आदालत: बॉम्बे हाईकोर्ट से फिल्म निर्माता रमेश सिप्पी को लगा झटका, याचिका की खारिज

बॉम्बे हाईकोर्ट से फिल्म निर्माता रमेश सिप्पी को लगा झटका, याचिका की खारिज
  • अदालत ने मुंबई के एक फ्लैट समेत सिप्पी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के 500 शेयर
  • प्रोडक्शन हाउस की 27 फिल्मों के अधिकार की मांग वाली थी याचिका
  • फिल्म निर्माता रमेश सिप्पी की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज की

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट से फिल्म निर्माता रमेश सिप्पी को बड़ा झटका लगा है। अदालत ने उनकी दक्षिण मुंबई में एक फ्लैट पर कोर्ट रिसीवर की नियुक्ति के खिलाफ समेत सिप्पी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के 500 शेयर और प्रोडक्शन हाउस की 27 फिल्मों के अधिकार की मांग को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति मनीष पितले की एकल पीठ के समक्ष फिल्म निर्माता रमेश सिप्पी की याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की याचिका को स्वीकार करने योग्य नहीं पाया गया। इसलिए याचिका खारिज कर दी गई।

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि दिसंबर 2007 में उनके पिता और जून 2010 में उनकी मां मोहिनी सिप्पी की मृत्यु हो गई थी। वह अपने चार भाई-बहनों के कानूनी उत्तराधिकारी के साथ उनकी संपत्ति में पांचवें हिस्से के हकदार हैं। उनके पिता ने एक वसीयत बनाई और अपनी पूरी संपत्ति उनकी मां को दे दी, जिन्होंने संपत्ति का प्रबंधन करने के लिए प्रशासन पत्र प्राप्त किया। मां ने भी एक वसीयत बनाई और संपत्ति अपने मृत भाई सुरेश को दे दी।

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सुरेश ने दिसंबर 2016 में अपनी मां की वसीयत के माध्यम से उनसे मिले और उन्हें सभी अधिकारों को त्यागने का एक हलफनामा दिया। इस हलफनामा में उन्होंने सभी संपत्तियों को भाई-बहनों समेत उनके कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच समान रूप से वितरित करने की बात कही थी। इस पर पीठ ने कहा कि रमेश सिप्पी की याचिका में सुरेश सिप्पी द्वारा कथित त्याग के आलोक में मोहिनी सिप्पी के हाथों में संपत्ति के समान रूप से हस्तांतरित होने के संबंध में प्रथम दृष्टया कमजोर दावा है।पीठ ने कहा कि रमेश सिप्पी द्वारा दिए गए कई दावे पुष्टि योग्य नहीं थे और ऐसा लगता है कि वे तथ्यों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं। पीठ ने पाया कि सिप्पी परिवार में वर्षों की मुकदमेबाजी के दौरान, वर्तमान मुकदमे में रमेश सिप्पी का रुख उनके द्वारा शुरू की गई पिछली कार्यवाही में दिए गए दावों से अलग प्रतीत होता है।इसलिए याचिकाकर्ता प्रथम दृष्टया अपने पक्ष में मामले में करने में विफल रहा है।

Created On :   16 April 2024 3:16 PM GMT

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