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Mumbai News: हिंदी विरोध की राजनीतिक पिच पर खेल गए ठाकरे भाई, सियासी मजबूरी ने मिटा दी दो दशक की दूरी
- मुंबई मनपा चुनाव में बदलेगा समीकरण
- क्या भाजपा के लिए कठिन होगी राह
- मराठी भाषियों के वोट एकमुश्त होने के आसार
Mumbai News शिवसेना (उद्धव) और मनसे की सियासी मजबूरी ने दोनों दलों के शीर्ष नेताओं के बीच की दो दशक की दूरी को मिटा दी है। शिवसेना (उद्धव) पक्ष प्रमुख तथा पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अब मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरने का एलान कर दिया है। हालांकि प्रदेश की महायुति सरकार ने अंग्रेजी और मराठी माध्यम के स्कूलों में कक्षा पहली से हिंदी को वैकल्पिक भाषा के रूप में पढ़ाए जाने के शासनादेश को रद्द कर दिया है। लेकिन ठाकरे बंधुओं ने हिंदी सख्ती के मुद्दे को राजनीतिक पिच बना दियाऔर इस पर दोनों भाई खेल गए।
जून 2022 में शिवसेना में हुई टूट के बाद से शिवसेना (उद्धव) का जनाधार खिसका है। दूसरी ओर मनसे लगातार चुनाव हार रही है। इससे मराठी भाषी मतदाताओं को एकमुश्त रखने के लिए दोनों के लिए यह गठबंधन करना मजबूरी भी बन गया था। दोनों ठाकरे भाइयों के साथ आने से मुंबई मनपा समेत अन्य स्थानीय निकाय चुनाव के सियासी समीकरण में जरुर बदलाव दिखाई देगा।
वोटों का फायदा होने की उम्मीद
उद्धव और राज के एक साथ आने से आगामी स्थानीय निकायों के चुनावों में शिवसेना (उद्धव) और मनसे दोनों दलों को फायदा होने की संभावना है। दोनों नेताओं के चेहरे पर मराठी भाषियों का वोट एकजुट हो सकता है। शिवसेना (उद्धव) और मनसे दोनों दलों का एक-दूसरे का वोट आसानी से ट्रांसफर हो सकता है। इससे भाजपा और शिवसेना (शिंदे) को उत्तर भारतीय और गुजराती समेत दूसरे समाज के गैर मराठी वोटों को एकजुट करने की चुनौती होगी। साल 2017 में मुंबई मनपा चुनाव में राज्य की सत्ता में होने के बावजूद शिवसेना (अविभाजित) और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। साल 2017 के मुंबई मनपा चुनाव में शिवसेना (अविभाजित) को 28.29 प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि मनसे को 7.73 प्रतिशत मत मिले थे। भाजपा ने 27.32 प्रतिशत वोट हासिल किया था। जबकि कांग्रेस को 15.94 प्रतिशत और राकांपा (अविभाजित) को 4.91 प्रतिशत वोट मिले थे। शिवसेना (अविभाजित) को भाजपा से केवल 0.97 प्रतिशत ज्यादा वोट मिला था। इससे मुंबई मनपा की सत्ता पर भाजपा कब्जा करते-करते रह गई थी। अब साल 2025 में होने वाले मुंबई मनपा चुनाव के लिए भाजपा ने कमर कस ली है। इस बीच शिवसेना (उद्धव) के 48 पूर्व नगरसेवक उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ चले गए हैं। इससे ठाकरे गुट मुंबई में लगातार कमजोर हो रहा था। लेकिन दोनों ठाकरे भाइयों के साथ आने से शिवसेना (उद्धव) में टूट रुकने के आसार हैं। ठाकरे भाइयों के साथ आने से भाजपा के लिए मुंबई मनपा चुनाव में चुनौती कड़ी होगी।
कांग्रेस अकेले लड़ेगी चुनाव
शिवसेना (अविभाजित) और मनसे के साथ आने से अब कांग्रेस का आगामी मुंबई मनपा चुनाव अकेले लड़ने की संभावना बढ़ गई है। कांग्रेस सहयोगी दल राकांपा (शरद) के साथ मिलकर मुंबई समेत अन्य स्थानीय निकाय चुनाव लड़ सकती है। फिलहाल शिवसेना (उद्धव), कांग्रेस और राकांपा (शरद) तीनों दलों की महाविकास आघाड़ी है।
उद्धव का विरोध करके अलग हुए थे राज
दोनों ठाकरे भाइयों ने मराठी के मुद्दे पर एक साथ मंच साझा किया है। लेकिन उद्धव का ही विरोध करके राज ने नवंबर 2005 में शिवसेना (अविभाजित) को छोड़ दिया था। दरअसल, शिवसेना (अविभाजित) के नेतृत्व को लेकर दोनों भाइयों में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई। उद्धव को शिवसेना (अविभाजित) का कार्याध्यक्ष बनाए जाने के बाद राज नाराज हो गए थे। इसके बाद उद्धव लगातार राज ठाकरे के लोगों को पार्टी में किनारे करने लगे। इससे नाराज होकर राज ठाकरे ने शिवसेना (अविभाजित) छोड़ने और अपना नया राजनीतिक दल बनाने का फैसला किया था।
आदित्य और अमित की नई जोड़ी
उद्धव और राज के साथ आने से मंच पर एक नई जोड़ी भी नजर आई। यह जोड़ी है- शिवसेना (उद्धव) के विधायक आदित्य ठाकरे और मनसे नेता अमित ठाकरे की। साल 2024 के विधानसभा चुनाव में अमित माहिम सीट से चुनाव हार गए थे। शिवसेना (उद्धव) उम्मीदवार ने ही उन्हें चुनाव में पराजित किया था।
शिंदे की भाजपा पर निर्भरता और बढ़ेगी
उद्धव और राज के मिलन से शिवसेना (शिंदे) के मुख्य नेता तथा उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। माना जा रहा है कि शिंदे की भाजपा पर अब और निर्भरता बढ़ेगी।
मुगालते में रह गई भाजपा और शिवसेना (शिंदे)!
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में मनसे अध्यक्ष राज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्थन दिया था। पर 6 माह ही हुए 2024 के विधानसभा चुनाव में मनसे अकेले लड़ी। चुनाव परिणाम के बाद भाजपा और शिवसेना (शिंदे) के प्रमुख नेता लगातार राज से मुलाकात कर रहे थे। इससे महायुति में मनसे के शामिल होने के अटकलें भी लगाई जा रही थीं। लेकिन राज मराठी के मुद्दे पर भाजपा और शिवसेना (शिंदे) को दरकिनार रखते हुए नई लकीर खींच दी। इससे राज की भूमिका को लेकर भाजपा और शिवसेना (शिंदे) दोनों दल मुगालते में रह गए।
राऊत की साफगोई
दोनों ठाकरे भाइयों के मनोमिलन पर शिवसेना (उद्धव) के संजय राऊत की साफगोई देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि वरली के डोम में मराठी जनता दोनों भाइयों का मिलने देखने के लिए जुटी थी। सभी लोग आनंदित और उत्साहित थे। उद्धव ने राज के साथ रहने की बात कही है। वह राज के बड़े भाई हैं। इसलिए राज अपने बड़े भाई उद्धव की बात को मंजूरी देंगे।
साल 2017 मुंबई मनपा चुनाव की स्थिति
दल जीते वोट प्रतिशत
शिवसेना (अविभाजित) 84 28.29 %
मनसे 7 7.73 %
भाजपा 82 27.32 %
राकांपा (अविभाजित) 9 4.91 %
कांग्रेस 31 15.94 %
निर्दलीय 5 6.02 %
छोटे दल 9 6.98 %
बसपा 0 0.93 %
सीपीआई 0 0.06 %
सीपीआईएम 0 0.09 %
नोटा 0 1.72 %
कुल 227 100 %
साल 2024 के विधान चुनाव में मिले वोट
दल मत प्रतिशत
भाजपा 26.77 %
शिवसेना (शिंदे) 12.38 %
राकांपा (अजित) 9.01 %
शिवसेना (उद्धव) 9.96 %
कांग्रेस 12.42 %
राकांपा (शरद) 11.28 %
मनसे 1.55 %
Created On :   5 July 2025 8:52 PM IST