हैं कि वैवाहिक या घरेलू हिंसा के मामलों को स्थानांतरित करते समय भारतीय समाज की सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं को देखते हुए पत्नी की सुविधा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ऐसे में मामले के स्थानांतरण के अनुरोधों पर निर्णय लेते समय पत्नी की सुविधा को सर्वोपरि रखा गया है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य की पूर्व मुख्य सचिव सुजाता सौनिक के खिलाफ जमानती वारंट पर लगाई रोक

इसके इलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य की पूर्व मुख्य सचिव सुजाता सौनिक के खिलाफ जमानती वारंट पर रोक लगा दी है। अदालत ने उनके बिना शर्त माफी मांगने और अदालत में पेश होने के आश्वासन को स्वीकार कर लिया है। न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति अश्विन भोबे की पीठ के समक्ष राम अर्जुनराव शेटे और अनिल वसंतराव पलांडे सहित कई शिक्षकों द्वारा दायर दो अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई हुई। याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार पुरस्कार विजेता शिक्षकों को दोगुना वेतन वृद्धि देने के फैसले को लागू करने में विफल रही है। जब ये याचिकाएं 2022 में दायर की गई थीं, उस समय सौनिक अतिरिक्त मुख्य सचिव (सामान्य प्रशासन विभाग) के पद पर कार्यरत थीं। पीठ ने कहा कि कई अवसर दिए जाने के बावजूद उन्होंने न तो आदेशों का पालन किया और न ही उचित जवाब दाखिल किया, जिसके कारण अदालत ने इस महीने की शुरुआत में जमानती वारंट जारी किया। सौनिक ने अपने वकील मनीषा जगताप के माध्यम से 15 अक्टूबर 2025 को वारंट जारी करने के आदेश को वापस लेने का अनुरोध करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी और बताया कि स्थानांतरण और अंततः सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने मामले में अपनी भूमिका को गलत समझा था। सौनिक ने फरवरी 2014 में ही एक हलफनामा दायर कर अदालत को अपने स्थानांतरण की सूचना दी थी और अवमानना की कार्यवाही से हटाने का अनुरोध किया था। उनकी उत्तराधिकारी, वी.राधा ने भी 2015 में बिना शर्त माफी मांगी थी। इसके बावजूद 5 अगस्त 2025 को हाई कोर्ट के एक बेलिफ ने सौनिक के आवास पर नोटिस तामील करने का प्रयास किया। जबकि नोटिस वर्तमान में पद पर आसीन अधिकारी के नाम भेजा जाना चाहिए। वकील जगताप ने पीठ को बताया कि उनकी मुवक्किल को यह पक्का यकीन था कि अब उन्हें इस मामले में भाग लेने की आवश्यकता नहीं है। उनकी ओर से अदालत के अधिकार का अनादर करने या उसकी प्रक्रिया में बाधा डालने का कोई इरादा नहीं था। उनके स्पष्टीकरण और 26 नवंबर 2025 को अदालत में पेश होने के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए पीठ ने उनके खिलाफ जारी जमानती वारंट पर रोक लगाने का फैसला किया। 1987 बैच की आईएएस अधिकारी सुजाता सौनिक 30 जून, 2024 को महाराष्ट्र की पहली महिला मुख्य सचिव बनीं। वह सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद थीं।

Created On :   31 Oct 2025 8:56 PM IST

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