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बॉम्बे हाईकोर्ट ने मीरा-भाईंदर-वसई-विरार पुलिस को लगाई फटकार
- डीसीपी और एसीपी को किया तलब
- बोईसर में व्यक्ति की हत्या को आत्महत्या बताकर पुलिस ने मामले को किया रफा-दफा
- 11 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बोइसर में एक व्यक्ति की संदिग्ध मौत के मामले में मीरा-भाईंदर-वसई-विरार पुलिस को जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि पुलिस व्यक्ति की संदिग्ध मौत के मामले में अब तक उसकी पत्नी के बयान तक नहीं दर्ज कर सकी। अदालत के आदेश बावजूद पुलिस इस तरह से जांच कर रही है। अदालत ने पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) और सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) को तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ के समक्ष गुरुवार को मुन्नी देवी अमृतलाल यादव की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से वकील आशीष दुबे ने अदालत में दलील पेश की। उन्होंने कहा कि नालासोपारा (पूर्व) में रहने वाले 40 वर्षीय अमृतलाल यादव कुछ लोगों के साथ मिल कर कंस्ट्रक्शन का कार्य करते थे। उन्हें पिछले साल 1 नवंबर को कुछ लोग घर से बुला कर ले गए। उनके सहयोगी रहे नागेंद्र मौर्या के बोइसर स्थित गाला में 3 नवंबर को उनकी लाश मिली। उनके गले में रस्सी बंधी हुई थी। बोइसर पुलिस ने अमृतलाल की मौत को आत्महत्या बताया, जबकि याचिकाकर्ता उनकी पत्नी मुन्नी देवी का दावा है कि उनके पति की हत्या कर गले में रस्सी बांध कर लटका दिया गया था।
पुलिस ने बिना जांच किए एक्सीडेंटल डेथ का मामला मान कर पूरे मामले को रफा-दफा कर दिया। वह कई बार पुलिस स्टेशन में गई और पुलिस से शिकायत की, लेकिन उनकी शिकायत पर पुलिस ने संज्ञान नहीं लिया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने 24 अप्रैल को पिछली सुनवाई पर बोइसर पुलिस से मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दिया था और पुलिस को मृतक की पत्नी मुन्नी देवी का बयान दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया था। पुलिस को अगली सुनवाई 6 जुलाई को जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा था। गुरुवार को अदालत में जांच अधिकारी सागर पाटिल हाजिर हुए, तो उनके पास जांच रिपोर्ट के नाम पर बोलने के लिए कुछ भी नहीं था।
न्यायमूर्ति ढेरे ने सरकारी वकील से पूछा कि पुलिस इस मामले में क्या जांच किया है? क्या याचिकाकर्ता का बयान दर्ज किया गया है? जांच अधिकारी ने इसका जवाब नहीं में दिया। वह भड़क गई और फटकार लगाते हुए इसका कारण पूछा। सरकारी वकील ने जांच अधिकारी की ओर से क्षमा मांगा और खंडपीठ के आदेश पर पूरी तरह अमल करने का आश्वासन दिया। इसके बावजूद खंडपीठ ने डीसीपी और एसीबी को तलब करते हुए 11 जुलाई को अगली सुनवाई पर जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
Created On :   6 July 2023 10:01 PM IST