अभियान: महाराष्ट्र में शिक्षकों की मदद से चलेगा समाज को तंबाकू मुक्त करने का अभियान

महाराष्ट्र में शिक्षकों की मदद से चलेगा समाज को तंबाकू मुक्त करने का अभियान
  • बिहार में सफलता के बाद राज्य में शुरू हुआ अभियान
  • बिहार में मिले हैं बेहतर परिणाम
  • युवाओं में बढ़ रही लत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के 27 फीसदी लोग तंबाकू सेवन के चलते होने वाली परेशानियों से जूझ रहे हैं लेकिन इसका सेवन करने वालों की संख्या घट नहीं रही है। यहा तक कि पाबंदी के बावजूद स्कूली छात्र और शिक्षक भी तंबाकू की लत का शिकार हो रहे हैं इसीलिए राज्य के शिक्षकों की मदद से अब समाज को तंबाकू मुक्त बनाने का अभियान शुरू किया जा रहा है। राज्य के स्वास्थ्य और स्कूली शिक्षा विभाग की मदद से स्वयंसेवी संस्था ने ‘तंबाकू मुक्त शिक्षक, तंबाकू मुक्त समाज’ की पहल की है। स्वयंसेवी संस्था हिलीस सेखसारिया इंस्टिट्यूट फॉर पब्लिक हेल्थ के निदेशक (नवी मुंबई) डॉ मंगेश पेडणेकर ने कहा कि इस अभियान से सरकारी और निजी दोनों तरह के स्कूलों के शिक्षकों को जोड़ा जाएगा।

शिक्षक न सिर्फ विद्यार्थियों बल्कि समाज को भी जागरूक कर सकते हैं। हमने राज्य के शिक्षकों के लिए एक संदर्शिका तैयार की है जिसकी मदद से वे उदाहरणों के साथ तंबाकू से होने वाले नुकसान के बारे में खुद समझने के साथ दूसरों को भी समझा सकते हैं। पेडणेकर ने कहा कि तंबाकू सेवन के चलते होने वाली परेशानियों की वजह से देश में रोजाना 3700 लोगों की जान चली जाती है। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग कैंसर के साथ श्वसन, दिल संबंधी बीमारी का भी शिकार हो रहे हैं। पुराने अनुभव के आधार पर हमें भरोसा है कि इस मुहिम के महाराष्ट्र में भी सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

बिहार में मिले हैं बेहतर परिणाम

इससे पहले हिलीस सेखसारिया इंस्टिट्यूट फॉर पब्लिक हेल्थ ने अमेरिका में स्थित हॉरवर्ड टी एच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और डाना फारबर कैंसर ने बिहार शिक्षा विभाग के साथ मिलकर चुनिंदा विद्यालयों में इसी तरह की पहल की थी जिसके उत्साहवर्धक नतीजे सामने आए थे और 92 फीसदी विद्यालयों को तंबाकू मुक्त करने में सफलता मिली थी साथ ही इलाके के 50 फीसदी लोगों ने जागरूकता अभियान के बाद तंबाकू का सेवन बंद कर दिया था।

युवाओं में बढ़ रही लत

राज्य में साल 2009-10 में 15 से 17 साल के किशोरों के बीच किए गए सर्वे में खुलासा हुआ था कि उनसें से 3 फीसदी तंबाकू जनित पदार्थों का सेवन करते हैं साल 2022-23 में यह आंकड़ा बढ़कर 6 फीसदी पहुंच गया था। हालांकि तंबाकू का सेवन करने वालों की कुल संख्या कुछ कम हुई है साल 2009-10 में 31 फीसदी लोगों ने तंबाकूजनित पदार्थों के सेवन की बात स्वीकार की थी जो साल 2016-17 में 27 फीसदी रह गई थी।

ऐसे चलेगा अभियान

मुख्याध्यापकों और शिक्षकों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि स्कूल परिसर में तंबाकू का सेवन करने वालों पर वे जुर्माना लगा सकते हैं उन्हें यह समझाया जाएगा। स्कूलों में तंबाकू से होने वाले नुकसान को लेकर पाठ्यसामग्री उपलब्ध कराई जाएगी, परिचर्चा, भित्तिचित्रों आदि की मदद से भी तंबाकू को लेकर जागरूकता फैलाई जाएगी। शिक्षकों से आग्रह किया जाएगा कि वे स्कूल में विद्यार्थियों से साथ समाज में भी तंबाकू को लेकर लोगों को जागरूक करें।



Created On :   24 Jan 2024 3:59 PM GMT

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