सुविधा : महाराष्ट्र के सभी जेलों में कैदियों को मिलेंगे अब बिछौने और तकिए

सुविधा : महाराष्ट्र के सभी जेलों में कैदियों को मिलेंगे अब बिछौने और तकिए
  • पहले सिर्फ 50 साल से अधिक उम्र के अंडर ट्रायल कैदियों को मिलती थी सुविधा
  • सभी जेलों में कैदियों को मिलेंगे अब बिछौने और तकिए

डिजिटल डेस्क, मुंबई, अखिलेश तिवारी। जेल में सजा काट रहे कैदियों को अब बिछौने और तकिए मिलेंगे, यह बात सुनकर थोड़ा अटपटा लग सकता है, लेकिन जेल प्रशासन ने अब सभी जेल के अधीक्षकों के साथ बैठक कर कैदियों की समस्या को जानने के बाद यह आदेश पारित किया है कि अब 40 साल से ज्यादा उम्र के पुरुष कैदी व सभी महिला कैदी अपने स्वयं के खर्च से मोटे बिछौने और तकिए खरीद सकते हैं।

महाराष्ट्र राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और महानिरीक्षक, जेल और सुधार सेवाएं, अमिताभ गुप्ता ने बताया कि अब तक 50 साल से अधिक उम्र के अंडर ट्रायल कैदियों को यह सुविधा मिलती थी, लेकिन अब 40 साल से अधिक उम्र के पुरुष कैदी चाहे जिस अपराध में सजा काट रहे हों और सभी महिला कैदी अपने स्वतः के खर्चे पर बिछौने और तकिए खरीद सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, कैदियों की तरफ से अक्सर यह अनुरोध किया जाता था कि बारिश और ठंड के दिनों में जमीन पर सोने से उन्हें कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इन सबका अध्ययन करने के बाद जेल प्रशासन ने यह निर्णय लिया है कि 40 साल से अधिक उम्र के पुरुष कैदी अपने खर्चे पर बिस्तर खरीद सकेंगे। कैदियों के यह बिछौने और तकिए जेल कैंटीन में ही मिल जाएंगे। इसका प्रोडक्शन भी जेल में ही सजायाफ्ता कैदी करेंगे।

महाराष्ट्र में कितनी जेल

महाराष्ट्र में सेंट्रल और जिला कारागार गृह मिलाकर कुल 60 जेल हैं, जिनमें 42 हजार कैदी बंद हैं। सूत्रों के मुताबिक, 25 फीसदी से ज्यादा ऐसे कैदी हैं, जो 40 साल के ऊपर के हैं। इन कैदियों से जेल में जो काम कराया जाता है, उसका इन्हें मेहनताना दिया जाता है। जेल से छूटते वक्त उनके जमा पैसे को कैदियों को वापस दे दिया जाता है। इन्हीं जमा रकम में से कैदी अपने लिए कैंटीन से जरूरी सामान खरीदते हैं। कैंटीन में अब बिछौने और तकिए को भी शामिल कर लिए गए हैं।

कैदियों की परेशानियों पर दिया ध्यान

जेल प्रशासन ने कैदियों की परेशानियों पर गौर किया। कैदियों को बिना बिछौने के सोने पर शरीर में अकड़न की शिकायत उत्पन्न हो रही थी, फर्श ठंडा होने के कारण नींद पूरी नहीं होती थी। बहुत से कैदी डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन जैसी बीमारी के शिकार होते हैं। ऐसे कैदियों को और भी दिक्क्तें सामने आ रही थीं। महिला कैदी, जो दुधमुंहे बच्चों के साथ सजा काट रही हैं, उनके बच्चे ठंडे लगने के कारण बीमार हो जाते थे।

Created On :   27 Jun 2023 1:30 AM IST

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