बॉम्बे हाईकोर्ट: पानसरे हत्याकांड में 6 को जमानत, मुंडे के खिलाफ याचिका, गर्भवती मौत मामले में भी सुनवाई

पानसरे हत्याकांड में 6 को जमानत, मुंडे के खिलाफ याचिका, गर्भवती मौत मामले में भी सुनवाई
  • अदालत ने आरोपियों के लंबे समय से जेल में होने और मुकदमे की सुनवाई में देरी का दिया हवाला
  • राज्य के कैबिनेट मंत्री धनंजय मुंडे के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने पति से विवाद के कारण गर्भपात का अनुरोध करने वाली महिला को मध्यस्थता के लिए भेजा
  • भांडुप के प्रसूति गृह में ऑपरेशन के दौरान गर्भवती महिला की मौत का मामला

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को 2015 में कम्युनिस्ट नेता गोविंद पानसरे की हत्या के मामले में 6 आरोपियों को जमानत दे दी। अदालत ने पाया कि आरोपी लंबे समय से कैद में हैं। उन्हें 2018 और 2019 के बीच गिरफ्तार किया गया था। वे तभी से जेल में बंद हैं। न्यायमूर्ति ए.एस.किलोर की एकल पीठ ने सचिन अंदुरे, गणेश मिस्किन, अमित देगवेकर, अमित बड्डी, भरत कुराने और वासुदेव सूर्यवंशी की ओर से वकील सिद्ध विद्या की दायर जमानत याचिकाओं को स्वीकार कर लिया। पीठ ने कहा कि मैं लंबी कैद के कारण 6 आरोपियों की जमानत याचिकाओं को स्वीकार कर रहा हूं। वह एक अन्य आरोपी - वीरेंद्र सिंह तावडे द्वारा दायर जमानत याचिका पर अलग से सुनवाई करेंगे। 16 फरवरी 2015 को 82 वर्षीय पानसरे और उनकी पत्नी उमा कोल्हापुर के सम्राट नगर इलाके में सुबह की सैर से घर लौट रहे थे। इस दौरान दो मोटरसाइकिल सवार लोगों ने उन पर कई राउंड फायरिंग की। इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए और चार दिन बाद अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया। कोल्हापुर के राजारामपुरी पुलिस स्टेशन में हत्या का मामला दर्ज किया गया। मामले की जांच को महाराष्ट्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीआईडी) की देखरेख में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंप दिया गया। एसआईटी की जांच से असंतुष्ट पानसरे के परिवार ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मामले को आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) को सौंपने की अनुरोध किया। 3 अगस्त 2022 को हाई कोर्ट ने मामले में कोई प्रगति नहीं होने से जांच को एटीएस को सौंप दिया। एटीएस ने जांच में सामने आए 12 आरोपियों में से 10 को गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ चार पूरक आरोप पत्र दाखिल किया। मामले में दो शूटर अभी भी फरार हैं। इस मामले में सुनवाई कोल्हापुर सत्र न्यायालय में चल रही है। मामले में करीब 30 गवाह पेश किए जा चुके हैं, जबकि करीब 200 गवाहों को अदालत में पेश किया जाना बाकी है। हाई कोर्ट मामले की जांच की निगरानी कर रहा था, लेकिन इस महीने की शुरुआत में कोर्ट ने कहा कि वह ऐसा करना जारी नहीं रखेगा। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई में तेजी लाने और रोजाना सुनवाई करने का आदेश दिया था।

राज्य के कैबिनेट मंत्री धनंजय मुंडे के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल

उधर राज्य के कैबिनेट मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजीत गुट के नेता धनंजय मुंडे के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल की गई है। याचिका में मुंडे के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच और बीड के सरपंच संजय देशमुख की हत्या के मामले की अदालत से निगरानी का अनुरोध किया गया है।सामाजिक कार्यकर्ता केतन तिरोडकर ने याचिका में सरपंच संजय देशमुख की हत्या से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका जतायी है और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को जांच शुरू करने का निर्देश देने की मांग की गई। साथ ही याचिका में अदालत से चुनाव आयोग को धनंजय मुंडे द्वारा दायर हलफनामे की जांच करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। मुंडे ने अपने हलफनामे में इस बात का खुलासा नहीं किया कि वह कई कंपनियों के निदेशक हैं। बीड के मासजोग गांव के सरपंच संजय देशमुख का पिछले साल 9 दिसंबर को अपहरण और प्रताड़ित कर हत्या कर दी गई, क्योंकि उन्होंने एक पवनचक्की परियोजना संचालित करने वाली ऊर्जा फर्म के खिलाफ जबरन वसूली के प्रयास को रोकने की कोशिश की थी। याचिका में यह भी दावा किया गया कि मुंडे बीड के परली से आते हैं और यहां से गिरफ्तार आरोपी वाल्मिक कराड के साथ उनके संबंधों को लेकर विपक्ष द्वारा उन पर हमला किया जा रहा है। मुंडे और वाल्मिक दोनों कुछ कंपनियों में सह-निदेशक हैं और दोनों से जुड़ी कंपनियों द्वारा किए गए वित्तीय लेनदेन की जांच की जानी चाहिए।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने पति से विवाद के कारण गर्भपात का अनुरोध करने वाली महिला को मध्यस्थता के लिए भेजा

इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने पति से विवाद के कारण गर्भपात का अनुरोध करने वाली महिला को मध्यस्थता के लिए भेज दिया। अदालत ने दंपति को अपने विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने का प्रयास करने का सुझाव दिया। अदालत ने कहा है कि वे वैवाहिक समस्याओं के कारण 20 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने का अनुरोध करने वाली महिला को याचिका पर फैसला लेने से पहले अपने विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने का प्रयास करें। मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को रखी गई है।न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति प्रवीण पाटील की पीठ ने महिला की याचिका पर अपने आदेश में कहा कि दंपति के बीच विवाद बड़ा नहीं है और इसे सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जा सकता है। पीठ ने पति-पत्नी को इस सप्ताह तीन दिनों के लिए पुणे मजिस्ट्रेट कोर्ट परिसर में मिलने और अपने मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि दोनों पक्षों के वकील उनमें सुलह करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे, जिससे एक सौहार्दपूर्ण माहौल बनाया जा सके। अगर बच्चा पैदा होता है, तो यह उनका पहला बच्चा होगा। अदालत ने यह भी कहा कि यदि आवश्यक हो, तो बच्चे की खातिर जोड़े को एक-दूसरे पर भरोसा करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रशिक्षित मध्यस्थ की सेवाओं का उपयोग किया जाना चाहिए। महिला ने पति के साथ अपने तनावपूर्ण संबंधों का हवाला देते हुए गर्भावस्था को समाप्त करने का अनुरोध करते हुए इस महीने की शुरुआत में अदालत का दरवाजा खटखटाया। याचिका में दावा कहा गया कि पति ने उसे ताना मारा कि वह उससे कभी शादी नहीं करना चाहता था, क्योंकि वह किसी दूसरी महिला से प्यार करता है। महिला ने आरोप लगाया कि उसने यह भी दावा किया कि जो बच्चा पैदा होगा, वह उसका नहीं है। वह बच्चे को स्वीकार नहीं करेगा। मई 2023 में जोड़े की शादी हुई। इसके बाद महिला ने पुणे में मजिस्ट्रेट की अदालत में घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई

भांडुप के प्रसूति गृह में ऑपरेशन के दौरान गर्भवती महिला की मौत का मामला

वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने भांडुप के प्रसूति गृह में ऑपरेशन के दौरान गर्भवती महिला की मौत के मामले में दायर याचिका पर मुंबई महानगर पालिका के सभी 30 प्रसूति गृहों के हालात की जांच के लिए 8 डॉक्टरों की समिति के गठन का निर्देश दिया है। अदालत ने बीएमसी के प्रसूति गृह (अस्पतालों) की खराब स्थिति पर चिंता व्यक्त की। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ के समक्ष मृत महिला के पति खुशरुद्दीन अंसारी की ओर से वरिष्ठ वकील गायत्री सिंह की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील गायत्री सिंह ने पीठ को बीएमसी के 30 प्रसूति गृहों (अस्पतालों) की खराब स्थिति की जांच के लिए समिति के गठन का सुझाव दिया। पीठ ने उनके सुझाव को स्वीकार कर बीएमसी को 8 डॉक्टरों की समिति के गठन का निर्देश दिया। आठ सदस्यों में से छह की नियुक्ति याचिकाकर्ता की सिफारिशों के आधार पर की जाएगी। जबकि बीएमसी द्वारा सुझाए दो सदस्यों में एक जे.जे.अस्पताल और दूसरा नायर अस्पताल से होंगे। उनमें केईएम अस्पताल से सामुदायिक चिकित्सा के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. कामई भाटे, स्त्री रोग विभागाध्यक्ष डॉ. पद्मजा, डॉ. रीना वाणी, स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य केंद्र अध्यक्ष ब्रिनेल डिसूजा, अखिल भारतीय जनवती महिला संगठन की उपाध्यक्ष सोन्या गिल, स्वास्थ्य एवं महिला अधिकार की वकील संगीता रेगे प्रमुख हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पिछले साल 29 अप्रैल को शहीदुनिस्सा को प्रसव पीड़ा हुई और उन्हें सुबह भांडुप के सुषमा स्वराज प्रसूति गृह ले जाया गया। इस दौरान अस्पताल में कई बार बिजली गुल हुई और कोई इनवर्टर या जनरेटर उपलब्ध नहीं था। डॉक्टरों ने बिजली जाने के कारण मोबाइल टॉर्च की रोशनी में सर्जरी की। बच्चे का जन्म हुआ, लेकिन कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो गई। गंभीर हालत में शहीदुनिस्सा को फिर सायन अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी भी मौत हो गयी। उसके कई बार अनुरोध करने के बावजूद उनकी पत्नी का मेडिकल रिकॉर्ड नहीं दिया गया। याचिकाकर्ता ने भांडुप पुलिस द्वारा अपनी पत्नी और बच्चे की मौतों की गहन और समयबद्ध जांच की मांग की। उन्होंने याचिका में गलत तरीके से उनकी जान जाने के लिए मुआवजे का भी अनुरोध किया है।


Created On :   29 Jan 2025 8:12 PM IST

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