बॉम्बे हाई कोर्ट: 13 बच्चों के अपहरण और हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा पाने वाली दो बहनों को नहीं मिली राहत

13 बच्चों के अपहरण और हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा पाने वाली दो बहनों को नहीं मिली राहत
  • अदालत ने दोनों बहनों की फरलो पर रिहाई की मांग की याचिकाओं पर अंतरिम राहत देने से किया इनकार
  • दोनों बहनों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने 13 बच्चों के अपहरण और हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा पाने वाली दो बहनों को राहत नहीं मिली। अदालत ने उन्हें फरलो पर रिहा करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। दोनों बहनों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया। न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति रंजीतसिंह भोंसले की पीठ के समक्ष सीमा गावित और उनकी बहन रेणुका शिंदे की फरलो याचिकाओं पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं ने फरलो याचिकाओं में अंतरिम राहत का अनुरोध किया। पीठ ने उनके अंतरिम राहत के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। वे पुणे के यरवडा जेल में बंद हैं।

दोनों बहनों को 1990 और 1996 के बीच 13 बच्चों का अपहरण करने और उनमें से कुछ की हत्या करने का दोषी ठहराया गया था। उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में उनकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दी। कोल्हापुर निवासी बहनों को नवंबर 1996 में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में उनकी मां अंजना गावित भी सह-आरोपी थीं। उनकी 1998 में बीमारी से मृत्यु हो गई थी। सीमा गावित ने 2024 में फरलो की मांग करते हुए याचिका दायर की और उनकी बहन शिंदे ने इस साल हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। राज्य कारागार प्राधिकरण ने इस साल मार्च में उनका फरलो पर रिहाई का विरोध करते हुए बताया था कि जेल में उसका आचरण बिल्कुल असहनीय और हिंसक है। उसकी रिहाई समाज के लिए खतरनाक होगी। अपराध की गंभीरता और उसके द्वारा किए गए जघन्य कृत्यों को देखते हुए उन्हें फरलो देना उचित नहीं होगा।

Created On :   26 Sept 2025 9:29 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story