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Mumbai News: मुनगंटीवार बोले - किसानों के साथ हो रही लूट रोकने ईओडब्ल्यू की तर्ज पर बनाएं एओडब्ल्यू, छलका फुके का दर्द

- सरकार सकारात्मक लेकिन पहले सीएम और दोनों डीसीएम से चर्चा होगी - रावल
- विधान परिषद सदन को कोई गंभीरता से नहीं लेता है
- विप में छलका भाजपा सदस्य परिणय फुके का दर्द
Mumbai News. महाराष्ट्र में किसानों की फसल खरीदने के मामले में हो रही धोखाधड़ी के मामले सामने आने के बाद अब राज्य सरकार ने ऐसी धोखाधड़ी से निपटने की योजना तैयार की है। अब केवल लाइसेंसधारी व्यापारी ही किसानों की फसल खरीद सकेंगे। राज्य के पणन मंत्री जयकुमार रावल ने बुधवार को विधानसभा में एक प्रश्न के जवाब में कहा कि जिस तरह से किसानों के साथ धोखाधड़ी के मामले सामने आ रहे हैं, उसी को देखते हुए राज्य सरकार ने अब व्यापारियों को कृषि बाजार समिति का लाइसेंस फसल खरीद के लिए जरूरी कर दिया है। सदस्य दौलत दरोडा के सवाल के जवाब में मंत्री रावल ने यह जानकारी दी। हालांकि आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की तर्ज पर सदस्य सुधीर मुनगंटीवार ने एग्रीकल्चर ऑफेंस विंग (एओडब्ल्यू) बनाने की मांग की। मंत्री रावल ने कहा कि अकोला जिले में अंडूरा एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी ने किसानों से सोयाबीन की खरीद की थी और उसे सरकारी वेयरहाउस में रखा गया था। लेकिन कंपनी ने कुछ किसानों को उनकी फसल का दाम नहीं चुकाया। जिसके बाद कंपनी के मालिक और 11 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इसके साथ-साथ कंपनी का 30 लाख रुपए का फंड भी फ्रीज कर दिया है। सदस्य सुधीर मुनगंटीवार ने सदन में किसानों से हो रही धोखाधड़ी को कम करने के लिए कृषि अपराध शाखा (एओडब्ल्यू) की स्थापना करने की मांग की। जिस पर मंत्री रावल ने कहा कि सरकार इसको लेकर सकारात्मक है, लेकिन पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दोनों उपमुख्यमंत्री अजित पवार और एकनाथ शिंदे से चर्चा की जाएगी। उधर किसानों के साथ हो रही धोखाधड़ी पर विपक्ष ने विधानसभा में हंगामा किया। विपक्ष ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस संबंध में बयान देने को कहा और इस पर चर्चा की मांग की। जिसके बाद महाविकास आघाडी के तीनों दलों के सभी सदस्य सदन से बाहर चले गए। विपक्ष के वॉकआउट पर अजित पवार ने कहा कि सरकार किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन विपक्ष राजनीति कर रहा है।
विप में छलका भाजपा सदस्य परिणय फुके का दर्द
विधान परिषद में सत्तारूढ़ भाजपा के सदस्य परिणय फुके का विकास निधि नहीं मिलने को लेकर दर्द छलका गया। बुधवार को सदन में नियम 260 के तहत चर्चा चल रही थी। इस बीच फुके ने कहा कि विधान परिषद के सदन को कोई गंभीरता से नहीं लेता है। सरकार के मंत्रियों को इस सदन में आने की इच्छा नहीं होती है। सदन में हो रही चर्चा की नोटिंग करने के लिए कोई अधिकारी नहीं बैठते हैं। मुझे खेद जताते हुए कहना पड़ रहा है कि विधान परिषद के सदस्यों से हर जगह सौतेला व्यवहार होता है। मुझे पता चला है कि विधान परिषद के सदस्यों को जिला नियोजन व विकास समिति (डीपीडीसी) से कोई नहीं मिलने वाला है। शायद इस बारे में सरकार ने कोई फैसला भी लिया होगा। लेकिन यह गलत फैसला लिया गया है। सरकार के विभिन्न विभागों के अलग-अलग मदों से भी निधि नहीं मिलती है। हमें कहा जाता है कि आप पिछले दरवाजे से सदन में पहुंचे हैं। लेकिन विधानसभा के सदस्य तो 500, एक हजार, दो हजार वोटों से जीतकर आते हैं। पर विधान परिषद के सदस्य कई जिले का नेतृत्व करते हैं। हमारे भाषणों को फेसबुक पर एक-एक लाख लोग देखते हैं। परिणय ने कहा कि मैं सत्तापक्ष का सदस्य हूं। इसके बावजूद मुझे यह बोलने की नौबत आई है। हम लोग सदन में मुद्दा उठाते हैं। लेकिन सरकार के विभाग लिखित जवाब नहीं देते हैं। ऐसा लगता है कि मैं विधान परिषद में आकर चूक कर दिया हूं। इस पर सदन की उपसभापति नीलम गोर्हे ने कहा कि परिणय का मुद्दा गंभीर है। इस बारे में गुरुवार को विधायक दल नेताओं की बैठक में चर्चा की जाएगी। फिर सदन में भी इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी।
Created On :   2 July 2025 9:54 PM IST