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मंत्रिमंडल की मंजूरी: नाशिक में स्थापित होगा बांस क्लस्टर, आंबेडकर की शिक्षा संस्थानों के विकास के लिए स्वतंत्र योजना

- 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश, पांच लाख रोजगार होगा सृजित
- महाराष्ट्र बांस उद्योग नीति को राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी
- आंबेडकर की शिक्षा संस्थानों के विकास के लिए स्वतंत्र योजना मंजूर
Mumbai News. महाराष्ट्र बांस उद्योग नीति-2025 को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। बांस उद्योग नीति की अवधि पांच साल की होगी। इस पांच साल की अवधि और उसके बाद दस साल में राज्य में 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश अनुमानित है। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पांच लाख से अधिक रोजगार सृजित हो सकेगा। यह नीति राष्ट्रीय बांस मिशन और महाराष्ट्र मिशन 2023 के अनुरूप होगी। राज्य में प्रक्रिया और उत्पादन के लिए समर्पित 15 बांस क्लस्टर स्थापित होगा। इसमें नाशिक, पुणे, नागपुर, छत्रपति संभाजीनगर, नंदूरबार, बुलढाणा, लातूर, अमरावती, यवतमाल, गडचिरोली, रत्नागिरी, कोल्हापुर, सिंधुदुर्ग समेत अन्य जिलों में बांस क्लस्टर बनाया जाएगा। राज्य में किसानों को पर्यावरण पूरक और शाश्वत आय का विकल्प उपलब्ध हो सकेगा। वैश्विक स्तर और देश के भीतर बांस उत्पादन में महाराष्ट्र का स्थान और मजबूत किया जाएगा।
बांस उत्पादन को प्रोत्साहन
इस नीति के तहत बांस किसान उत्पादक संगठन, ठेका खेती, ऊर्जा, उद्योग और अन्य घरेलू क्षेत्र में बांस के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके लिए आधारभूत सुविधा के रूप में एंकर यूनिट्स और सामायिक सुविधा केंद्र शुरू किया जाएगा। इसके अलावा सुदूर इलाकों में बांस कारीगरों के लिए सूक्ष्म सामायिक सुविधा केंद्र शुरू किया जाएगा। बांस अनुसंधान और विकास के लिए कृषि विश्वविद्यालय का सहयोग लिया जाएगा। किसानों तक जानकारी पहुंचाने और प्रशिक्षण के लिए कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसके लिए आवश्यक अंतरराष्ट्रीय संस्था के साथ सामंजस्य करार किया जाएगा।
बांस प्रक्रिया उद्योगों को रियायत
बांस प्रक्रिया उद्योगों को ब्याज अनुदान, बिजली अनुदान, मुद्रांक शुल्क और बिजली शुल्क में रियायत दी जाएगी। इसके अलावा बांस के क्षेत्र में नवोन्मेषी आधारित स्टार्टअप और सुक्ष्म, लघु व मध्यम उपक्रम के लिए वेंचर कैपिटल फंड के रूप में 300 करोड़ रुपए प्रावधान किया गया है। महाराष्ट्र में एशियाई विकास बैंक के सहयोग से बांस विकास परियोजना शुरू है। इशके लिए लगभग 4 हजार 271 करोड़ रुपए का प्राथमिक रिपोर्ट केंद्र सरकार के पास भेजी गई है। इस परियोजना के जरिए किसान उत्पादन कंपनी को दर्जेदार पौधों के उत्पादन, अनुदान और प्रशिक्षण के लिए मार्गदर्शन दिया जाएगा।
बांस बायोमास का इस्तेमाल
राज्य के औष्णिक ऊर्जा परियोजना में 5 से 7 प्रतिशत बांस बायोमास का इस्तेमाल किया जाएगा। जीआईएस, एमआईएस, ब्लॉकचैन, ड्रोन, टिशू कल्चर लैब आदि के माध्यम से बांस मूल्य श्रृंखला विकास के लिए नई तकनीकी और अनुसंधान को गति दी जाएगी। मनरेगा और सार्वजनिक रूप से खाली जमीनों पर बांस के पौधे लगाए जाएंगे।
1 हजार 534 करोड़ का प्रावधान
महाराष्ट्र बांस नीति 2025-2030 तक के लिए 1 हजार 534 करोड़ रुपए के प्रावधान को मंजूरी दी गई है। जबकि 20 साल की अवधि के लिए 11 हजार 797 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। वर्तमान आर्थिक वर्ष में इस नीति को लागू करने के लिए 50 करोड़ रुपए की निधि उपलब्ध कराने को मान्यता दी गई है।
28 हजार करोड़ रुपए भारत में बांस उद्योग
विश्व स्तर पर बांस का बाजार 2030 तक 88.43 अरब अमेरिकन डॉलर्स होने का अनुमान है। फिलहाल भारत में बांस का निर्यात 2.3 प्रतिशत है। भारत में बांस उद्योग 28 हजार करोड़ रुपए और बांस का वन क्षेत्र 4 प्रतिशत है। देश में प्रति वर्ष बांस उत्पादन क्षमता 32 लाख 3 हजार टन है।
बांस उत्पादन में महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर
भारत में महाराष्ट्र बांस उत्पादन क्षेत्र के मामले में तीसरे स्थान पर है। महाराष्ट्र में साल 2022 में बांस उत्पादन 9 लाख 47 हजार टन था। फिलहाल अमरावती, सिंधुदुर्ग और भंडारा जिला उत्पादन की दृष्टि से बांस क्लस्टर्स है। महाराष्ट्र में उपलब्ध बंजर भूमि के मद्देनजर बांस उत्पादन क्षमता प्रतिवर्ष 157.12 लाख टन तक बढ़ सकती है।
आंबेडकर की शिक्षा संस्थानों के विकास के लिए स्वतंत्र योजना मंजूर
इसके अलावा राज्य मंत्रिमंडल ने भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के दि पीपल्स एज्युकेशन सोसायटी के विकास के लिए स्वतंत्र योजना लागू करने को मान्यता प्रदान की है। इससे आंबेडकर द्वारा स्थापित नौ शिक्षा संस्थानों और दो छात्रावासों की इमारतों का जीर्णोद्धार, जतन और संवर्धन हो सकेगा। इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया गया है। इससे प्रत्येक वर्ष के लिए पांच साल तक 100 करोड़ रुपए उपलब्ध कराया जाएगा। आंबेडकर ने शिक्षा के प्रसार के लिए 8 जुलाई 1945 को पीपल्स एज्युकेशन सोसायटी स्थापित की थी। इस संस्था के माध्यम से साल 1946 में मुंबई में सिद्धार्थ कला व विज्ञान महाविद्यालय, सिद्धार्थ नाइट हाइस्कूल, साल 1950 में छत्रपति संभाजीनगर में मिलिंद कला महाविद्यालय, मिलिंद विज्ञान महाविद्यालय, साल 1955 में मिलिंद मल्टीपर्पज हाइस्कूल और मिलिंद प्री प्राइमरी इंग्लिश स्कूल, साल 1956 में छत्रपति संभाजीनगर में मिलिंद महाविद्यालय, साल 1953 में मुंबई में सिद्धार्थ वाणिज्य व अर्थशास्त्र महाविद्यालय, साल 1956 में सिद्धार्थ विधि महाविद्यालय, डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर वाणिज्य व अर्थशास्त्र महाविद्यालय (वडाला) शुरू किया गया। इसके साथ ही छत्रपति संभाजीनगर के अजिंठा बॉईज होस्टेल और प्रज्ञा छात्राओं का छात्रावास शुरू किया गया। इससे पहले राज्य सरकार ने 9 अक्टूबर 2015 को डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर की 125 वीं जयंती वर्ष के मौके पर उनके जीवन से संबंधित स्थलों का विकास करने का फैसला लिया था। इसी के तहत अब मंत्रिमंडल ने नौ महाविद्यालयों और दो छात्रावासों के जतन और संवर्धन को मंजूरी दी है।
Created On :   14 Oct 2025 10:18 PM IST