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मजदूरों की समस्या से जुड़े सभी विभाग के अधिकारियों को शामिल कर एक कमेटी बनाने का निर्देश
- चीनी कारखाना क्षेत्र के प्रवासी श्रमिकों के आर्थिक और यौन शोषण का मामला:
- अदालत का मजदूरों की समस्या से जुड़े सभी विभाग के अधिकारियों को शामिल कर एक कमेटी बनाने का निर्देश
- राज्य सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर चीनी कारखाने के मजदूरों को माना कारखाना का कर्मचारी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। चीनी कारखाना क्षेत्र के प्रवासी श्रमिकों के आर्थिक और यौन शोषण का मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मजदूरों की समस्या से जुड़े सभी विभाग के अधिकारियों को शामिल कर एक कमेटी बनाने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार ने मंगलवार को हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर चीनी कारखान के प्रवारी मजदूरों को कारखाना कर्मचारी मान लिया है। अब प्रवाशी मजदूरों को कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों को मिलने वाली सभी सुविधाएं मिलेगी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति आरिफ एस.डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को वरिष्ठ वकील मिहिर देसाई और वकील प्रज्ञा तालेकर की ओर से दाखिल सुमोटो याचिका पर सुनवाई हुई। खंडपीठ ने सरकार की ओर से दाखिल हलफनामा को स्वीकार करते हुए कहा कि मजदूरों की समस्या से जुड़े सभी विभाग के अधिकारियों को शामिल कर एक कमेटी बनाई जाए, जो प्रवासी मजदूरों की हर समस्याओं को हल करने के लिए कार्य करे। महाराष्ट्र के चीनी कारखाना क्षेत्र में 8 से 9 लाख प्रवासी श्रमिक काम करने के लिए आते हैं।
सरकार की ओर से हलफनामा में कहा गया है कि माननीय न्यायालय ने श्रमिकों के शोषण को स्वतः संज्ञान लिया है। ऐसे में यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए गए हैं कि आगामी सीजन में गन्ना क्षेत्र में श्रमिकों के हितों की रक्षा की जाएगी। राज्य सरकार इसको लेकर सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। कानूनों को लागू करने और सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। गन्ना खेतों में श्रमिकों के कल्याण और सुरक्षा के लिए श्रम कानून और उनके लिए उठाए जा रहे कदम पर अमल किया जाएगा।
चीनी उद्योग की प्रकृति में मौसमी है। यह अक्टूबर में शुरू होता है और 7 महीने तक चलता है। इस अवधि के दौरान यदि कोई शिकायत प्राप्त होती है, तो उनका समाधान किया जाएगा। महाराष्ट्र में अधिनियम की धारा 3(1) और 5(2) के तहत न्यूनतम मजदूरी निश्चित की गयी है। परिवहन कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन को भी नियमित किया गया है। कच्चे माल को खेतों से कारखानों तक ले जाना होता है। ठेकेदार के लिए यह अनिवार्य है कि गन्ना कटाई श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करें।
पिछले दिनों राज्य सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता डॉ. वीरेंद्र सराफ ने कहा कि सरकार चीनी क्षेत्र के प्रवासी मजदूरों की समस्या को गंभीरता से ले रही है। उन्होंने इस मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा था। खंडपीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को रखा है।
याचिका में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम अधिनियम 2013 और नीलम गोर्हे समिति की सिफारिशों को भी संज्ञान में लेने की मांग की गयी है। साथ ही प्रवासी श्रमिकों की वैधानिक न्यूनतम मजदूरी, भविष्य निधि, अवकाश, बीमा, मातृत्व लाभ, यौन उत्पीड़न से सुरक्षा और अन्य सेवा शर्तों के लिए उनके अधिकार की भी मांग की गयी है।
Created On :   4 July 2023 9:53 PM IST