5 जिलों में जिला परिषद के 25 स्कूलों में फ्यूचरिस्टिक कक्षाएं शुरू

5 जिलों में जिला परिषद के 25 स्कूलों में फ्यूचरिस्टिक कक्षाएं शुरू
  • विद्यार्थियों के लिए ई-ब्लैकबोर्ड, ई-पोडियम और ई-डेस्क जैसी हाईटेक व्यवस्था
  • राज्य में जिला परिषद के 50 हजार से ज्यादा डिजिटल और स्मार्ट विद्यालय

डिजिटल डेस्क, मुंबई, अमित कुमार। महाराष्ट्र में जिला परिषद के 50 हजार से ज्यादा डिजिटल और स्मार्ट स्कूलों में 25 में फ्यूचरिस्टिक कक्षाएं (क्लासरूम) शुरू की गई हैं। इन विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाने के लिए ई-ब्लैकबोर्ड, ई-पोडियम और ई-डेस्क जैसी हाईटेक व्यवस्था की गई है। ग्रामीण विकास विभाग की योजना के तहत डिजिटल व स्मार्ट शालाएं फ्यूचरिस्टिक क्लासरूम में तब्दील की जा रही हैं। आधुनिक सुविधाओं वाले प्रत्येक क्लासरूम को बनाने की लागत 35 लाख रुपए है। राज्य सरकार के फ्यूचरिस्टिक क्लासरूम अभियान के समन्वयक तथा दीप फाउंडेशन (डिजिटल एजुकेशन इम्पावरमेंट प्रोग्राम) के संस्थापक अध्यक्ष संदीप गुंड ने ‘दैनिक भास्कर' को यह जानकारी दी।

फ्यूचरिस्टिक क्लासरूम बनाने की गुंड की परिकल्पना को सरकार ने जिला परिषद के स्कूलों में जिला वार्षिक योजना (डीपीडीसी) की निधि से लागू करने का फैसला किया है। गुंड ने बताया कि जिला परिषद स्कूलों को डिजिटल और स्मार्ट बनाने के बाद इंटरैक्टिव क्लासरूम में बदला जा रहा है ताकि पठन-पाठन प्रक्रिया में शिक्षक-बच्चों की सक्रिय भागीदारी हो सके।

अहमदनगर से शुरुआत

गुंड ने बताया कि अप्रैल, 2022 में अहमदनगर की पारनेर तहसील के पानोली जिला परिषद स्कूल में फ्यूचरिस्टिक क्लासरूम शुरू किया गया था। इसके बाद कोल्हापुर की कागल तहसील के केनवडे में स्थित जिला परिषद स्कूल, पुणे की मावल तहसील के कान्हे स्थित जिला परिषद स्कूल सहित, नाशिक और ठाणे के जिला परिषद के 25 से अधिक स्कूलों में फ्यूचरिस्टिक क्लासरूम तैयार किए गए हैं। गुंड ने दावा किया कि पूरे भारत में इंटरैक्टिव क्लासरूम की व्यवस्था नहीं है। निजी स्कूलों में भी जिला परिषद के स्कूलों जैसी सुविधा नहीं है।

ऐसा होता है फ्यूचरिस्टिक क्लासरूम

जिला परिषद स्कूलों की एक बड़ी कक्षा को फ्यूचरिस्टिक क्लासरूम में बदला जाता है। इसमें ई-ब्लैकबोर्ड, ई-पोडियम, ई-डेस्क की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। स्क्रीन पर पुस्तक की बजाय एप के जरिए बच्चों को पढ़ाया जाता है। इसके लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। गुंड ने कहा कि घर-घर में स्मार्ट फोन उपलब्ध है। इसलिए बच्चों को तकनीकी के सहारे पढ़ने में कोई असुविधा नहीं होती है।

2 लाख शिक्षक टेक्नोसेवी

गुंड ने कहा कि युवा शिक्षक तकनीक में दिलचस्पी लेते हैं। शिक्षकों को डिजिटल और फ्यूचरिस्टिक क्लासरूम में पढ़ाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण के लिए माड्यूल तैयार किया जा रहा है। राज्य में 2 लाख से अधिक शिक्षक टेक्नोसेवी बनाए गए हैं। यह पहल नई शिक्षा नीति के अनुरूप है।

ऐसे शुरू हुई मुहिम

लगभग चार पहले गुंड ने जिला परिषद स्कूलों को डिजिटल बनाने के लिए निजी तौर पर मुहिम शुरू की थी। इसके तहत जिला परिषद के 50 हजार से अधिक स्कूल डिजिटल बनाए गए। जनभागीदारी और चंदा जुटा कर इन स्कूलों का डिजिटाइजेशन किया गया। दान की रकम सीमित थी। इसलिए स्कूलों में केवल ऑडियो-विजुअल की व्यवस्था हो पाई थी। घर में जिस तरीके से बच्चे टीवी देखते हैं, उसी तरह जिला परिषद के स्कूलों में एलसीडी टीवी के जरिए ऑडियो-विजुअल की सुविधा प्रदान की गई थी। अब जिला परिषद स्कूलों में टच स्क्रीन की व्यवस्था की गई है।

Created On :   5 Sept 2023 1:15 AM IST

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