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Mumbai News: शिंदे समिति की अवधि छह महीने बढ़ाई गईः विखे पाटील

- मराठा आरक्षण के लिए गठित राज्य मंत्रिमंडल की उपसमिति की बैठक में फैसला
- जरांगे-पाटील के आंदोलन की घोषणा के बाद हरकत में आई सरकार
Mumbai News मराठा आंदोलक मनोज जरांगे-पाटील के ओबीसी कोटे में मराठा आरक्षण देने की मांग को लेकर मुंबई में 29 अगस्त से आंदोलन की चेतावनी के बाद राज्य सरकार हरकत में आ गई है। सरकार ने मराठों को मराठा-कुणबी, कुणबी-मराठा जाति का जाति प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया में आवश्यक पुराने वैधानिक अभिलेखों के अध्ययन के लिए गठित सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे समिति की अवधि छह महीने के लिए बढ़ा दी गई है। मराठा आरक्षण के लिए गठित राज्य मंत्रिमंडल उपसमिति के अध्यक्ष तथा प्रदेश के जलसंसाधन मंत्री (गोदावरी व कृष्णा घाटी विकास महामंडल) राधाकृष्ण विखे- पाटील ने यह जानकारी दी है।
मंगलवार को मंत्रालय में विखे-पाटील की अध्यक्षता में मराठा आरक्षण के लिए गठित राज्य मंत्रिमंडल उपसमिति की पहली बैठक हुई। विखे-पाटील ने कहा कि जरांगे-पाटील की मांग के अनुसार शिंदे समिति की अवधि छह महीने के लिए बढ़ा दी गई है। इसलिए शिंदे समिति हैदराबाद राजपत्र का अध्ययन करके उचित फैसला करेगी। विखे-पाटील ने कहा कि मराठा आंदोलन में मृत हुए लोगों में से केवल 9 परिजनों को एसटी महामंडल में अगले तीन महीने में नौकरी दे दी जाएगी। इससे पहले जरांगे-पाटील के आंदोलन के बाद तत्कालीन शिंदे सरकार ने 7 सितंबर 2023 को सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे की अध्यक्षता में समिति बनाई थी।
जरांगे-पाटील से चर्चा का सवाल पैदा नहीं होता : विखे-पाटील ने कहा कि राज्य में मराठा समाज को दस प्रतिशत आरक्षण लागू है। इस आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में टिकाए रखने के लिए सरकार आवश्यक कदम उठाएगी। एक सवाल के जवाब में विखे-पाटील ने कहा कि जरांगे-पाटील ने मुंबई में अनशन की घोषणा की है। उनकी मांगों के लेकर सरकार सकारात्मक है। लेकिन उनसे चर्चा का सवाल ही पैदा नहीं होता है। क्योंकि सबसे बड़ा सवाल है कि जरांगे-पाटील सरकार से चर्चा करने के लिए तैयार है क्या? विखे-पाटील ने कहा कि मराठा समाज को आरक्षण देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री रहते हुए मिला था। इसलिए जरांगे-पाटील का फडणवीस के खिलाफ लगाए गए आरोपों में कोई तथ्य नहीं है।
पवार और उद्धव को भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए : विखे-पाटील ने कहा कि जरांगे-पाटील मराठा आरक्षण और विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री फडणवीस की आलोचना कर रहे हैं। लेकिन जरांगे-पाटील को राकांपा (शरद) के अध्यक्ष शरद पवार और शिवसेना (उद्धव) के पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे से भी सवाल पूछना चाहिए। पवार राज्य के चार बार और उद्धव एक बार मुख्यमंत्री रहे हैं। इसलिए मराठा आरक्षण पर पवार और उद्धव दोनों को भूमिका स्पष्ट करना चाहिए।
Created On :   26 Aug 2025 7:18 PM IST