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Mumbai News: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में उद्धव ठाकरे को जांच आयोग का नोटिस, राजनीति गरमाई

- चुनाव से पहले राजनीति गरमाई
- भीमा कोरेगांव हिंसा मामले से जुड़ी खबर
- उद्धव ठाकरे को जांच आयोग का नोटिस
Mumbai News. भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (उद्धव) पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे को राज्य सरकार द्वारा गठित जांच आयोग की ओर से कारण बताओ नोटिस भेजे जाने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई है। उद्धव गुट ने इसे राजनीतिक साजिश बताते हुए कहा है कि आगामी चुनावों से पहले उद्धव ठाकरे को परेशान करने की कोशिश की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक जस्टिस जे.एन. पटेल आयोग ने उद्धव ठाकरे को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजा है। आयोग यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि 1 जनवरी 2018 को पुणे के भीमा कोरेगांव में हुई जातीय हिंसा के दौरान और उसके बाद राज्य सरकार की ओर से क्या कदम उठाए गए थे। उस समय ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी की सरकार थी।
दरअसल वंचित बहुजन आघाडी के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर, जो इस मामले में एक गवाह भी हैं ने इसी साल फरवरी में एक आवेदन दायर किया था। उन्होंने जांच आयोग से आग्रह किया था कि ठाकरे को निर्देश दिया जाए कि वे उन दस्तावेजों को प्रस्तुत करें जो शरद पवार ने साल 2020 में जमा किए थे। इन दस्तावेजों में कथित तौर पर यह उल्लेख था कि कुछ दक्षिणपंथी संगठनों का भीमा कोरेगांव हिंसा में हाथ था। आयोग के अनुसार उद्धव ठाकरे को इस संबंध में 12 सितंबर और 27 अक्टूबर को नोटिस भेजे गए थे, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला।
इसके बाद आंबेडकर ने अपने वकील किरण कदम के माध्यम से आवेदन दाखिल कर ठाकरे के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने की मांग की। अब आयोग ने ठाकरे से यह स्पष्ट करने को कहा है कि उनके खिलाफ वारंट जारी करने की मांग को क्यों न स्वीकार किया जाए। आयोग ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर ठाकरे या उनके कानूनी प्रतिनिधि 2 दिसंबर को पेश नहीं हुए, तो कानून के तहत आगे की कार्रवाई की जाएगी।
शिवसेना (उद्धव) प्रवक्ता आनंद दुबे ने इस नोटिस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह कदम पूरी तरह से राजनीतिक है और इसका उद्देश्य आगामी चुनाव से पहले विपक्षी नेताओं की छवि धूमिल करना है। दुबे ने कहा कि भीमा कोरेगांव की घटना कई साल पुरानी है। जब भाजपा को कोई मुद्दा नहीं मिलता, तो वे जांच एजेंसियों या आयोगों का इस्तेमाल कर विपक्ष को डराने की कोशिश करते हैं। उद्धव ठाकरे किसी दबाव में आने वाले नहीं हैं। भीमा कोरेगांव हिंसा वर्ष 2018 में उस समय हुई थी जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई और कई घायल हो गए थे। इस घटना ने महाराष्ट्र की राजनीति में सामाजिक और जातीय समीकरणों को झकझोर दिया था।
Created On :   31 Oct 2025 8:39 PM IST












