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बॉम्बे हाई कोर्ट: अदालत ने विकास योजना में बाधक बने मदरसे को खाली करने का दिया निर्देश, पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका वार्ड संरचना को चुनौती

- भांडुप में एसआरए योजना के तहत 631 झोपड़ावसियों के विकास का रास्ता साफ
- पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका (पीसीएमसी) के वार्ड संरचना को शिवसेना (उद्धव गुट) ने बॉम्बे हाई कोर्ट में दी चुनौती
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने भांडुप में एसआरए योजना के तहत 631 झोपड़ावसियों के विकास में रुकावट बने मदरसे को लेकर अपने फैसले में कहा कि मदरसा धार्मिक संरचना नहीं है। मदरसा को खाली न करके कई अन्य लोगों के प्रतिकूल झोपड़पट्टी योजना के कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न नहीं किया जा सकता है। हम मदरसे के ट्रस्टी की याचिका पर मदससे के संरक्षण पर विचार नहीं कर सकते हैं। अदालत ने याचिका में मदरसा की जगह डेवलपर (बिल्डर) से मस्जिद बनने के अनुरोध को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरती साठे की पीठ ने अंजुमन खुद्दाम ए मिल्लत अहले सुन्नर नूरे मोहम्मदी सुन्नी मस्जिद की याचिका खारिज करते हुए कहा कि भांडुप में एसआर योजना के अंतर्गत कुल 631 झुग्गीवासी हैं। सभी झुग्गीवासियों ने अपने-अपने घर खाली कर दी हैं। केवल याचिकाकर्ता ही अपने मदरसे को खाली करने से इनकार कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप एसआर योजना के कार्यान्वयन में देरी हो रही है। मदरसे के ट्रस्टी ने डेवलपर के साथ 2 सितंबर 2023 को स्थायी वैकल्पिक आवास पर हस्ताक्षर किए थे। उस समझौते में विवादित ढांचे का उल्लेख मदरसा के रूप में किया गया है। वह मदरसे के लिए पात्र है, मस्जिद के लिए नहीं। डेवलपर के वकील ने कहा कि वह (डेवलपर) पुनर्वास भवन की दूसरी मंजिल पर याचिकाकर्ता को मदरसे के बदले पुनर्वास आवास देने के लिए तैयार है। मदरसे के ट्रस्टी की शर्त है कि यदि डेवलपर संबंधित भूमि पर अलग से धार्मिक पुनर्वास संरचना (मस्जिद) बनाने के लिए तैयार है, तो वह मदरसा खाली करने के लिए तैयार है। याचिकाकर्ता के वकील यूसुफ खान ने दलील दी कि याचिकाकर्ता सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत मस्जिद के लिए पात्र झुग्गीवासी हैं। एक पात्र झुग्गीवासी होने के नाते वह धार्मिक संरचना के रूप में स्थायी वैकल्पिक आवास का हकदार है। इस पर पीठ ने कहा कि हम सर्वोच्च शिकायत निवारण समिति (एजीआरसी) द्वारा 14 अगस्त 2025 के अंतरिम आदेश में दर्ज निष्कर्षों से सहमत हैं। एजीआरसी ने 14 अगस्त 2025 को एक अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता परिसर में रह रहा है, जहां एक मदरसा संचालित होता था, न कि एक मस्जिद। उसने 2 सितंबर 2023 को एक स्थायी वैकल्पिक आवास समझौता कर चुका है और झुग्गी बस्ती योजना को स्वीकार कर लिया है।
पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका (पीसीएमसी) के वार्ड संरचना को शिवसेना (उद्धव गुट) ने बॉम्बे हाई कोर्ट में दी चुनौती
उधर बॉम्बे हाई कोर्ट में पिंपरी-चिंचवड महानगर पालिका (पीसीएमसी) के वार्ड संरचना को शिवसेना (उद्धव गुट) द्वारा चुनौती दी गई है। याचिका में दावा किया गया है कि पीसीएमसी के अंतिम वार्ड संरचना में राजनीतिक प्रतिशोध के कारण वार्ड संख्या 24, दत्तनगर, पदमजी पेपर मिल और गणेश नगर से म्हातोबा वस्ती को जानबूझकर बाहर रखा गया है। 15 अक्टूबर को मामले की सुनवाई होगी। शिवसेना के पूर्व नगर प्रमुख और वकील सचिन भोसले की दायर याचिका दावा किया गया है कि राज्य सरकार की मंजूरी के बाद पीसीएमसी ने सोमवार को दो अंतिम वार्ड संरचना जारी की, यह अनुचित है और एक खास सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचा रही है। इसमें राजनीतिक प्रतिशोध के चलते वार्ड संख्या 24, दत्त नगर, पदमजी पेपर मिल और गणेश नगर से म्हातोबा वस्ती को जानबूझकर बाहर रखा गया है और उसे वार्ड संख्या 25, पुनावले और तथावड़े से जोड़ दिया गया है। इससे म्हातोबा वस्ती को बाहर रखने से वार्ड के अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित होने की संभावना कम हो गई है। वकील सचिन भोसले ने याचिका में राज्य सरकार, राज्य चुनाव आयोग और नगर आयुक्त को प्रतिवादी बनाया है। उसमें दावा किया गया है कि पीसीएमसी बदलाव जानबूझकर राजनीतिक द्वेष के कारण किया गया है। वार्ड को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित करने के मूल उद्देश्य की अनदेखी की गई है। वार्ड क्रमांक 24 में शुरू में वाकड की महातोबा बस्ती शामिल थी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि वार्ड क्रमांक 24 में अनुसूचित जाति का आरक्षण न आए। इसलिए महातोबा बस्ती क्षेत्र को वार्ड क्रमांक 25 में शामिल कर दिया गया है। इस बदलाव से वार्ड में अनुसूचित जाति के प्रतिनिधित्व पर असर पड़ने की संभावना है। राजनीतिक द्वेष के कारण अंतिम वार्ड परिसीमन में बदलाव किया गया है। याचिका में वार्ड संख्या 24 के लिए प्रासंगिक विस्तृत आंकड़े प्रस्तुत करके अनुसूचित जाति आरक्षण के उद्देश्य को संरक्षित करने का अनुरोध किया गया है।
Created On :   9 Oct 2025 9:53 PM IST