शिवसेना (शिंदे) विधायकों की अयोग्यता की सुनवाई: जेठमलानी ने कहा - अल्पमत में रहे विधायकों द्वारा लिया फैसला अवैध था

जेठमलानी ने कहा - अल्पमत में रहे विधायकों द्वारा लिया फैसला अवैध था
  • अल्पमत में रहे विधायकों द्वारा लिया फैसला अवैध था- जेठमलानी
  • 56 विधायकों ने फैसला लेने का अधिकार उद्धव को दिया था - सुनील प्रभु

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना (शिंदे) विधायकों की अयोग्यता के मामले की मंगलवार से एक बार फिर सुनवाई शुरू हुई, जो लगातार अगले पांच दिनों तक चलेगी। शिंदे गुट के वकील महेश जेठमलानी ने ठाकरे गुट के नेता और चीफ व्हिप सुनील प्रभु से सवाल जवाब किए। पिछले सप्ताह भी सुनील प्रभु से जेठमलानी ने लगातार तीन दिनों तक सवाल पूछे थे और उन्हें घेरने की कोशिश की थी। मंगलवार को जेठमलानी ने दावा किया कि 21 जून 2022 को कोई प्रस्ताव कभी तैयार ही नहीं किया गया था। जिसे सुनील प्रभु ने खारिज कर दिया। जेठमलानी ने कहा कि शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे को पार्टी का विधायक दल का नेता और चीफ व्हिप चुनने का अधिकार नहीं था तो ऐसे में ठाकरे ने दोनों ही नेताओं की नियुक्ति किस आधार पर की? उन्होंने कहा कि 21 जून 2022 को वर्षा बंगले पर उद्धव ठाकरे ने जो बैठक बुलाई थी उसमें सिर्फ 16 विधायकों ने ही हिस्सा लिया था। ऐसे में विधायकों द्वारा पारित किया गया प्रस्ताव अवैध था क्योंकि बैठक में विधायकों की संख्या अल्पमत में थी।

महेश जेठमलानी : 21 जून 2022 की बैठक में पारित किए गए प्रस्ताव की मूल प्रति विधानसभा अध्यक्ष के पास किसने भेजी थी?

सुनील प्रभु: शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस प्रस्ताव को विधानसभा उपाध्यक्ष के पास भेजा था।

जेठमलानी : उपाध्यक्ष के पास प्रस्ताव की जो प्रति भेजी गई उसमें उद्धव ठाकरे के हस्ताक्षर नहीं है?

प्रभु : 21 जून के प्रस्ताव की दो प्रति उपाध्यक्ष को दी गईं थी, उनमे से मूल प्रति पर उद्धव के हस्ताक्षर हैं।

जेठमलानी : केंद्रीय चुनाव आयोग से जो हमें रिकॉर्ड मिले हैं उसे साबित होता है कि पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के पास पार्टी के गुट नेता और चीफ व्हिप की नियुक्ति का अधिकार नहीं था।

प्रभु : 31 अक्टूबर 2019 को शिवसेना के सभी 56 विधायकों ने पार्टी पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे को सभी निर्णय लेने का अधिकार दे दिया था। जिसके बाद ठाकरे ने पार्टी के विधायक दल के नेता के तौर पर एकनाथ शिंदे और चीफ व्हिप के तौर पर मेरे नाम की घोषणा की थी। इसलिए उन्होंने अपने अधिकार के तहत ही प्रस्ताव पास कराया।

जेठमलानी : 21 जून के जिस प्रस्ताव का आपने उल्लेख किया है उसके अनुसार याचिकाकर्ताओं को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वर्षा बंगले पर जो प्रस्ताव पारित किया था उस बैठक में विधायकों की संख्या अल्पमत में थी। तो यह फैसला किस अधिकार के तहत लिया गया?

प्रभु : साल 2019 में जब पार्टी के सभी 56 विधायकों ने उद्धव ठाकरे को सभी फैसलों के अधिकार लेने का जिम्मा सौंप दिया था इसलिए यह सब पार्टी प्रमुख के आदेश पर हुआ था।

जेठमलानी : विधायक दिलीप लांडे का हस्ताक्षर फर्जी है ऐसा उन्होंने अपने एफिडेविट में कहा है। लेकिन आपने जो दस्तावेज पेश किया है उसमें उनका हस्ताक्षर है।

प्रभु : हम पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं वो झूठे हैं।

Created On :   28 Nov 2023 9:43 PM IST

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