हौसला: अनुवांशिक बीमारी से पीड़ित बच्चे ने नहीं हारी हिम्मत, अपने बनाए चित्रों से उठा रहा इलाज का खर्च

अनुवांशिक बीमारी से पीड़ित बच्चे ने नहीं हारी हिम्मत, अपने बनाए चित्रों से उठा रहा इलाज का खर्च
  • अपने बनाए चित्रों से मासूम उठा रहा 2.5 करोड़ रुपए के इलाज का खर्च
  • धीरे-धीरे शरीर के कई अंगों ने काम करना किया बंद
  • अपनी कल्पना से चित्रों को कैनवास पर उतारता है

डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान। कलाकार अपनी कला को जिंदगी समझता, ऐसे में एक कलाकार ऐसा भी है जो अपनी कला के जरिए अपनी जिंदगी संवार रहा है। 13 साल के कलाकार अयान जरीवाला को अपनी कला के जरिए हर सप्ताह 5 लाख रुपए जुटाना होता है। इसका कारण है कि यह किशोर कलाकार डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) से पीड़ित है। इस अनुवांशिक विकार से पीड़ित अयान अपनी पेंटिंग के जरिए अपने इलाज का खर्च निकालता है। अहमदाबाद का रहनेवाला 13 वर्षीय मासूम वहां के रिवर साइड स्कूल के आठवीं कक्षा का छात्र है। यूनेस्को की "द वॉटर वी वांट' प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार विजेता बने 13 वर्षीय अयान में अनुवांशिक विकार डीएमडी का पता 4 साल की उम्र में लगा था। इस विकार से ग्रस्त बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ पैदा होता है, लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होता है, वह मांसपेशियों का उपयोग खो देता है। जब बच्चा 10 वर्ष का हो जाता है तो लक्षण काफी हद तक बढ़ जाते हैं। वर्तमान में अयान का सिर्फ हाथ ही काम कर पा रहा है। इन्हीं हाथों से वह अपनी कल्पना के चित्र को कैनवास पर उतारता है। इन्हीं चित्रों की बिक्री से वह अपने इलाज का खर्च वहन करता है। इन दिनों अयान के पेंटिंग की प्रदर्शनी प्रभादेवी के आहूजा टॉवर में लगी है।

पेंटिंग के किरदारों से भी करता है बात

अयान के पिता जुबैर ने बताया कि अयान पेंटिंग बनाने के दौरान उन किरदारों से भी बात करता है, जिनकी पेंटिंग वह बना रहा होता है। अगर वह किसी पशु-पक्षियों की पेंटिंग बनाता है, तो उस समय वह आवाज निकालता है मानो वह उनसे बात कर रहा हो। उन्होंने बताया कि सात साल की उम्र में उसमें चित्रकारी का शौक पैदा हुआ। अपनी पहली पेंटिंग उसने वाराणसी के प्राचीन स्थलों की बनाई, जबकि वह कभी वाराणसी गया ही नहीं था। उसने अपनी कल्पना से ही वहां के प्राचीन स्थलों को कैनवास पर साकार किया। सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, यूएस और दुबई में भी अयान की पेंटिंग छाई हुई है।

जापान से मंगानी पड़ती है दवाई

जुबैर के मुताबिक अयान के इलाज के लिए जापान से ‘विलटेप्सो' दवाई आयात की जाती है। हर सप्ताह अयान को इस दवाई की 15 वायल डोज लगती है। इसके लिए सप्ताह में 5 लाख तो सालाना 2.5 करोड़ रुपए का खर्च आता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में अयान के कंधे की मांसपेशियां काम कर रही हैं लेकिन वह अपने पैर नहीं हिला सकता।

पीएम को देना चाहते हैं पेंटिंग

जुबैर ने बताया कि वह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को अयान की वाराणसी पर नई पेंटिंग और महाभारत की अनकही कहानियों पर चित्रों की एक श्रृंखला भेंट स्वरूप देना चाहते हैं।

Created On :   6 Feb 2024 11:46 AM GMT

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