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बॉम्बे हाई कोर्ट: अनधिकृत निर्माण के किसी भी भाग को संरक्षण नहीं, करोड़ों के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भाजपा नेता को जमानत

- बीएमसी ने फर्म ‘मॉडर्न पेंट एंड ऑटो कॉर्पोरेशन’ के इमारत में अनधिकृत निर्माण और परिवर्तन को तोड़ने की भेजी है नोटिस
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने 11 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भाजपा नेता को दी जमानत
- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 6 जनवरी 2024 को भाजपा नेता दिगंबर रोहिदास को किया था गिरफ्तार
Mumbai News. न्यायालय अनधिकृत निर्माण के किसी भी भाग या भागों को संरक्षण प्रदान नहीं कर सकता है कि वह निर्माण का केवल एक भाग है। मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) द्वारा अनिधिकृत निर्माण को तोड़ने के लिए जारी नोटिस में कोई कमी नहीं मिली है। बीएमसी की धारा 351(1ए) के तहत जारी 9 जनवरी 2025 के नोटिस की अनुसूची में भी स्पष्ट रूप से बताया गया है कि ऐसे अनधिकृत परिवर्तनों और निर्माणों और परिवर्धन की प्रकृति क्या है? याचिका केवल आशंका के आधार पर दायर की गई है। ऐसा कोई लिखित संचार नहीं है कि बीएमसी निर्माणों को हटाने के तहत इस तरह के नोटिस को निष्पादित करते समय किसी भी अधिकृत निर्माण को ध्वस्त करेगा। न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की पीठ ने फर्म ‘मॉडर्न पेंट एंड ऑटो कॉर्पोरेशन’ की याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि बीएमसी द्वारा केवल उस नोटिस की अनुसूची में वर्णित अनधिकृत निर्माण को ही हटाया जा रहा है। याचिकाकर्ता 9 जनवरी 2025 के नोटिस की अनुसूची में दिए गए आपत्तिजनक निर्माण के विवरण पर कोई प्रश्न उठाते हुए समाप्त हो चुके मुद्दों को फिर से नहीं खोल सकता है। पीठ ने कहा कि हम इस याचिका में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप या कोई राहत प्रदान करना उन मुद्दों पर मामले का दूसरा दृष्टिकोण अपनाने के समान होगा, जो पिछली कार्यवाही में पीठ के समक्ष निर्णय के लिए आए थे। पिछली याचिका का जो मुद्दा अभिन्न अंग थे, ऐसे समाप्त हो चुके मुद्दों पर निर्णय दोबारा नहीं हो सकता है। वर्ली के डा.एनी बेसेंट रोड स्थित फर्म ‘मॉडर्न पेंट एंड ऑटो कॉर्पोरेशन’ के अनधिकृत परिवर्तनों और निर्माणों को बीएमसी अधिनियम (बीएमसी अधिनियम) की धारा 351(1ए) के तहत बीएमसी द्वारा जारी 9 जनवरी 2025 के नोटिस से संबंधित है। उस नोटिस का विरोध करते हुए याचिका दायर की गई थी। जिस पर न्यायालय की समन्वय पीठ द्वारा 9 मई 2025 को दिए गए निर्णय और आदेश द्वारा निर्णय दिया गया, जिसमें बीएमसी द्वारा जारी नोटिस को बरकरार रखा गया है। उस समय पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से यह प्रश्न पूछा कि क्या याचिकाकर्ताओं ने उन परिवर्तनों के लिए आवेदन किया था और अनुमति प्राप्त की थी, जिनके बारे में उनका दावा था कि वे केवल किराए पर लेने योग्य मरम्मत से संबंधित थे। बीएमसी की ओर से पेश वकील गिरीश गोडबोले ने कहा कि नोटिस की अनुसूची स्पष्ट रूप से उन सभी का खुलासा करती है, जिन्हें अवैध माना गया था और जिनके लिए कोई अनुमति नहीं मांगी गई थी। याचिकाकर्ताओं ने किराए पर लेने योग्य मरम्मत की आड़ में इमारत के निर्माण में व्यापक और अनधिकृत परिवर्तन किए हैं। पीठ ने कहा कि किसी पुराने निर्माण के आगे के भाग में सुधार करने में स्वाभाविक रूप से कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन ऐसे सुधारों का इस्तेमाल मूल ढांचे को इस तरह बदलने के बहाने के तौर पर नहीं किया जा सकता, जिससे उसका मूल स्वरूप ही बदल जाए। पीठ ने याचिका खारिज कर दी।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 11 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भाजपा नेता को दी जमानत
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 11 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सतारा के भाजपा नेता दिगंबर रोहिदास अागवने जमानत दे दी। अागवने का मामला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की मुंबई इकाई द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत दर्ज की गई थी, जो धोखाधड़ी वाले कर्ज और संपत्ति लेनदेन के आरोपों से जुड़ा है। ईडी ने उन्हें 6 जनवरी 2024 को को गिरफ्तार किया था। न्यायमूर्ति अमित बोरकर ने कहा कि जांच पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है। अदालत ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय का मामला मुख्यतः दस्तावेज़ी साक्ष्यों बैंक स्टेटमेंट, कर्ज समझौते, पंजीकृत दस्तावेज और मूल्यांकन रिपोर्ट पर आधारित है, जो सभी एजेंसी के पास सुरक्षित हैं। पीठ ने ईडी के छेड़छाड़ के जोखिम के दावे को काल्पनिक बताते हुए कहा कि ये सभी दस्तावेज प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पहले ही अपने कब्जे में ले लिए गए हैं। ऐसे दस्तावेजों को अब आसानी से नष्ट या बदला नहीं जा सकता है। इसलिए अभियुक्त द्वारा इस तरह के साक्ष्य में हस्तक्षेप करने की संभावना वास्तविक से ज्यादा काल्पनिक है। पीठ ने कहा कि संपत्तियों के मूल्यांकन और दोहरे बंधक के आरोपों जैसे मुद्दों की मुकदमे के दौरान विशेषज्ञ जांच की आवश्यकता होगी। पीठ ने बचाव पक्ष के इस दावे पर भी ध्यान दिया कि कुछ प्राथमिकी विलंबित और प्रतिशोधात्मक थीं। गिरवी रखी गई संपत्तियों का मूल्य कर्जों से ज्यादा था और बैंकों ने सरफेसी के तहत वसूली शुरू कर दी थी, जिससे नुकसान का जोखिम कम हो गया। स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी पर जोर देते हुए पीठ ने कहा कि सख्त शर्तें फरार होने या गवाहों को प्रभावित करने की आशंकाओं को कम कर सकती हैं। अदालत ने अगवाने को 5 लाख रुपए का मुचलका भरने का आदेश दिया गया है। ईडी के अनुसार खराब क्रेडिट रेटिंग के कारण आगवने ने अपने दो सहयोगियों रंजीत धूमल और प्रणय मटकर के नाम का इस्तेमाल मेसर्स जेडी केमिकल एंड फर्टिलाइजर प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना और कर्ज प्राप्त करने के लिए किया। आरोप है कि उन्होंने कंपनी के माध्यम से फलटन में जमीन खरीदी और धन का दुरुपयोग किया। अागवने ने विशेष अदालत के जमानत याचिका को खारिज किए जाने को हाई कोर्ट में चुनौती दी।
Created On :   24 Aug 2025 10:11 PM IST