स्थानीय चुनाव: विपक्षी दलों के साथ मिलकर स्थानीय निकाय चुनाव लड़ना चाहता है शरद गुट, तो कोंकण में अब राणे बंधु होंगे आमने-सामने

विपक्षी दलों के साथ मिलकर स्थानीय निकाय चुनाव लड़ना चाहता है शरद गुट, तो कोंकण में अब राणे बंधु होंगे आमने-सामने
  • उद्धव से मिलेंगी राकांपा (श) सांसद
  • विपक्षी दलों के साथ मिलकर स्थानीय निकाय चुनाव लड़ना चाहता है शरद गु
  • शिंदे गुट-भाजपा में नहीं हो पाया चुनावी गठबंधन
  • गठबंधन टूटते ही दोनों दलों ने अपने-अपने संगठन को किया सक्रिय

Mumbai News. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद) की सांसद सुप्रिया सुले ने गुरुवार को कहा कि उनकी पार्टी स्थानीय निकाय चुनाव के लिए सभी विपक्षी दलों को साथ लेकर चलना चाहती है और उनसे बातचीत करेगी। उनका यह बयान कांग्रेस के उस रुख के बात आया है, पार्टी साफ किया है कि वह मनसे जैसे दलों के साथ चुनाव नहीं लडेगी। कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। ऐसे में राकांपा (शरद) के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है कि वह उद्धव-राज ठाकरे के साथ जाए अथवा अपने परंपरागत मित्र दल कांग्रेस पार्टी के मिलकर चुनाव लड़े। सुले ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि राकांपा (शरद) स्थानीय निकाय चुनाव साथ में लड़ने और महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य के बारे में शिवसेना (उद्धव) प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ चर्चा करेगी। उन्होंने कहा कि हम गठबंधन के बारे में अगले सप्ताह मुंबई में कांग्रेस से बात करेंगे। जब सुले से पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी मुंबई में कांग्रेस या शिवसेना (उद्धव) के साथ निकाय चुनाव लड़ेगी, तो उन्होंने कहा कि हम सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं। महा विकास आघाडी या ‘इंडिया’ गठबंधन हो सकता है। अगले हफ्ते एक साफ तस्वीर सामने आएगी। कांग्रेस ने कहा है कि वह मुंबई मनपा के चुनाव ‘एक जैसी सोच वाले दलों’ के साथ लड़ना चाहती है। राज्य में निकाय चुनाव जनवरी 2026 में होने की उम्मीद है।

स्थानीय चुनाव में कोंकण में अब राणे बंधु होंगे आमने-सामने

इसके अलावा राजनीति में एक बार फिर बड़ा मोड़ आया है। शिवसेना (शिंदे) और भाजपा के बीच कोंकण में होने वाले नगर परिषद और नगर पंचायत के चुनावों में दोनों ही दलों में गठबंधन नहीं हो पाया। जिसके कारण अब राणे बंधुओं नितेश राणे और नीलेश राणे आमने-सामने आने वाले हैं। शिवसेना (शिंदे) विधायक नीलेश राणे ने कहा कि शिंदे गुट ने भाजपा के साथ स्थानीय चुनावों में गठबंधन की कोशिश की लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के चलते गठबंधन नहीं हो पाया। नीलेश ने कहा कि उन्होंने इस बाबत सीनियर राणे यानि नारायण राणे को इस बारे में जानकारी दी है।

क्यों टूट गया गठबंधन?

शिंदे गुट के सूत्रों के मुताबिक भाजपा और शिवसेना (शिंदे) में सीट बंटवारे पर आपस में सहमति न बन पाई। दोनों पक्ष अपने-अपने मजबूत क्षेत्रों में समझौते को तैयार नहीं हुए। शिंदे गुट चाहता था कि कोंकण की प्रमुख सीटें उसके हिस्से आएं, जबकि भाजपा अपने पुराने जनाधार को छोड़ने को राजी नहीं थी। इसके बाद अब राणे परिवार के दो प्रमुख चेहरे नितेश राणे और नीलेश राणे सीधे मुकाबले में उतरने की तैयारी में हैं। कोंकण की राजनीति में इसे सबसे दिलचस्प आमने-सामने की लड़ाई माना जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में नितेश और नीलेश ने अलग-अलग दलों से चुनाव लड़ा लेकिन दोनों ही दलों का गठबंधन था। ऐसा पहला मौका होगा जब दोनों भाई एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार करते हुए दिखेंगे।

गठबंधन टूटते ही दोनों दलों ने अपने-अपने संगठन को किया सक्रिय

गठबंधन न होने के चलते अब गांवों से लेकर तहसील स्तर तक रणनीति बनाई जा रही है। कोंकण के मतदाता अब दो मजबूत स्थानीय चेहरों में से चुनाव करेंगे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह चुनाव जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दों और व्यक्तिगत लोकप्रियता पर ज्यादा निर्भर करेगा, क्योंकि दोनों पार्टियों का जनाधार कोंकण में लगभग समान माना जाता है।

Created On :   20 Nov 2025 10:37 PM IST

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