Mumbai News: वृक्षारोपण क्षेत्र अब नो डेवलपमेंट ज़ोन, वृक्ष संरक्षण के लिए राज्य सरकार का महत्वपूर्ण निर्णय

वृक्षारोपण क्षेत्र अब नो डेवलपमेंट ज़ोन, वृक्ष संरक्षण के लिए राज्य सरकार का महत्वपूर्ण निर्णय
  • मिट्टी और जमीन का ‘लैंड बैंक’ तैयार करें
  • सात साल तक पेड़ों को जिंदा रखना अनिवार्य

Mumbai News. पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं और वृक्षारोपण के बाद उन क्षेत्रों को संबंधित शहरी कानूनों के अनुसार "शहरी हरित पट्टा' या "नो डेवलपमेंट ज़ोन' घोषित किया जाए। साथ ही पेड़ों की सुरक्षा के लिए उन क्षेत्रों में पहरेदारों की नियुक्ति भी की जाए। इस तरह का आदेश राज्य सरकार ने संबंधित विभागों को दिए हैं। बृहन्मुंबई महानगरपालिका द्वारा वृक्ष कटाई अनुमति से संबंधित याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने 27 अक्टूबर 2025 को अंतरिम आदेश जारी किए हैं। इसमें न्यायालय ने सार्वजनिक परियोजनाओं के अंतर्गत गैर-वन क्षेत्रों में कटे पेड़ों के बदले किए जाने वाले वैकल्पिक वृक्षारोपण के प्रभावी प्रबंधन और संरक्षण के लिए उपाय तय करने का निर्देश दिया है। इसी के अनुरूप राज्य सरकार ने सोमवार को शासनादेश जारी किया है। सार्वजनिक परियोजनाओं की वजह से कटा जाने वाले पेड़ों के बदले वैकल्पिक वृक्षारोपण के लिए नई नियमावली जारी की गई है। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि स्थानीय जैव विविधता को बढ़ावा देने, पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और वृक्षारोपण क्षेत्र की सुरक्षा के लिए स्थानीय प्रजातियों के पौधे लगाना अनिवार्य होगा।

मिट्टी और जमीन का ‘लैंड बैंक’ तैयार करें

स्थानीय नगर निकायों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में वैकल्पिक वृक्षारोपण के लिए उपयुक्त मिट्टी और जमीन का एक लैंड बैंक तैयार करें और उसकी देखभाल करें। इसमें मनोरंजन स्थल, प्राकृतिक जैविक क्षेत्र, गवतदार खुली भूमि आदि शामिल हों। लैंड बैंक का उपयोग उसी क्षेत्र में कटे पेड़ों के बदले पौधे लगाने के लिए किया जाएगा।

जमीन मालिक की पूर्व अनुमति जरूरी

मुंबई में खाली जमीन की कमी को देखते हुए एमएमआर क्षेत्र में उपलब्ध उपयुक्त जमीन पर वैकल्पिक वृक्षारोपण किया जाएगा। लेकिन ऐसी जमीन का उपयोग केवल जमीन मालिक की पूर्व अनुमति से ही किया जा सकेगा। जमीन ढूंढने और उसे उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी संबंधित विभाग की होगी।

सात साल तक पेड़ों को जिंदा रखना अनिवार्य

स्थानीय जलवायु और मिट्टी को ध्यान में रखते हुए कम से कम 12 फीट ऊंचाई के स्थानीय प्रजाति के पेड़ लगाए जाएं। वृक्ष प्राधिकरण या वृक्ष अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि ये पेड़ कम से कम 7 वर्ष तक सुरक्षित रहें। इस अवधि में जो पेड़ जीवित नहीं रहेंगे, उनकी जगह नए पेड़ लगाकर उनकी देखभाल करना अनिवार्य होगा। वृक्षारोपड़ से संबंधित जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध कराना होगा। जियोटैग की गई तस्वीरें (पहले और बाद की) भी देना होगा।

क्षेत्र का पूरा विवरण मूल्यांकन के लिए समिति

वृक्षारोपण का समय-समय पर मूल्यांकन करने के लिए एक समिति बनाई जाएगी, जिसकी अध्यक्षता विभागीय वन अधिकारी (सामाजिक वनीकरण) करेंगे। संबंधित क्षेत्र के सहायक वन संरक्षक वृक्ष अधिकारी, स्थानीय और मान्यता प्राप्त एनजीओ के प्रतिनिधि परियोजना विभाग का प्रतिनिधि (सदस्य सचिव) शामिल होंगे।

Created On :   17 Nov 2025 9:57 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story