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विप उपसभापति गोर्हे के खिलाफ विपक्ष आक्रामक
- उद्धव का साथ छोड़ शिंदे गुट में शामिल हो गई है निलम गोर्हे
- सदन में हंगामे के बाद राज्यपाल से मिले विपक्षी नेता
डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना (उद्धव गुट) से पाला बदलकर शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल होने वाली विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोर्हे को पद से हटाने को लेकर विपक्ष आक्रामक हो गया है। विधानमंडस मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को शिवसेना (उद्धव गुट) ने उपसभापति को पद से हटाने को लेकर विधानमंडल सचिवालय को नोटिस दिया है। इस मांग को लेकरविपक्ष के गठबंधन महाविकास आघाड़ी के तीनों दलों के नेताओं ने राजभवन जाकर राज्यपाल रमेश बैस को ज्ञापन भी सौंपा।
शिवसेना (उद्धव गुट) ने उपसभापतिनीलम,शिवसेना (शिंदे गुट) के दो बागी सदस्य मनीषा कायंदे और विप्लव बाजोरिया को अयोग्य घोषित करने के लिए विधानमंडल के सचिव जितेंद्र भोले के समक्ष याचिका भी दाखिल की है। सोमवारको विधान परिषद मेंविपक्ष ने उपसभापति को हटाने की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। इसके बाद विपक्ष ने सदन से वॉक आउट कर दिया। सदन मेंशेकाप के सदस्य जयंत पाटील ने उपसभापति का मुद्दा उठाया। इस परराज्य के ग्रामीण विकास मंत्री गिरीश महाजन ने कहा कि आप उपसभापति के मामले को लेकर अदालत में चले जाइए। जिस पर पाटील ने कहा कि मैं अदालत में नहीं जाऊंगा क्योंकि अदालत आपके लिए आसन है। जिसके बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सदन में विपक्ष कभी भी उपसभापति के मामले को उठा नहीं सकता है। विपक्ष को सदन में नियमों के अनुसार ही बोलने की अनुमति दी जा सकती है। इसके बाद उपसभापति गोर्हे ने कहा कि विधान परिषद के विधायक दल की बैठक में विपक्ष के सदस्य आए ही नहीं थे। यदि विपक्ष नेमुझे पहले बता दिया होता तो सदन में बोलने की अनुमति दे देती। सदन में बोलने की अनुमति न मिलने के बाद विपक्ष के सदस्य हंगामा करने लगे।
शिवसेना छोड़ दिया इस लिए, वे अयोग्य घोषित होने की पात्र
विधानभवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत में विधान परिषद में शिवसेना (उद्धव गुट) के सदस्य अनिल परब ने कहा कि उपसभापति नीलम कुछ दिन पहले शिवसेना (उद्धव गुट) की प्राथमिक सदस्यता कोस्वेच्छा से छोड़ दिया है।जिसके बाद शिवसेना (उद्धव गुट) ने उपसभापति को निलंबित कर दिया है। अबहमने उपसभापति के खिलाफ संविधान के 10 वें अनुच्छेद के अंतर्गत अयोग्य घोषित करने के लिए याचिका दाखिल की है।परब ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट फैसले के अनुसार अयोग्यता मामले पर फैसला लेने का अधिकार सभापति के पास है। लेकिन फिलहाल सदन में सभापति नहीं हैं। जबकि उपसभापति के खिलाफ याचिका दाखिल की गई है। ऐसे में अपने खिलाफ दाखिल याचिका पर उपसभापति खुद सुनवाई नहीं कर सकती हैं?
संवैधानिक समस्या का हल खोजे राज्यपाल
राज्यपाल से मिलने के बाद विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि विधान परिषद में संवैधानिक पेंच तैयार हो गया है। इसलिए हमें उम्मीद है कि राज्यपाल इस पर जल्द फैसला करेंगे। दूसरी ओर विधान परिषद में भाजपा के सदस्य प्रवीण दरेकर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि दानवे को उपसभापति को नैतिकता सिखाने के बजाय खुद इस्तीफा देना चाहिए। क्योंकि विधान परिषद में दानवे के पास विपक्ष के नेता पद के लिए अब बहुमत नहीं बचा है।
Created On :   17 July 2023 9:53 PM IST