- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- हौसलों ने भरी उड़ान - हस्ताक्षर न कर...
हौसलों ने भरी उड़ान - हस्ताक्षर न कर पाने के चलते पिता के आंसू देखकर लिया बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने का संकल्प
- चार्टर्ड एकाउंटेंट, इंजीनियर और एमबीए बने पानीपूरी वाले के बच्चे
- हौसलों ने भरी उड़ान
डिजिटल डेस्क, मुंबई। घाटकोपर इलाके में रहने वाले और वहीं पानी-पूरी और दही-पूरी का ठेला लगाने वाले दीनदयाल गुप्ता के चार बच्चे हैं, जिनमें से दो एमबीए, एक इंजीनियर और एक चार्टर्ज एकाउंटेंट हैं। गुप्ता ने बताया कि बच्चों कोउच्च शिक्षा दिलाने का फैसला उन्होंने अपने अनपढ़ पिता के आंखों में आंसू देखकर किया। गुप्ता के पिता स्कूल नहीं जा सके थे, उन्होंने भी 11वीं में फेल होने के बाद पढ़ाई छोड़ दी और पिता के साथ पानी-पूरी के ठेले पर उनकी मदद करने लगे। लेकिन एक घटना ने पढ़ाई के प्रति गुप्ता का पूरा नजरिया बदल दिया।
गुप्ता ने बताया कि मेरे पिता को एक कागज पर हस्ताक्षर करना था, लेकिन कागज सामने आते ही उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। उन्हें इस बात की ग्लानि हो रही थी कि पढ़ा-लिखा न होने के चलते उन्हें अंगूठा लगाना पड़ रहा है और उनका बेटा भी ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाया। इस घटना के बाद गुप्ता ने संकल्प लिया कि वे अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाएंगे, जिससे उनके पिता को उन पर गर्व हो। गुप्ता बताते हैं कि राह आसान नहीं थी। गुप्ता के चार बच्चे हैं। एक बेटी और तीन बेटे, जिनकी उच्च शिक्षा में मोटी रकम खर्च होती थी। लेकिन गुप्ता ने फैसला कर लिया था कि वे किसी भी कीमत पर बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाएंगे। उन्होंने कहा कि मैंने कमाई का सारा पैसा बच्चों की पढ़ाई में खर्च किया और मुझे खुशी है कि बच्चों ने भी पूरा साथ दिया और उच्च शिक्षा हासिल की।
बेटों ही नहीं, बेटी को भी पढ़ाया
गुप्ता ने बताया कि पढ़ाई के मामले में उन्होंने बेटे-बेटी में कोई भेदभाव नहीं किया। उनकी बेटी अंजनी और बेटे अमित ने फाइनांस में एमबीए किया और दोनों अच्छी कंपनियों में नौकरी कर रहे हैं। बेटा अजय सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के बाद फिलहाल जर्मनी में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत है, जबकि सबसे छोटा बेटा अभिषेक भी चार्टर्ड एकाउंटेंट है और मुंबई में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी कर रहा है।
सीए बेटा अब भी करता है पिता की मदद
बच्चे उच्च शिक्षा के बाद अच्छी नौकरियां कर रहे हैं और वे चाहते हैं कि पिता अब आराम करें, लेकिन गुप्ता अब भी रोजाना अपना ठेला लगाते हैं। यही नहीं, छुट्टियों के दौरान उनके उच्च शिक्षित बेटे भी उनकी मदद के लिए आते हैं।चार्टर्ज एकाउंटेंटअभिषेक ने बताया कि कोरोना के समय जब ठेला लगाने की इजाजत नहीं थी, मैंने देखा था कि मेरे पिता किस तरह बेचैन रहते थे। उन्हें यह काम अच्छा लगता है। किस तरह स्वाद बढ़ाने के लिए ज्यादा अच्छा मसाला तैयार किया जा सकता है, वे लगातार यही कोशिश करते रहते हैं। इसलिए मैंने भी फैसला किया है कि जब भी संभव होगा, उनकी मदद के लिए उनके साथ खड़ा रहूंगा। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में स्थित जमीलपुर गांव के रहने वाले गुप्ता ने बताया कि 60 साल पहले पिता ने पानी-पूरी का ठेला लगाना शुरू किया था, जिसे उन्होंने पिछले 35 साल से जारी रखा है। गुप्ता ने कहा कि इसी ठेले ने मेरी दुनिया बदली है, इसलिए मैं जब तक संभव होगा, यह काम जारी रखना चाहता हूं।
Created On :   17 July 2023 2:30 AM IST