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मंत्रिमंडल की मंजूरी: म्हाडा की गृहनिर्माण परियोजनाओं के पुनर्विकास नीति और कौशल्य विश्वविद्यालय के लिए 339 पदों को मंजूरी, भिक्षा कानून से हटाए जाएंगे मानहानिकारक शब्द

- रतन टाटा महाराष्ट्र राज्य कौशल्य विश्वविद्यालय के लिए 339 पदों का सृजन किया जाएगा
- भिक्षा कानून से हटाए जाएंगे मानहानिकारक शब्द
Mumbai News. रतन टाटा महाराष्ट्र राज्य कौशल्य विश्वविद्यालय के लिए 339 पदों का सृजन किया जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। कौशल्य विश्वविद्यालय के लिए शिक्षकों के 232 पदों और शिक्षकेतर के 107 पदों को मान्यता दी गई है। युवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कौशल्य आधारित उच्च शिक्षा के जरिए रोजगार व स्वयंरोजगार के अवसर निर्माण करना विश्वविद्यालय का लक्ष्य है। इस विश्वविद्यालय का कामकाज पूर्ण क्षमता से होने के लिए शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों की आवश्यकता है। इसलिए मंत्रिमंडल ने विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के 34, सहयोगी प्राध्यापक के 60, सहायक प्राध्यापक के 138 कुल मिलाकर 232 शिक्षकों के पद भरे जाएंगे। जबकि उप कुलसचिव के 7, सहायक कुलसचिव के 7, कक्ष अधिकारी के 14, सहायक कक्ष अधिकारी के 7, वरिष्ठ लेखापाल के 6, लेखापाल के 12, सूचना तकनीकी अधिकारी तथा सिनियर प्रोग्रामर के 1, वरिष्ठ ग्रंथालय सहायक के 1, कनिष्ठ ग्रंथालय सहायक के 2, कनिष्ठ लिपिक के 8, वरिष्ठ लिपिक के 8, कनिष्ठ सहायक (सर्वसामान्य) के 1, कनिष्ठ सहायक (वित्त) के 1, तकनीकी सहायक के 8, प्रयोगशाला सहायक के 24 कुल मिलाकर 107 पदों को भरा जाएगा।
भिक्षा कानून से हटाए जाएंगे मानहानिकारक शब्द
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार महाराष्ट्र भिक्षा प्रतिबंध कानून के मानहानिकारक शब्दों को हटाने को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इससे अधिनियम के महारोग से पीड़ित, कुष्ठरोगी, कुष्ठालय शब्द हटाने और उसके अनुसार अधिनियम में संशोधन करने को मान्यता दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के सभी अधिनियम, नियम, नियमावली, उपविधि आदि में से मानहानिकारक शब्द हटाने के आदेश दिए थे। इसके मद्देनजर राज्य के विधि व न्याय विभाग ने मुंबई भिक्षा प्रतिबंध अधिनियम- 1959 की धारा 9 व 26 में संशोधन करने की सिफारिश की थी। इसके आधार पर मंत्रिमंडल ने भिक्षा प्रतिबंध कानून की शब्द रचना को संशोधित करने के लिए मान्यता दी है।
मुंबई में म्हाडा की गृहनिर्माण परियोजनाओं के पुनर्विकास नीति को मंजूरी
उधर मुंबई शहर और मुंबई उपनगर के 20 एकड़ अथवा उससे अधिक क्षेत्रफल पर म्हाडा परियोजना का एकत्रित-समूह पुनर्विकास नीति को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इससे मुंबई क्षेत्र के नागरिकों के लिए बड़े पैमाने पर किफायती आवास उपलब्ध हो सकेगा। महाराष्ट्र गृहनिर्माण व क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) के मुंबई मंडल ने मध्यम आय वर्ग (एमआईजी) और अल्प आय वर्ग (एलआईजी) के नागरिकों के लिए साल 1950 से 1960 के दौरान 56 कॉलोनियों को स्थापित किया था। इन कॉलोनियों में लगभग 5 हजार सहकारी गृहनिर्माण संस्था है। जिनकी इमारतें काफी पुरानी और जर्जर हो चुकी हैं। इससे मद्देनजर म्हाडा ने इन इमारतों का एकत्रित-समूह पुनर्विकास नीति तैयार किया है। इस नीति के अनुसार म्हााडा 20 एकड़ और उससे अधिक क्षेत्रफल की परियोजनाओं का एकत्रित-समूह पुनर्विकास कर सकेगी। इस नीति के अनुसार उच्चतम पुनवर्सन कार्पेट एरिया उपलब्ध होगा। इसके लिए घर मालिकों की सहमति की आवश्यकता नहीं होगी। मगर टेंडर प्रक्रिया से नियुक्त किए जाने वाले बिल्डरों को गृहनिर्माण संस्था के सहमति का प्रस्ताव लेना अनिवार्य होगा। म्हाडा पुनर्विकास के लिए मुंबई मंडल के 114 परियोजनाओं की नियोजन प्राधिकरण रहेगा। मंत्रिमंडल ने इन परियोजनाओं के लिए राज्य के गृहनिर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में अधिकार प्राप्त समिति गठित करने को मान्यता दी है। पुनर्विकास परियोजना के प्रारूप में हरित क्षेत्र, स्कूल, स्वास्थ्य सुविधा, वाणिज्यिक जगह समेत संपूर्ण कॉलोनी का एकत्रित नियोजन किया जाएगा।
ये सुविधाएं होंगी उपलब्ध
म्हाडा की गृहनिर्माण परियोजनाओं के पुनर्विकास से मूलभूत और अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी। नई इमारतों में आधुनिक सुविधाओं से लैस फ्लैट, लिफ्ट, पार्किंग, उद्यान, सभागार, खेल के मैदान, व्यायाम शाला, स्विमिंग पूल, सीसीटीवी सुविधाएं मिल सकेंगी। इसके साथ ही परियोजना परिसर में जलापूर्ति, गंदे पानी का निस्तारण, सड़क, बिजली आदि सुविधाएं मिल सकेंगी। इससे घर मालिकों को पहले की तुलना में बड़ा आवास उपलब्ध हो सकेगा।
Created On :   18 Nov 2025 9:24 PM IST













