Mumbai News: कोल्हापुर में टाइगर के तर्ज पर हाथी रिजर्व बनाना संभव नहीं, विकल्प तलाशने दिए थे निर्देश

कोल्हापुर में टाइगर के तर्ज पर हाथी रिजर्व बनाना संभव नहीं, विकल्प तलाशने दिए थे निर्देश
  • साल 2023 में तत्कालीन वन मंत्री ने हाथी परियोजना के लिए विकल्प तलाशने दिए थे निर्देश
  • वन विभाग के अफसर ने कहा- व्यावहारिक नहीं होगी परियोजना
  • केवल माधुरी हथिनी के लिए बनाया जाएगा पुनर्वास केंद्र

Mumbai News. टाइगर परियोजना के तर्ज पर महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हाथी रिजर्व बनाने संभव नहीं है। इसलिए अब सिर्फ महादेवी हथिनी (माधुरी) को रखने के लिए कोल्हापुर के शिरोल तहसील में नांदनी मठ के पास पशु पुनर्वास केंद्र बनाया जाएगा। जिसमें महादेवी हथिनी के साथ तीन से चार हाथियों को रखने की व्यवस्था होगी। गुरुवार को प्रदेश सरकार के वन विभाग के एक अधिकारी ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में यह जानकारी दी। इसके पहले पूर्व की महायुति सरकार में बीते 14 अप्रैल 2023 को प्रदेश के तत्कालीन वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कोल्हापुर में हाथी रिजर्व स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार से तत्काल पत्राचार करने के निर्देश अफसरों को दिए थे। उन्होंने कोल्हापुर के राधानगरी परिसर में वन्यजीवों के बढ़ते उपद्रव को रोकने को लेकर बैठक की थी। इस पर अधिकारी ने कहा कि कोल्हापुर में टाइगर परियोजना के तर्ज पर हाथी रिजर्व बनाने की परिकल्पना की गई थी।

इसके लिए कई बार अध्ययन भी किया गया था। जिसमें यह तथ्य सामने आया है कि हाथी रिजर्व व्यावहारिक नहीं है। इसके अलावा स्थानीय लोगों का भी विरोध था। कोल्हापुर में हाथी रिजर्व के लिए पर्याप्त जगह भी उपलब्ध नहीं है। इसलिए कोल्हापुर में हाथी रिजर्व नहीं बनाया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत महादेवी हथिनी को गुजरात के जामनगर में स्थित वन्य पुनर्वास केंद्र वनतारा में रखा गया था। लेकिन बीते दिनों मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि महादेवी हथिनी को कोल्हापुर में वापस लाने के लिए शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की जाएगी। इसके मद्देनजर वनतारा की मदद से कोल्हापुर में नांदनी मठ के पास पशु पुनर्वास केंद्र बनाया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार ने वन्यजीवों को पिंजरे में रखने के लिए एक मापदंड़ तय किया है। इसी के आधार पर कोल्हापुर में हाथियों को रखने के लिए पुनर्वास केंद्र बनाया जाएगा।

महाराष्ट्र में हाथी का अधिवास नहीं

अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र में हाथी का कोई अधिवास नहीं है। अधिकारी ने बताया कि कोल्हापुर में कर्नाटक राज्य से हाथी आते हैं। जबकि गडचिरोली में छत्तीसगढ़ से हाथी आते हैं। महाराष्ट्र में केवल आठ हाथी हैं। महाराष्ट्र में हाथियों की आवाजाही पर वन विभाग की नजर रहती है। हाथियों के आने पर वन विभाग गांवों को सतर्क करता है। अधिकारी ने बताया कि कर्नाटक में चार से पांच हजार हाथी हैं। कोल्हापुर में हाथी आते- जाते रहते हैं। अधिकारी ने कहा कि हाथी को किसी एक जगह पर चार दीवारी में रखना बहुत मुश्किल है। कई बार हाथी दीवार तोड़ देते हैं। हाथी की स्मृति एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आगे बढ़ती है।


Created On :   7 Aug 2025 9:28 PM IST

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