बाल अधिकार संरक्षण आयोग: बकाया फीस के चलते रोकी न जाए किसी विद्यार्थी की मार्कशीट और लीविंग सर्टिफिकेट

बकाया फीस के चलते रोकी न जाए किसी विद्यार्थी की मार्कशीट और लीविंग सर्टिफिकेट
  • बाल अधिकार संरक्षण आयोग का शिक्षा आयुक्त को निर्देश
  • बकाया फीस के चलते रोकी न जाए मार्कशीट
  • आयोग ने सुनिश्चित करने को कहा

डिजिटल डेस्क, मुंबई. स्कूल फीस बकाया होने का हवाला देकर कई बार निजी स्कूल 10वीं के विद्यार्थियों को हॉल टिकट, लीविंग सर्टिफिकेट, मार्कशीट देने से इनकार कर देते हैं जिससे विद्यार्थियों का शैक्षणिक साल खराब हो जाता है। एक्टिविस्ट नितीन दलवी ने कुछ मामलों का हवाला देते हुए बाल अधिकार सुरक्षा अधिकार आयोग से शिकायत की थी जिसके बाद मामले में आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। आयोग की अध्यक्ष सुशीबेन शाह ने राज्य के शिक्षा आयुक्त को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने को कहा है जिससे कोई स्कूल विद्यार्थी का हॉल टिकट, लीविंग सर्टिफेकेट या मार्कशीट देने से इनकार न करे।

सुशीबेन शाह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि बकाया फीस का हवाला देकर स्कूल 10वीं और 12वीं के किसी भी विद्यार्थी को परीक्षा में बैठने या उनके मार्कशीट, हॉलटिकट नहीं रोक सकते। इसलिए स्कूली शिक्षा विभाग को इसे रोकने के लिए कदम उठाए। शाह ने शिक्षा आयुक्त से कहा है कि ऐसी प्रणाली विकसित की जानी चाहिए जिसके जरिए स्कूल इस बात की जानकारी भेजे कि विद्यार्थियों को समय पर हॉल टिकट और नतीजों के बाद मार्कशीट के साथ लीविंग सर्टिफिकेट भी दे दिए गए। बता दें कि नियमों के मुताबिक कोई भी स्कूल बकाया फीस का हवाला देकर विद्यार्थियों को हॉल टिकट, मार्कशीट और लीविंग सर्टिफिकेट देने से इनकार नहीं कर सकता। राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने भी ऐसा करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी थी।

लगातार आती हैं ऐसी शिकायतें

दैनिक भास्कर ने भी ऐसे कई मामलों का पर्दाफाश किया है जहां फीस न भरने के चलते विद्यार्थियों को मार्कशीट और लीविंग सर्टिफिकेट नहीं दिया गया जिससे उनका साल खराब हो गया। पिता की बीमारी के चलते ईशा कनोजिया फीस नहीं भर पाई जिसके बाद उसके स्कूल ने 2021 में 70 फीसदी अंकों के साथ दसवीं की परीक्षा पास करने वाली ईशा को स्कूल ने लीविंग सर्टिफिकेट नहीं दिया। मामले में शिकायत और दैनिक भास्कर में खबर प्रकाशित होने के बाद आखिरकार दो साल बाद उसे मार्कशीट और लीविंग सर्टिफिकेट दिया गया।

इसी तरह पिता की मौत और मां की बीमारी के चलते फीस नहीं भर पाई कशिश लकड़ावाला को भी दो वर्षों तक मार्कशीट और लीविंग सर्टिफिकेट नहीं दिया गया। उच्च अधिकारियों से शिकायत और काफी कोशिश के बाद कशिश को स्कूल ने मार्कशीट और लीविंग सर्टिफिकेट दिए।

सरकारी आदेश और नियमों को किनारे कर स्कूल मनमानी करते हैं जिससे आर्थिक रुप से कमजोर विद्यार्थियों के कीमती साल खराब हो जाते हैं जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती। ऐसे मामलों में शिक्षा विभाग ने अब तक किसी स्कूल पर कार्रवाई नहीं की इसीलिए ऐसी घटनाएं नहीं थम रहीं हैं-नितीन दलवी, महाराष्ट्र राज्य विद्यार्थी पालक महासंघ

Created On :   28 Jan 2024 8:57 AM GMT

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