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भास्कर एक्सक्लूसिव : रेल नीर का खेल, क्वालिटी कंट्रोल में फिर हुआ फेल
- जांच लेबोरेटी में सैंपल तय मानकों में पास नहीं हुआ
- रेल नीर का खेल
- क्वालिटी कंट्रोल में फिर हुआ फेल
डिजिटल डेस्क, मुंबई, सुजीत गुप्ता। रेलवे स्टेशनों पर बिकने वाले अन्य ब्रांड के बंद बोतल पानी के मुकाबले रेलनीर स्टेशनों और ट्रेनों में किफायती दरों में यात्रियों को बेचा जाता है, इसलिए रेल यात्री इसे ज्यादा खरीदते हैं। लेकिन जब भारतीय रेलवे का रेलनीर ब्रांड पानी की गुणवत्ता पर ही खरा न उतरे, तो सवाल उठना स्वाभाविक है। दरअसल, भारतीय रेलवे में सबसे अधिक बिकने वाला रेलनीर बोतल बंद पानी क्वालिटी कंट्रोल के मामले में फिर एक बार फेल साबित हुआ है। वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी पश्चिम रेल, सूरत द्वारा रेल नीर के सैंपल की क्वालिटी जांच लेबोरेटी में कराई गई तो यह सैंपल तय मानकों में पास नहीं हुआ और जांच में अनफिट पाए जाने पर यह सैंपल फेल साबित हुआ। अब सवाल यह भी उठता है कि जब रेल नीर क्वालिटी कंट्रोल के मामले में फिट नहीं है, तो फूड सेफ्टी के कड़े नियमों में यह दूर-दूर तक खरा नहीं उतर सकता है।
सूरत स्टेशन प्लेटफार्म से लिया रेलनीर का पानी सैंपल
जानकारी के मुताबिक 23 मार्च 2023 को पश्चिम रेलवे के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी, नरेश कुमार ने रेलनीर का पानी सैंपल सूरत स्टेशन प्लेटफार्म नंबर 2/3 से महेश चंद्र ट्रॉली नंबर 33 से लिया था। सैंपल लेने के बाद रेलनीर की जांच सूरत मनपा के पब्लिक हेल्थ लेबोरेटी में की गई। 29 मार्च 2023 को जब जांच रिपोर्ट आई, तो पश्चिम रेलवे के स्वास्थ अधिकारियों के होश ही उड़ गए। रिपोर्ट में रेल नीर के सैंपल फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के तय मानक पर खरे उतरे ही नहीं।
केस अभी भी पैंडिंग
पहले भी रेलनीर पीएफए के नियमों में खरा नहीं उतारा, जिसका केस जानबूझ कर लेटलतीफी से दायर करा गया । यह केस अब भी सूरत कोर्ट में पेंडिंग है। ऐसे में दूसरी बार सैंपल फेल होना यात्रियों की सेहत से सीधे खिलवाड़ है और अराजकता के आरोपों के कटघरे में खड़ी भारतीय रेल के मुंह पर एक काला धब्बा है ।
बनाया जाता है दबाव
सैंपल फेल होने के बाद आईआरसीटीसी के रेल अधिकारियों के द्वारा स्वास्थ्य निरीक्षक और फूड सेफ्टी ऑफिसरों पर रेलनीर के सैंपल न लेने का दबाव बनाया जाता है, जिसके चलते रेलनीर की क्वालिटी और फूड सेफ्टी मानकों का सटीक परिणाम नहीं मिलता। इस बात की पुष्टि पिछले पांच वर्षों में एफएसएसआई के तहत लिए गए रेलनीर के नमूनों की जांच से हो जाती है।
पहले भी हो चुका है सैंपल फेल
साल 2015 में रेलनीर फूड सेफ्टी सैंपल में फेल हो गया था। 23 अक्टूबर 2015 को वडोदरा के भरूच रेलवे स्टेशन से यह सैंपल प्लेटफार्म नंबर 4/5 के ए यू मलिक टी एंड रेस्टोरेंट स्टॉल से लिया गया था।
सुबोध जैन, पूर्व सदस्य इंजीनियरिंग, रेलवे बोर्ड के मुताबिक रेलनीर पानी का सैंपल फेल होना रेलनीर और आईआरसीटीसी की साख पर सवाल खड़े करता है। पानी के सैंपल की जांच के फेल होने से सबसे ज्यादा उन यात्रियों के स्वास्थ पर बुरा असर पड़ेगा, जो यात्री खाली पेट पानी पीते हैं। गर्मी के सीजन में अधिकतर यात्री दोपहर के समय सफर के दौरान भोजन करने से बचते हैं। ऐसे में रेलनीर पानी का सैंपल फेल होना दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
सिद्धार्थ सिंह, एजीएम दिल्ली ,आईआरसीटीसी के मुताबिक लैब ने स्पष्ट रूप से एफएसएसएआई के संशोधित टीडीएस दिशा-निर्देशों (75 पीपीएम से 500 पीपीएम) के अनुसार, नमूने को अनफिट/घटिया घोषित कर दिया है, जो 01-07-2023 से वैध होगा। हालांकि 30.06.2023 तक लैब रिपोर्ट की तारीख के अनुसार, 0 से 500 पीपीएम तक टीडीएस मान्य है।
Created On :   27 Jun 2023 2:15 AM IST