बॉम्बे हाई कोर्ट: महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों के कुपोषण के विषय में वर्तमान हालात की राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों के कुपोषण के विषय में वर्तमान हालात की राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट
  • जनहित याचिका पर सुनवाई
  • आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों के कुपोषण के विषय में मांगी रिपोर्ट

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों के कुपोषण और उनके स्वास्थ्य के संबंध में वर्तमान हालात के विषय में राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने सरकार से पूछा कि राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में इस समय बच्चों के कुपोषण और स्वास्थ्य के क्या हालात हैं? 17 साल पहले दायर जनहित याचिका में आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों के कुपोषण और गर्भवती माताओं की दुर्दशा होने का दावा किया गया था।

मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ के समक्ष डॉ.राजेंद्र सदानंद बर्मा की 2007 में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील डॉ. उदय वारुंजीकर ने दलील दी कि अभी भी राज्य के कई आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों और गर्भवती माताओं के हालात ठिक नहीं है। वहां स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। कुछ आदिवासी क्षेत्रों में रहने वालों में भाषा की समस्या भी है। पीठ ने सरकारी वकील से पूछा कि क्या वर्तमान में आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के हालात में सुधार हुआ है। इस समय इन इलाकों में आदिवासियों की क्या स्थिति है? सरकारी वकील ने अदालत में पहले दाखिल किए गए हलफनामे का हवाला देते हुए सरकार द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों और महिलाओं के हालात में सुधार होने की बात कही। इस पर डॉ.वारुंजीकर ने कहा कि सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में लोगों के लिए कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी वहां स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति ठीक नहीं है। इसके बाद पीठ ने सरकार के आदिवासी क्षेत्रों में लोगों के वर्तमान हालात के विषय में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। तीन सप्ताह में तीन सप्ताह में मामले की अगली सुनवाई होगी।

Created On :   29 July 2025 9:59 PM IST

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