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बॉम्बे हाई कोर्ट: मराठा आरक्षण मामले में राज्य सरकार के अध्यादेश के खिलाफ 7 अक्टूबर से शुरू होगी सुनवाई

- ओबीसी समुदाय के संगठनों की दायर याचिकाकर्ताओं में सरकार के 2 सितंबर को जारी जीआर का विरोध
- बॉम्बे हाई कोर्ट में राज्य सरकार के अध्यादेश (जीआर) के खिलाफ 7 अक्टूबर से शुरू होगी सुनवाई
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट में 7 अक्टूबर से राज्य सरकार के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मराठों को आरक्षण देने वाले अध्यादेश (जीआर) के समर्थन और विरोध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू होगा। अदालत ने सोमवार को याचिकाकर्ताओं को अपनी याचिकाओं का संशोधित संस्करण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। राज्य सरकार ने हैदराबाद गजेटियर की प्रविष्टियों को ध्यान में रखते हुए मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने के लिए 2 सितंबर को एक अध्यादेश जारी किया था। इस अध्यादेश को हाई कोर्ट में विभिन्न याचिकाएं दायर कर चुनौती दी गई है।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ के समक्ष कुनबी सेवा संस्था, महाराष्ट्र माली समाज महासंघ, अहीर सुवर्णकार समाज संस्था, सदानंद मांडलिक और महाराष्ट्र नाभिक महासंघ समेत विभिन्न संगठनों की दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। पीठ ने सरकार के जीआर के खिलाफ दायर याचिकाओं में कई तकनीकी त्रुटियों होने का उल्लेख किया। पीठ ने याचिकाकर्ताओं को संशोधित संस्करण दाखिल करने के लिए समय दिया। सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र नाभिक महासंघ के वकील ने कहा कि राज्य सरकार जीआर जारी कर मराठा समाज को पीछे दरवाजे से ओबीसी आरक्षण में शामिल करने की कोशिश कर रही है। यह पूरी तरह से कानून का उल्लंघन है और ओबीसी समाज के साथ अन्याय है।
पीठ ने राज्य सरकार के फैसले के समर्थन में दायर कई हस्तक्षेप याचिकाओं को लेकर स्पष्ट किया कि कोई भी अतिरिक्त हस्तक्षेप या संशोधन याचिका तुरंत दायर की जानी चाहिए, क्योंकि सुनवाई शुरू होने के बाद किसी भी नई याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा।
सरकार के जीआर के खिलाफ याचिकाओं में दावा किया गया है कि मराठों को ओबीसी कोटा का लाभ देने से मौजूदा आरक्षण कमजोर होगा और अन्य पिछड़े समुदायों को नुकसान होगा। ओबीसी समूह मराठा कुनबी जाति प्रमाण पत्र के खिलाफ 10 अक्टूबर को नागपुर में विशाल मार्च निकालेंगे। यह मुद्दा एक दुखद मोड़ ले चुका है, अध्यादेश जारी होने के बाद से कथित तौर पर सात लोगों ने आत्महत्या कर ली है। इसलिए याचिकाकर्ताओं ने बढ़ते तनाव और मौजूदा संकट की मानवीय कीमत का हवाला देते हुए तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया।
Created On :   6 Oct 2025 7:43 PM IST