बॉम्बे हाई कोर्ट: मुंबई में बढ़ते वायु प्रदूषण पर जताई गंभीर चिंता, कंस्ट्रक्शन साइट्स के निरीक्षण के लिए बनाई पांच सदस्यीय टीम

मुंबई में बढ़ते वायु प्रदूषण पर जताई गंभीर चिंता, कंस्ट्रक्शन साइट्स के निरीक्षण के लिए बनाई पांच सदस्यीय टीम
  • 15 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई
  • अदालत ने वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में सुधार के लिए मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) मांगा एक्शन प्लान
  • अदालत ने मुंबई के कंस्ट्रक्शन साइट्स के निरीक्षण के लिए बनाई पांच सदस्यीय टीम

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को मुंबई में बढ़ते वायु प्रदूषण पर गंभीर चिंता जताई। अदालत ने मुंबई के कंस्ट्रक्शन साइट्स के निरीक्षण के लिए पांच सदस्यीय एक टीम बनाई है, जो यह देखेगा कि वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पहले जारी की गई गाइडलाइन का कंस्ट्रक्शन साइट्स पर पालन हो रहा है या नहीं। अदालत ने वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में सुधार के लिए मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) एक्शन प्लान की जानकारी मांगी है। 15 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई रखी गई है

मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ के समक्ष स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान पीठ को बताया गया कि वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए असरदार कदम उठाने के पिछले आदेशों के बावजूद नियम तोड़े गए। पीठ ने कहा कि भ्रम पैदा करने वाले कई निर्देश देने के बजाय छोटे कदम उठाकर यह सुझाव दिया जा सकता है कि वायु गुणवत्ता को तय सीमा के अंदर कैसे लाया जा सकता है? पीठ इस बात से सहमत था कि एक लॉन्ग-टर्म प्लान की जरूरत है, जिसमें समय लगेगा। दिल्ली 15 से 20 सालों से जूझ रही है।

पीठ के पांच सदस्यीय टीम बीएमसी, महाराष्ट्र पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (एमपीसीबी) का एक अधिकारी, सिविल सोसाइटी के दो सदस्य और एक पब्लिक हेल्थ अधिकारी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि टीम को कंस्ट्रक्शन साइट्स में एंट्री के लिए सभी लॉजिस्टिक्स, ट्रांसपोर्ट और सिक्योरिटी वाले लोग दिए जाएंगे। टीम के सदस्यों को जिन इलाकों में जाना है, उनके बारे में तय किया जाएगा और बाद में अदालत को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। सुनवाई के दौरान न्यायालय मित्र (एमिकस क्यूरी) वरिष्ठ वकील डेरियस खंबाटा ने पीठ को बताया कि प्रदूषण का एक बड़ा कारण कंस्ट्रक्शन साइट्स से निकलने वाली धूल है और अदालत ने 2023-24 में 27 गाइड लाइन पर डिटेल्ड ऑर्डर पास किए थे, जिनका पालन बीएमसी को पक्का करना था। इनमें कंस्ट्रक्शन साइट्स पर सेंसर लगाना और यह मॉनिटर करना शामिल था।

उन्होंने कहा कि कंस्ट्रक्शन साइट्स पर धूल कम करने के लिए पानी छिड़कने और मटीरियल के ट्रांसपोर्टेशन के दौरान गाड़ियों को ढकने जैसे कदम उठाए जाने का निर्देश दिया गया था, लेकिन गाइडलाइंस का पूरी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है। शहर में 1000 कंस्ट्रक्शन साइट्स में से सिर्फ 400 पर सेंसर मॉनिटर हैं और उनमें से 117 काम नहीं कर रहे हैं। बीएमसी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने पीठ को बताया कि हर वार्ड में स्पेशल स्क्वॉड हैं, जो कंस्ट्रक्शन साइट्स पर जाते हैं और उल्लंघन के मामलों में काम रोकने के नोटिस भी दिए गए हैं। सामाजिक संस्था वनशक्ति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील जनक द्वारकादास ने कहा कि इनमें से कई कदम सिर्फ कागजों पर हैं और उन्होंने इस सख्ती से पालन की मांग की।

पीठ ने टीम नियुक्त करते हुए कहा कि हम सोच रहे हैं कि फैक्ट्स को कैसे वेरीफाई करे। वे कह रहे हैं कि वे मॉनिटरिंग कर रहे हैं। हमें कुछ रिकॉर्ड मिल जाए, शायद वार्ड के हिसाब से। हम बीएमसी के बजाय किसी इंडिपेंडेंट सोर्स से रिपोर्ट चाहते हैं। डेवलपर्स के एक ग्रुप की ओर से पेश वकील ने पीठ को यह बताया कि बीएमसी ने सेंसर लगाने का आदेश दिया है, लेकिन उन्हें सिर्फ 13 अप्रूव्ड वेंडर ही दिए गए हैं, जो शहर भर में 15000 साइटों के लिए सेंसर नहीं दे पा रहे हैं। इसके बाद पीठ ने इंटरवेनर को एक एफिडेविट फाइल करने का निर्देश दिया।

Created On :   28 Nov 2025 8:35 PM IST

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