Mumbai News: वसई और विरार में 13 ठिकानों पर ईडी का छापा, कुछ बिल्डरों - मनपा अधिकारियों के यहां ली गई तलाशी

वसई और विरार में 13 ठिकानों पर ईडी का छापा, कुछ बिल्डरों - मनपा अधिकारियों के यहां ली गई तलाशी
  • नालासोपारा में अनधिकृत तौर पर 41 इमारतें बनाने का मामला
  • केंद्रीय एजेंसी को मिले अहम सबूत
  • 13 ठिकानों पर ईडी का छापा

Mumbai News. नालासोपारा में अवैध रूप से 41 इमारतें बनाने और फ्लैट बेचने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को 13 ठिकानों पर छापा मार कर तलाशी ली। मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत ईडी ने बिल्डर सीताराम गुप्ता और अनिल गुप्ता के वसई कार्यालय, और बोरीवली स्थित घर, नालासोपारा के विवेक तिवारी के घर, एक निजी बैंक, वसई के राम रहीम अक्वाड सोसायटी के तीन घर, वसई-विरार मनपा (वीवीएमसी) के कुछ अधिकारियों और फर्जी कागजात बनानेवालों के घर-दफ्तर में छापा मारकर कागजात की जांच की। विदित हो कि बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर तोड़ दी गई हैं। इन बिल्डिंग में घर खरीदनेवाले सड़क पर आ गए हैं। आरोप है कि राजनीतिक दबाव के दम पर बिल्डर ने इन इमारतों का अवैध निर्माण किया था। इसमें वीवीएमसी के भ्रष्ट अधिकारियों और स्थानीय गुंडों ने बिल्डर की मदद की थी। ईडी ने डिजिटल डिवाइसेज, बैंक खाते, मोबाइल फोन और रजिस्ट्रेशन दस्तावेज जब्त किए गए हैं।

आरक्षित भूखंड पर बनाई गईं इमारतें

ईडी की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि इन इमारतों के लिए कोई वैध मंजूरी, नक्शा या लाइसेंस नहीं लिया गया था। ईडी की छापामार कार्रवाई का मकसद सबूत जुटाने के साथ ही अवैध निर्माण-धोखाधड़ी में शामिल लोगों की पहचान करना है। उक्त इमारतें 60 एकड़ के ऐसे भूखंड पर बनाई गई थीं। इनमें से 30 एकड़ भूखंड मनपा ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और डंपिंग ग्राउंड के लिए आरक्षित किया था।

ईडी ने दर्ज किया मामला

ईडी ने नालासोपारा के अचोले पुलिस स्टेशन में पहले से दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉंड्रिंग के तहत मामला दायर किया है। अचोले पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि वीवीएमसी के पूर्व नगरसेवक सीताराम गुप्ता, उनके भाई और सहयोगियों ने मनपा के भूखंड के साथ ही 30 एकड़ निजी भूमि पर भी अवैध निर्माण किया। आरोपियों ने फर्जी तरीके से जमीन का मालिकाना हक तैयार कर उसे अलग-अलग बिल्डरों को बेच दिया।

2009 से बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण

जांच में पता चला है कि इलाके में 2009 से ही बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण किया जा रहा है। इस दौरान हजार करोड़ रुपए तक के लेन-देन हुए हैं। मनपा अधिकारियों और बिल्डरों के बीच साठगांठ में न सिर्फ फर्जी दस्तावेज बनाए गए बल्कि अवैध रूप से निर्मित इमारतों के फ्लैट भी बेच दिए गए।

Created On :   14 May 2025 10:16 PM IST

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