भूमिपुत्रों को मिले रोजगार: परप्रांतियों को रोकने के लिए महाराष्ट्र में वीजा कानून बनाने की मांग, छेड़ा आंदोलन

परप्रांतियों को रोकने के लिए महाराष्ट्र में वीजा कानून बनाने की मांग, छेड़ा आंदोलन
  • मराठी भाषा और भूमिपुत्रों को रोजगार की मांग
  • आजाद मैदान में छेड़ा गया आंदोलन
  • श्रीपाद जोशी बोले - वीजा से सहमत नहीं लेकिन पांच मांगों पर समर्थन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र की नौकरियां दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को न दी जाएं इसके लिए राज्य में वीजा कानून की मांग शुरू हो गई है। गुरुवार को मुंबई के आजाद मैदान में मराठी भाषा और स्थानीय नौकरियों में राज्य के लोगों को प्राथमिकता देने के मुद्दे पर आंदोलन होगा। आंदोलन करने वाली महाराष्ट्र संरक्षण संघटना ने सरकार के सामने जो 10 मांगे रखी है उनमें बाहर से आने वाले लोगों को रोकने के लिए वीजा के प्रावधान की भी बात कही गई है। संगठन के अध्यक्ष धर्मेंद्र घाग ने कहा कि सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं हम चाहते हैं कि देश का हर राज्य वीजा कानून बनाए जिससे वहां के स्थानीय लोगों को ही नौकरी मिले। संविधान में हर व्यक्ति को कहीं भी जाकर बसने और नौकरी करने की छूट दी गई है लेकिन देश की आजादी को 75 साल बीत जाने के बावजूद कुछ राज्य अब तक विकसित नहीं हुए हैं। वहां से नेता अपने राज्य का विकास नहीं करते जिससे वहां के लोग दूसरे राज्यों में जाकर नौकरी खोजने के लिए मजबूर होना पड़ता है। व्यक्ति जहां रहता है वहीं उसे रोजगार मिलना चाहिए। जब लोगों को दूसरी जगह नौकरी नहीं मिलेगी तो वे अपने इलाके में विकास के लिए दबाव बनाएंगे। लोग मजबूरी में ही अपना राज्य छोड़कर दूसरी जगह जाते हैं। सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं दूसरे राज्यों में भी बाहर के लोग आकर नौकरी कर रहे हैं। इससे यह भी परेशानी होती है कि दूसरे राज्यों से आने वाले लोग कम वेतन में नौकरियां करने लगते हैं क्योंकि उन पर परिवार की जिम्मेदारी नहीं है। स्थानीय लोग उतने वेतन में काम नहीं कर पाते हैं। देश का विकास करना है तो सभी राज्यों को अपने यहां के लोगों को वहीं रोजगार देना होगा।

वीजा से सहमत नहीं लेकिन पांच मांगों पर समर्थन-श्रीपाद जोशी

महाराष्ट्र संरक्षण संघटना के वीजा की मांग से हम सहमत नहीं हैं लेकिन दूसरे पांच मुददों पर हम आंदोलन को समर्थन देंगे। मराठीच्या व्यापक हितासाठी के प्रमुख संयोजक श्रीपाद जोशी ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि मैंने पांच प्रमुख मांगों का समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री, स्कूली शिक्षा मंत्री और उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री को पत्र भी लिखा है। जोशी ने कहा कि मराठी स्कूलों की स्थिति सुधारने, मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा देने, मराठी भाषा भवन का काम जल्द पूरा करने, बालवाडी से लेकर स्नातकोत्तर तक सभी विषयों की शिक्षा मराठी माध्यम में करने और मराठी विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग से हम सहमत हैं और सरकार को इन मांगों को पूरा करना चाहिए।

इन मांगों को लेकर आंदोलन

मराठी स्कूलों को बेहतर बनाएं

मराठी भाषा को अभिजात दर्जा मिले

बाहरी लोगों को रोकने वीजा कानून बने

सार्वजनिक जगहों और सभी लोगों के लिए मराठी अनिवार्य हो

नौकरियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता का कानून बने

अधिवास कानून 1960 से लागू माना जाए

मराठी भाषा भवन जल्द तैयार किया जाए

मराठी विश्वविद्यालय की स्थापना, पूरी शिक्षा मराठी माध्यम से हो

मराठी और अंग्रेजी की द्विभाषा नीति बनाई जाए

Created On :   6 March 2024 3:51 PM GMT

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