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बॉम्बे हाई कोर्ट: अजेय की रिलीज को हरी झंडी, एमआईडीसी की रियायती दरों पर भूमि आवंटन की याचिका खारिज, कन्नड़ अभिनेता को जमा करने होंगे 3 करोड़

- योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित फिल्म ‘अजेय’ को रिलीज करने की मिली हरी झंडी
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने एमआईडीसी द्वारा रियायती दरों पर भूमि आवंटन को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने कन्नड़ अभिनेता ध्रुव सरजा को 3 करोड़ जमा करने का दिया आदेश
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित फिल्म फिल्म ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी' को हरी झंडी मिल गई। अदालत ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की संशोधन समिति के फिल्म को प्रमाणन देने से इनकार करने के आदेश को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने फिल्म की स्वयं समीक्षा करने के बाद कहा कि इसमें किसी संपादन की आवश्यकता नहीं है। हमने फिल्म को उसके संदर्भ में देखा है और हमें नहीं लगता कि इसमें किसी भी चीज को दोबारा संपादित करने की आवश्यकता है। हम ने आप के द्वारा चिह्नित हर बिंदु पर विचार किया है। हमने सब कुछ नोट किया है। हमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा। पीठ ने सीबीएफसी के पहले के गलत दृष्टिकोण और कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना फिल्म को अस्वीकार करने के आचरण का हवाला देते हुए याचिका को लंबित रखा है और प्रमाणन निकाय से अनुपालन का अनुरोध किया है। पीठ ने कहा कि यद्यपि याचिकाकर्ता के पास सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952 की धारा 5-सी के तहत अपील का अधिकार है, लेकिन यह हाई कोर्ट को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने से नहीं रोकता है। इससे पहले अदालत ने कहा कि सीबीएफसी ने फिल्म का प्रमाणन अस्वीकार करने में कठोर रुख अपनाया। किसी भी फिल्म का मूल्यांकन दिशानिर्देशों के तहत उसकी संपूर्णता में किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि उन्होंने उठाई गई आपत्तियों पर पूरी तरह से विचार करने के लिए स्वयं फिल्म देखने का निर्णय लिया। फिल्म के निर्माणकर्ता सम्राट सिनेमैटिक्स की अोर से वरिष्ठ वकील रवि कदम ने दलील दी कि सीबीएफसी ने प्रमाणन देने से इनकार करके उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। पीठ ने सीबीएफसी को सिनेमैटोग्राफ अधिनियम और नियमों के अनुसार फिल्म की स्क्रीनिंग करने और 6 अगस्त 2025 तक याचिकाकर्ता को अपना निर्णय बताने का निर्देश दिया था। सीबीएफसी ने शुरुआत में फिल्म पर 29 आपत्तियां उठाई थीं। बाद में सीबीएफसी की एक पुनरीक्षण समिति ने 17 अगस्त को इनमें से 8 आपत्तियों को खारिज कर दिया, लेकिन फिर भी फिल्म को प्रमाणन देने से इनकार कर दिया था। सीबीएफसी ने फिल्म निर्माता को योगी आदित्यनाथ के आफिस से एनओसी लाने पर जोर दिया था।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने एमआईडीसी द्वारा रियायती दरों पर भूमि आवंटन को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज
उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) द्वारा विधायकों के रिश्तेदारों को रियायती दरों पर निविदा प्रक्रिया का पालन किए बिना भूमि आवंटन को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि जब एमआईडीसी भूमि निपटान विनियम 1975 के साथ-साथ रियायती दरें तय करने वाले बोर्ड प्रस्तावों पर एमआईडीसी को आवंटियों के सीधे आवेदनों पर विचार करने और रियायती दरें तय करने का अधिकार देते हैं, तो ऐसे आवंटनों को भी चुनौती नहीं दी जा सकती, जब तक कि आवंटन स्पष्ट रूप से मनमाना न हो। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप वी. मार्ने की पीठ ने भ्रष्टाचार निर्मूलन संगठन की जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा कि पीड़ित शैक्षणिक संस्थानों ने एमआईडीसी द्वारा प्रतिवादी के पक्ष में किए गए आवंटन को चुनौती नहीं दी है, जिसमें शिकायत की गई है कि उन्हें संबंधित जमीन के भूखंडों पर अपने शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने के अवसर से वंचित किया जा रहा है। जिस उद्देश्य के लिए भूखंड आवंटित किए गए हैं, उसी उद्देश्य के लिए उपयोग किए जाते हैं। इसलिए हम वर्तमान याचिका में याचिकाकर्ताओं के पक्ष में कोई राहत देने के लिए इच्छुक नहीं हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि यदि एमआईडीसी को संबंधित भूखंडों के उपयोग में कोई अनधिकृत परिवर्तन दिखाई देता है, तो एमआईडीसी संबंधित आवंटियों के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई शुरू करेगा। जनहित याचिका में दावा किया गया कि राज्य में औद्योगिक विकास के लिए निर्धारित सार्वजनिक भूमि एमआईडीसी द्वारा मंत्रियों और विधायकों के निकट संबंधियों को महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम अधिनियम 1961 (एमआईडीसी अधिनियम) के प्रावधानों के विपरीत औने-पौने दामों और रियायती दरों पर आवंटित की गई है। औद्योगिक क्षेत्र में 60 फीसदी भूमि का उपयोग औद्योगिक उद्देश्यों के लिए और 25 फीसदी भूमि का उपयोग सड़कों, पाइपलाइनों, फुटपाथ आदि के लिए किया जा सकता है। 10 फीसदी भूमि को खुले स्थानों के रूप में बनाए रखना आवश्यक है और शेष 5 फीसदी भूमि का उपयोग डाकघरों, टेलीफोन एक्सचेंजों, स्कूलों, कॉलेजों, शैक्षणिक संस्थानों, प्रशिक्षण केंद्रों आदि जैसी सुविधाओं के लिए किया जाना आवश्यक है।
9 करोड़ की धोखाधड़ी मामले में कन्नड़ अभिनेता ध्रुव सरजा को 3 करोड़ जमा करने का दिया आदेश
वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने 9 करोड़ धोखाधड़ी के मामले में कन्नड़ अभिनेता ध्रुव सरजा को उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की याचिका पर 3 करोड़ जमा करने का आदेश दिया है। फिल्म निर्माता राघवेंद्र हेगड़े ने अभिनेता सरजा पर 9 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ के समक्ष में अभिनेता ध्रुव सरजा की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील एम.एस.श्यामसुंदर सेनी ने दलील दी कि उनके मुवक्किल इस तथ्य पर विवाद नहीं हैं कि 2019 में एक फिल्म के लिए समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद उन्हें फिल्म निर्माता राघवेंद्र हेगड़े से 3 करोड़ रुपए मिले थे। हम स्वीकार करते हैं कि फिल्म के लिए 3 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त हुई थी। एक कलाकार होने के नाते मेरे मुवक्किल ने सहयोग करने के लिए सहमति व्यक्त की है। हालांकि 2023 तक कुछ खास नहीं हुआ, जब शिकायतकर्ता ने पहली बार एक कहानी भेजी, लेकिन बाद में उन्होंने उस कहानी को वापस ले ली। हेगड़े ने अगली कहानी 2024 में भेजी और जुलाई 2025 में किसी समय उन्होंने सरजा को अपने एक निवेशक से बात करने के लिए संदेश भेजा और उस संस्था को आश्वासन दिया कि वह शिकायतकर्ता के साथ सहयोग करेंगे।इसके बाद 15 जुलाई 2025 को हेगड़े ने अंबोली पुलिस स्टेशन में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई। हेगड़े ने आरोप लगाया है कि सरजा ने कॉल या संदेशों का जवाब देना बंद कर दिया और इसलिए उन्हें अभिनेता के खिलाफ मामला दर्ज कराने के लिए मजबूर होना पड़ा। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील सोनी से कहा कि वह सरजा से निर्देश लें कि क्या वह 3 करोड़ रुपए की हस्ताक्षर राशि हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करेंगे। इस न्यायालय की रजिस्ट्री में वह राशि जमा करके हमें अपनी प्रामाणिकता दिखाएं। इस पर वकील सेनी ने पीठ की राय से सहमति जताते हुए किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं करने की अंतरिम राहत देने का आग्रह किया। पीठ ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि आप पहले राशि जमा करके अपनी ईमानदारी साबित करें। उसके बाद हम आपकी प्रार्थनाओं पर विचार करेंगे। मामले की सुनवाई अगले सप्ताह रखी गई है।
Created On :   25 Aug 2025 9:52 PM IST