बॉम्बे हाई कोर्ट: गुजरात में एमडी ड्रग्स की फैक्ट्री के चलाने वाले आरोपी चिंतन राजूभाई पंसेरिया को जमानत देने से इनकार

गुजरात में एमडी ड्रग्स की फैक्ट्री के चलाने वाले आरोपी चिंतन राजूभाई पंसेरिया को जमानत देने से इनकार
  • मुंबई पुलिस के एंटी नारकोटिक्स सेल ने पंसेरिया को किया था गिरफ्तार
  • पंसेरिया दो साल से जेल में है बंद

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुजरात में मादक पदार्थ (एमडी ड्रग्स) की फैक्ट्री के चलाने वाले आरोपी चिंतन राजूभाई पंसेरिया को जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि आरोपी मुख्य रूप से लंबी कैद के आधार पर जमानत का अनुरोध कर रहा है। जबकि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप ऐसे हैं कि एनडीपीएस अधिनियम 1985 की धारा 37 में निहित निषेधाज्ञा स्पष्ट रूप से लागू होती है। अपराधों की गंभीरता और मादक पदार्थों की तस्करी के खतरे को रोकने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए जमानत देना उचित नहीं है। मुंबई पुलिस के एंटी नारकोटिक सेल (एएनसी) ने 20 दिसंबर 2023 को ड्रग्स के बड़े रैकेट का पर्दाफाश करते हुए पंसेरिया को गिरफ्तार किया था। वह दो साल से जेल में बंद है।

न्यायमूर्ति डॉ. नीला गोखले की एकल पीठ ने चिंतन राजूभाई पंसेरिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के वकील रिजवान मर्चेंट ने 15 अक्टूबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित उस आदेश पर बहुत जोर दिया, जिसमें आरोपी रेशमा को लंबी कैद के आधार पर जमानत पर रिहा किया गया था। हालांकि रेशमा को दी गई भूमिका दर्शाती है कि रेशमा के पास कोई प्रतिबंधित वस्तु नहीं मिली थी। उसे अपने और अपने भाई, रियाज, आरोपी के बीच कुछ वित्तीय लेन-देन के आरोप में फंसाया गया था।

पीठ ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया, रेशमा और रियाज के बीच वित्तीय लेन-देन के अलावा कोई अन्य सामग्री नहीं थी, जो अपराध में उसकी संलिप्तता को दर्शाती हो। इस प्रकार रेशमा का मामला याचिकाकर्ता के मामले से अलग आधार पर है। यह याचिकाकर्ता रेशमा के मामले में पारित सुप्रीम कोर्ट के आदेश का लाभ नहीं उठा सकता है और लंबी कैद के आधार पर राहत का दावा नहीं कर सकता है।

पीठ ने कहा कि यह निष्कर्ष निकालना सुरक्षित नहीं है कि याचिकाकर्ता अपराध का दोषी नहीं है। उसकी हिरासत की अवधि अपने आप में ऐसा विचार नहीं है, जिसे उसको राहत देने के लिए एक ठोस आधार माना जा सके। गुजरात हाई कोर्ट ने भी याचिकाकर्ता को राहत देने से इनकार कर दिया था, उसके द्वारा दायर पुनरीक्षण आवेदन में अंकलेश्वर सेशन कोर्ट द्वारा आरोपमुक्ति याचिका को खारिज करने को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पाया है, जो एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 के तहत प्रतिबंध स्थापित करता है

Created On :   17 Nov 2025 9:14 PM IST

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