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राम मंदिर और समान नागरिक संहिता के लिए छोड़ा उद्धव ठाकरे का साथ- नीलम गोर्हे
- विधानपरिषद की उपसभापति से खास बातचीत
- राम मंदिर और समान नागरिक संहिता के लिए छोड़ा उद्धव ठाकरे का साथ
- नीलम गोर्हे का बयान
डिजिटल डेस्क, मुंबई. शिवसेना (उद्धव गुट) ने नीलम गोर्हे को विधान परिषद भेजा और उन्हें विधान परिषद का उपसभापति भी बनाया। शिवसेना में जब बगावत हुई, तो नीलम गोर्हे उद्धव ठाकरे के साथ बनी रहीं, लेकिन एक साल होते-होते गोर्हे ने पाला बदला और शिंदे गुट में शामिल हो गईं। शिवसेना ने नीलम गोर्हे को चार बार विधान परिषद में भेजा, आखिरकार उन्होंने उद्धव ठाकरे से बगावत क्यों की? इसी को लेकर दैनिक भास्कर के प्रमुख संवाददाता सोमदत्त शर्मा ने नीलम गोर्हे से खास बातचीत की।
सवाल- आपने उद्धव ठाकरे का साथ बगावत के एक साल बाद छोड़ा, उसकी क्या वजह रही?
जवाब- बीते साल एकनाथ शिंदे ने जब शिवसेना से बगावत की थी, तो उन्हें लगा था कि यह कुछ महीनों की ही बात है और शिंदे फिर से वापस शिवसेना में आ जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। उसके बाद समान नागरिक संहिता को लेकर 13 जुलाई तक सभी पार्टियों से उनकी राय मांगी गई, जिस पर उद्धव ठाकरे ने अभी तक अपनी राय जाहिर नहीं की है। बालासाहेब ठाकरे का सपना था कि देश में समान नागरिकता कानून बने, जिसको लेकर मोदी और शिंदे सरकार इसे लेकर आगे बढ़ रही हैं। साथ ही, राम मंदिर का निर्माण चल रहा है, जिसका उद्घाटन अगले साल होना है। यह दोनों ही विचार बालासाहेब ठाकरे के थे लेकिन उनके विचार पीछे छूट गए। पिछले साढ़े तीन साल से जिस शिवसेना (उद्धव गुट) को 80 प्रतिशत समाज सेवा और 20 प्रतिशत राजनीति करनी चाहिए थी। इसके उलट 100 प्रतिशत सुबह-सुबह उठकर अपशब्दों का इस्तेमाल किया जाता था, इससे मुझे काफी पीड़ा होती थी। एक के बाद एक नेता अगर पार्टी छोड़कर जा रहे हैं, उस समय उद्धव ठाकरे को आत्मपरीक्षण करने की जरूरत है। मैंने कई बार पार्टी प्रमुख को चेताया, लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ। आखिर में मैंने बालासाहेब ठाकरे के सपने को पूरा करने वाली सरकार का दामन थाम लिया है।
सवाल- उद्धव ठाकरे को किस तरह से आत्मपरीक्षण करना चाहिए था?
जवाब- जब कोई आपको सलाह दे रहा होता है या फिर कुछ गलत हो रहा है, तो उसके बारे में बैठकर सोचना और उसमें बदलाव लाना। लेकिन बार-बार कहने के बाद भी उद्धव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। मेरा मानना है कि उद्धव ठाकरे को किसानों, मजदूरों और गरीबों के बीच में जाकर उनकी स्थिति को समझना चाहिए था और उनकी मदद करनी थी। अगर बीमारी की वजह से ठाकरे जनता के बीच नहीं जा पाए, तो उन्हें कम से कम यह तो एहसास कराना था कि शिवसेना पार्टी आपके साथ है। जनता के मुद्दे पीछे छूट गए। इसके उलट एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस जनता के हित के कार्य करते रहे। यही कारण रहा कि मुझे पार्टी छोड़नी पड़ी।
सवाल- आपने शिंदे गुट के साथ जाना ही क्यों चुना?
जवाब- मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में महाराष्ट्र प्रगति के पथ पर अग्रसर है। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भरपूर साथ मिल रहा है। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार भी शक्ति विधेयक ला रही है। इसके अलावा किसानों के लिए भी राज्य सरकार ने पिछले कुछ समय में अच्छे कदम उठाए हैं।
सवाल- आपकी मौजूदा सरकार से क्या अपेक्षा है?
जवाब- मैं राज्य सरकार में कोई मंत्री बनने या फिर कोई और पद लेने के लिए नहीं आई हूं। मैं पहले से ही विधान परिषद की उपसभापति हूं। पिछले कुछ दिनों में मैंने राज्य के 22 जिलों का दौरा किया है, जिसमें महिलाओं के प्रमुख मुद्दों को उठाया है। उच्च शिक्षा के विद्यालयों में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर कदम उठाने की जरूरत है। मेरा सौभाग्य है कि 55 साल में पहली बार किसी महिला को उपसभापति की जिम्मेदारी मिली है, तो मेरा भी फर्ज है कि मैं उनके मुद्दों को सरकार में शामिल होकर उठाऊं।
सवाल- शिंदे-फडणवीस की सरकार में अजित पवार के आने के बाद से शिंदे गुट के विधायक नाराज हैं। उनकी नाराजगी कैसे दूर होगी?
जवाब- यह एक बहुत बड़ी चुनौती है। हर पार्टी के विधायक की अपेक्षा रहती है कि उसे भी जिम्मेदारी मिले। मुझे लगता है कि एकनाथ शिंदे खुद सक्षम हैं और विधायकों की इस नाराजगी को जरूर दूर कर लेंगे।
सवाल- पिछले कुछ समय से राज्य में तू-तू और मैं-मैं की राजनीति शुरू हुई है, उससे कैसे बचा जा सकता है?
जवाब- एक, समय सबका जवाब दे देगा। दूसरा, अगर एक पार्टी कोई सवाल पूछती है तो फिर जाहिर सी बात है उसका जवाब दूसरी पार्टी देती है। कुछ साल पहले तक की राजनीति ऐसी नहीं थी। पहले एक-दूसरे का सम्मान किया जाता था, लेकिन समय के साथ-साथ अब हालात भी बदल गए हैं।
सवाल- पूरा विपक्ष समान नागरिक संहिता का विरोध कर रहा है। आपकी क्या राय है?
जवाब- जितने भी राजनीतिक दल इस कानून के खिलाफ हैं, उनको यह बताना चाहिए कि आखिरकार उन दलों के पास महिलाओं की सुरक्षा को लेकर क्या सुझाव हैं। मुझे लगता है कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर विपक्ष को राजनीति करने से बचना चाहिए। अगर इस तरह के कानून बनते हैं, तो सभी को एक साथ आना होगा।
सवाल- असदुद्दीन ओवैसी कह रहे हैं कि इस कानून से हिंदूओं को नुकसान होगा?
जवाब- ओवैसी अफवाह फैला रहे हैं। उनसे पहले पूछना चाहिए कि आखिर इस कानून से क्या नुकसान होगा? इस कानून के आने से ना हिंदुओं को कोई नुकसान होने वाला है, ना ही किसी दूसरे धर्म के लोगों को। अगर यह कानून लागू होता है, तो सबसे ज्यादा फायदा परिवार के बेटों के साथ-साथ बेटियों को भी होगा।
सवाल- आखिरी सवाल, उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ने के बाद किन-किन लोगों से आपकी बात हुई?
जवाब- वैसे तो मेरी कई लोगों से बात हुई, लेकिन अयोध्या से सरयू नदी के किनारे आरती करने वाले अंजनेर गुरुजी का फोन आया। उन्होंने मेरे फैसले पर खुशी व्यक्त की। मुझे भी बहुत खुशी है कि मैंने राम मंदिर और समान नागरिकता कानून को लेकर साथ चलने वाली सरकार का साथ चुना है।
Created On :   14 July 2023 9:13 PM IST